इनकम टैक्स से जुड़े 10 नियम 1 अप्रैल से बदल जाएंगे! जानिए कौन से बदलाव आपकी सैलरी और सेविंग को करेंगे प्रभावित

नए फाइनेंशियल ईयर 2025-26 की शुरुआत के साथ टैक्स सिस्टम में बड़ा उलटफेर होने जा रहा है। सरकार ने बजट में जो 10 बड़े नियम बदले हैं, वो आपकी सैलरी, निवेश और टैक्स रिटर्न पर सीधा असर डालेंगे। इन बदलावों को जानना अब हर टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी हो गया है

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Written byRohit Kumar

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इनकम टैक्स से जुड़े 10 नियम 1 अप्रैल से बदल जाएंगे! जानिए कौन से बदलाव आपकी सैलरी और सेविंग को करेंगे प्रभावित
इनकम टैक्स से जुड़े 10 नियम 1 अप्रैल से बदल जाएंगे! जानिए कौन से बदलाव आपकी सैलरी और सेविंग को करेंगे प्रभावित

1 अप्रैल 2025 से नया वित्तीय वर्ष (Financial Year) 2025-26 शुरू हो रहा है और इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट 2025 में घोषित कई अहम टैक्स नियम लागू हो जाएंगे। ये बदलाव न सिर्फ इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स को प्रभावित करेंगे बल्कि स्टार्टअप, पार्टनरशिप फर्म और सीनियर सिटीजन पर भी इसका असर दिखेगा। खास बात ये है कि न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime) को और ज्यादा आकर्षक बनाने की दिशा में कई बड़े ऐलान किए गए हैं। यहां हम आपको ऐसे 10 अहम बदलावों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं जो नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत से लागू होंगे।

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न्यू इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव

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फाइनेंशियल ईयर 2025-26 से न्यू इनकम टैक्स स्लैब (New Income Tax Slab) को संशोधित किया गया है। अब सालाना 12 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स में छूट मिलेगी। सैलरीड क्लास के लोग अब 75,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) का लाभ भी ले सकेंगे। इस कदम का उद्देश्य मध्यम वर्गीय टैक्सपेयर्स को राहत देना है और न्यू टैक्स रिजीम को और आकर्षक बनाना है।

सेक्शन 87A के तहत बढ़ी टैक्स रिबेट

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87A (Section 87A) के तहत मिलने वाली टैक्स रिबेट को भी बढ़ा दिया गया है। न्यू टैक्स रिजीम को अपनाने वाले टैक्सपेयर्स को अब पहले के 25,000 रुपये के मुकाबले 60,000 रुपये तक की रिबेट मिलेगी। इससे लोअर इनकम ग्रुप के टैक्सपेयर्स को खासा फायदा मिलेगा।

अपडेटेड टैक्स रिटर्न की डेडलाइन बढ़ी

अब टैक्सपेयर्स को अपडेटेड ITR यानी ITR-U फाइल करने के लिए 12 महीने की जगह 48 महीने का समय मिलेगा। यह नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा। इससे टैक्सपेयर्स को बिना भारी जुर्माने के अपने टैक्स संबंधी दायित्व पूरे करने में आसानी होगी।

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TDS नियमों में दी गई राहत

सरकार ने TDS (Tax Deducted at Source) नियमों में भी राहत दी है। खासतौर पर सीनियर सिटीजन के लिए इंटरेस्ट इनकम पर TDS लिमिट को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया है। इससे उनकी कैश फ्लो स्थिति बेहतर होगी।

TCS रेट में हुआ बदलाव

विदेश यात्रा और विदेशी निवेश करने वालों के लिए TCS (Tax Collected at Source) की लिमिट को 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अब 10 लाख रुपये तक के विदेशी ट्रांजैक्शन पर TCS नहीं लगेगा, जिससे ट्रैवल और इन्वेस्टमेंट करने वालों को कुछ राहत मिलेगी।

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स्टार्टअप्स को टैक्स में बड़ी राहत

सरकार ने स्टार्टअप्स (Startups) को बढ़ावा देने के लिए एक और बड़ा कदम उठाया है। 1 अप्रैल 2030 तक रजिस्टर्ड नए स्टार्टअप्स को सेक्शन 80-IAC के तहत तीन साल तक 100% इनकम टैक्स छूट मिलेगी। यह कदम इनोवेशन और एंटरप्रेन्योरशिप को प्रोत्साहित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।

सेक्शन 206AB और 206CCA को हटाया गया

अब टैक्स डिडक्शन और टैक्स कलेक्शन के लिए सेक्शन 206AB और 206CCA लागू नहीं होंगे। इन सेक्शंस के तहत हाई रेट पर टैक्स काटने की बाध्यता थी, जो अब समाप्त हो गई है। इससे टैक्स डिडक्टर्स और कलेक्टर्स दोनों को प्रक्रिया में सरलता मिलेगी।

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ULIP पर अब लगेगा कैपिटल गेन टैक्स

अब यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) पर भी कैपिटल गेन टैक्स लगेगा, अगर उसका सालाना प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से अधिक है। ऐसे मामलों में निवेश पर होने वाले लाभ को अन्य कैपिटल एसेट्स की तरह टैक्सेबल माना जाएगा।

पार्टनरशिप फर्मों की सैलरी पर नई लिमिट

पार्टनरशिप फर्मों में पार्टनर को दी जाने वाली सैलरी पर अब अधिकतम डिडक्शन की सीमा तय कर दी गई है। इसका उद्देश्य पार्टनर की इनकम में टैक्स से बचने की कोशिशों को नियंत्रित करना है।

टैक्स नियमों के बदलाव से व्यापक असर

ये सभी बदलाव एक ओर जहां टैक्स सिस्टम को और सरल और पारदर्शी बनाएंगे, वहीं दूसरी ओर विभिन्न वर्गों को राहत देने की दिशा में उठाया गया कदम हैं। सरकार की मंशा है कि टैक्स बेस बढ़ाया जाए, लेकिन टैक्सपेयर्स पर अनावश्यक बोझ न डाला जाए।

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