हरियाणा में गेहूं बेचने वालों के लिए अलर्ट! ‘मेरी फसल, मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के बचे सिर्फ 11 दिन – तुरंत करें आवेदन

हरियाणा में गेहूं बेचने वालों के लिए अलर्ट! ‘मेरी फसल, मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के बचे सिर्फ 11 दिन – तुरंत करें आवेदन
हरियाणा में गेहूं बेचने वालों के लिए अलर्ट! ‘मेरी फसल, मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के बचे सिर्फ 11 दिन – तुरंत करें आवेदन
हरियाणा में गेहूं बेचने वालों के लिए अलर्ट! ‘मेरी फसल, मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के बचे सिर्फ 11 दिन – तुरंत करें आवेदन

हरियाणा में गेहूं की खरीद शुरू होने में अब महज 11 दिन शेष रह गए हैं और ऐसे में राज्य सरकार द्वारा ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा (MFMB)’ पोर्टल पर किसानों का रजिस्ट्रेशन कराने की प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढ़ाया जा रहा है। इस बार भी सरकारी अनाज मंडियों में फसल बेचने के लिए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य कर दिया गया है। हालांकि अभी भी प्रदेश के हजारों किसान रजिस्ट्रेशन से वंचित हैं, जिससे भविष्य में अनाज खरीद के दौरान बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।

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हरियाणा सरकार द्वारा गेहूं खरीद से पहले ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को अनिवार्य और समयबद्ध बनाया गया है। ऐसे में हर किसान के लिए यह आवश्यक है कि वह जल्द से जल्द रजिस्ट्रेशन करा ले ताकि मंडियों में बिना किसी बाधा के अपनी फसल बेच सके और MSP का पूरा लाभ उठा सके।

गेहूं की खरीद की तैयारी जोरों पर, रजिस्ट्रेशन हुए जरूरी

गेहूं खरीद सीजन हरियाणा में 1 अप्रैल से आरंभ होने की संभावना है। ऐसे में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं कि राज्य का हर पात्र किसान पोर्टल पर अपनी भूमि और फसल का पंजीकरण समय पर करवा सके। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बिना पंजीकरण के किसान सरकारी मंडियों में अपनी उपज नहीं बेच पाएंगे।

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रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में लाई जा रही तेजी

कृषि विभाग द्वारा रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। विभाग ने रजिस्ट्रेशन कैंपों की संख्या बढ़ा दी है और घर-घर जाकर संपर्क कार्यक्रम चलाया जा रहा है। साथ ही फोन कॉल्स के माध्यम से भी किसानों से सक्रिय संवाद किया जा रहा है ताकि समय रहते सभी किसान रजिस्ट्रेशन पूरा कर सकें।

20 मार्च तक 62.80 लाख एकड़ भूमि का रजिस्ट्रेशन

20 मार्च तक की स्थिति के अनुसार, 10,83,448 किसानों ने कुल 62,80,694 एकड़ कृषि भूमि का रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर किया है। इनमें फसलवार रजिस्ट्रेशन इस प्रकार है:

  • गेहूं: 44.22 लाख एकड़
  • सरसों: 16.78 लाख एकड़
  • चना: 26,429 एकड़
  • जौ: 19,368 एकड़
  • गन्ना: 10,362 एकड़
  • अन्य फसलें शेष भूमि पर हैं

इस आंकड़े से स्पष्ट है कि इस बार गेहूं की खेती ने सबसे बड़ा क्षेत्र घेरा हुआ है और इसी के चलते गेहूं खरीद की प्रक्रिया को लेकर राज्य सरकार विशेष रूप से सक्रिय है।

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जिलावार रजिस्ट्रेशन की स्थिति

यदि जिलावार आंकड़ों की बात करें तो सबसे अधिक पंजीकरण सिरसा जिले में दर्ज किया गया है, जहां 7.54 लाख एकड़ भूमि रजिस्टर्ड की गई है। इसके बाद:

  • हिसार: 5.74 लाख एकड़
  • भिवानी: 5.63 लाख एकड़
  • फतेहाबाद: 4.17 लाख एकड़
  • करनाल: 4.11 लाख एकड़
  • कैथल व जींद: 3.66 लाख एकड़ प्रत्येक

वहीं केवल गेहूं की फसल के संदर्भ में देखें तो सबसे आगे हैं:

  • सिरसा: 5.62 लाख एकड़
  • हिसार: 4 लाख एकड़
  • करनाल: 3.89 लाख एकड़
  • फतेहाबाद: 3.79 लाख एकड़

इसके उलट फरीदाबाद (32,503 एकड़) और पंचकूला (26,400 एकड़) में सबसे कम गेहूं रजिस्ट्रेशन हुआ है।

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कृषि विभाग का किसानों से आग्रह

कृषि उपनिदेशक (डीडीए) डॉ. वजीर सिंह ने किसानों से अपील की है कि वे जल्द से जल्द अपना रजिस्ट्रेशन पूरा करें। उन्होंने बताया कि विभाग की टीमें लगातार गांव-गांव जाकर जागरूकता अभियान चला रही हैं और रजिस्ट्रेशन शिविरों के माध्यम से प्रक्रिया को सरल बना रही हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बिना रजिस्ट्रेशन किसान अपनी उपज को सरकारी अनाज मंडियों में नहीं बेच पाएंगे, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान हो सकता है।

क्यों ज़रूरी है मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन?

‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ पोर्टल राज्य सरकार की एक डिजिटल पहल है, जिसका उद्देश्य किसानों की उपज, भूमि और फसल संबंधी जानकारी को एकत्र कर उसे योजनाओं और खरीद प्रक्रिया से जोड़ना है। इससे सरकार को किसानों को लाभकारी योजनाओं से जोड़ने में आसानी होती है और किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सुनिश्चित किया जा सकता है।

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सरकार की डिजिटल पहल और भविष्य की रणनीति

राज्य सरकार इस पोर्टल के माध्यम से डिजिटल कृषि को बढ़ावा दे रही है, जिससे पारदर्शिता बनी रहे और किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ त्वरित रूप से मिल सके। आने वाले समय में यह पोर्टल इंटीग्रेटेड फसल ट्रैकिंग, बीमा योजना, इनपुट सब्सिडी, और क्रॉप हेल्थ मॉनिटरिंग जैसे कई Agritech Innovations का भी हिस्सा बन सकता है।

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By Rohit Kumar

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