
देश में इस बार मानसून सीजन (जून से सितंबर) बेहद मेहरबान रहने वाला है। मौसम विभाग यानी IMD (India Meteorological Department) ने 2025 के लिए जो नया अपडेट जारी किया है, उसके अनुसार इस बार पूरे भारत में सामान्य से 6% अधिक वर्षा, यानी कुल 106 प्रतिशत बारिश होने की संभावना है। इससे पहले अप्रैल में IMD ने 105 प्रतिशत बारिश का अनुमान जताया था, जिसे अब संशोधित करते हुए बढ़ाया गया है।
जून की शुरुआत होगी 108% बारिश के साथ
मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने जानकारी दी कि जून महीने की शुरुआत से ही मानसून रफ्तार पकड़ लेगा। जून में लॉन्ग पीरियड एवरेज (Long Period Average-LPA) से 8 प्रतिशत ज्यादा, यानी कुल 108% बारिश दर्ज की जा सकती है। यह अनुमान 1971 से 2020 के बीच के औसत वर्षा रिकॉर्ड (87 सेंटीमीटर या 870 मिमी) के आधार पर तय किया गया है।
मध्य और दक्षिण भारत में होगी सबसे ज्यादा वर्षा
IMD के अनुसार इस बार मध्य भारत और दक्षिण प्रायद्वीप में सामान्य से अधिक बारिश, यानी 106% से ज्यादा वर्षा हो सकती है। इसमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा और आसपास के राज्य शामिल हैं। वहीं उत्तर-पश्चिम भारत में वर्षा का स्तर सामान्य के करीब यानी 92% से 108% तक रह सकता है। हालांकि पूर्वोत्तर भारत में अपेक्षाकृत कम यानी 94% तक बारिश होने की संभावना है।
मानसून कोर जोन में खेती के लिए अनुकूल स्थिति
देश के मानसून कोर जोन (Monsoon Core Zone-MCZ) में सामान्य से अधिक वर्षा का पूर्वानुमान किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। इन क्षेत्रों में अधिकतर कृषि वर्षा पर आधारित है। अच्छे मानसून से किसानों को खरीफ फसलों की बुवाई में लाभ मिलेगा और सिंचाई पर निर्भरता भी कम होगी। मौसम विभाग के मुताबिक इस बार मानसून के कोर जोन में 106% बारिश का अनुमान है।
गर्मी से राहत, लेकिन उमस होगी ज्यादा
जून में शुरू से ही बारिश का जोर रहने की वजह से हीटवेव (Heatwave) की स्थिति में राहत मिल सकती है। हालांकि अधिक बारिश के चलते दिन के समय ह्यूमिडिटी (Humidity) बढ़ने की आशंका है, जिससे आम लोगों को चिपचिपी गर्मी का सामना करना पड़ सकता है। बावजूद इसके, गर्म हवाओं से राहत के लिहाज से यह एक सुखद संकेत है।
बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बढ़ाएगा मानसून की ताकत
IMD की रिपोर्ट के अनुसार बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पश्चिम हिस्से में बना कम दबाव का क्षेत्र (Low Pressure Area) अब धीरे-धीरे तेज होता जा रहा है, जिससे मानसून की रफ्तार और भी मजबूत हो रही है। इसके प्रभाव से केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अगले 6 से 7 दिनों में मूसलाधार बारिश हो सकती है।
पश्चिमी विक्षोभ से उत्तर भारत में बारिश की संभावना
29 मई से उत्तर भारत में एक नया पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) सक्रिय होने जा रहा है, जिसके कारण उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली-NCR और उत्तर प्रदेश में गरज-चमक के साथ तेज हवाएं और बारिश हो सकती है। वहीं हिमाचल प्रदेश में ओलावृष्टि (Hailstorm) की संभावना भी जताई गई है।
मुंबई में टूटा 107 साल का रिकॉर्ड, अन्य राज्यों में तबाही
हाल ही में मुंबई में रिकॉर्ड तोड़ वर्षा दर्ज की गई है, जिसने 107 साल पुराना रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिया। इसके साथ ही आंधी और मूसलाधार बारिश ने कई राज्यों में जनजीवन को प्रभावित किया है। इससे यह साफ है कि मानसून इस बार अपने पूरे वेग के साथ दस्तक देगा और कई राज्यों को भीगने से नहीं छोड़ेगा।
पूर्वी राज्यों में भी गरज-चमक के साथ बारिश का दौर
बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भी अगले कुछ दिनों तक गरज और बिजली के साथ तेज बारिश होती रहेगी। ये राज्य भी मानसून की रफ्तार के साथ धीरे-धीरे भीगते नजर आएंगे।
क्या होता है लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA)?
IMD द्वारा निर्धारित LPA (Long Period Average) वह औसत वर्षा होती है जो 1971 से 2020 के बीच मानसून सीजन में रिकॉर्ड की गई हो। इसका मान 87 सेमी यानी 870 मिमी है। अगर किसी वर्ष की वर्षा इस औसत से अधिक होती है तो उसे सामान्य से अधिक मानसून (Above Normal Monsoon) कहा जाता है, और यदि कम होती है तो वह कमजोर मानसून (Weak Monsoon) माना जाता है।
किसानों और आमजन के लिए उम्मीद की बारिश
इस बार का मानसून किसानों के लिए अच्छी खबर लेकर आया है। अच्छी बारिश से कृषि उत्पादन बढ़ने की संभावना है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। इसके साथ ही खाद्यान्न आपूर्ति, पानी का भंडारण और बिजली उत्पादन जैसे क्षेत्रों में भी सकारात्मक असर देखने को मिल सकता है।