
मध्य प्रदेश सरकार अब अवैध कॉलोनियों (Illegal Colonies) को लेकर सख्त रुख अपनाने जा रही है। इसके तहत नगरपालिका अधिनियम (Municipality Act) में बदलाव कर एक नया कानून तैयार किया जा रहा है, जिसके जरिए अवैध कॉलोनी विकसित करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने जानकारी दी है कि यह नया कानून एक महीने के भीतर प्रभावी हो जाएगा। इस कानून के तहत दोषियों को अधिकतम 10 साल की सजा और 50 लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।
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मध्य प्रदेश सरकार की यह पहल शहरी विकास और नागरिक सुविधा दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। जहां एक ओर इससे अवैध कॉलोनी बनाने वालों में डर पैदा होगा, वहीं दूसरी ओर वर्षों से बसे नागरिकों को राहत मिलने की संभावना भी है। अब देखना यह होगा कि यह कानून लागू होने के बाद ज़मीनी स्तर पर क्या प्रभाव डालता है और आम लोगों को इससे कितना लाभ मिलता है।
अवैध कॉलोनी पर अब होगी कठोर कार्रवाई
नए मसौदे के अनुसार जो भी व्यक्ति या बिल्डर बिना किसी अधिकृत अनुमति के अवैध कॉलोनी विकसित करेगा, उसे अब सख्त सजा का सामना करना पड़ेगा। सरकार का उद्देश्य है कि शहरी क्षेत्रों में अवैध तरीके से हो रहे भूमि उपयोग पर नियंत्रण लगाया जाए और योजनाबद्ध विकास को बढ़ावा दिया जाए।
कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि यह कानून नगरीय विकास से संबंधित व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और कानूनी बनाने के लिए लाया जा रहा है। अब तक ऐसे मामलों में सजा का कोई कठोर प्रावधान नहीं था, जिससे अवैध कॉलोनी डेवेलपर्स को बढ़ावा मिल रहा था।
2016 से पहले की अवैध कॉलोनियों को वैध करने पर विचार
सरकार केवल सख्त कानून ही नहीं ला रही, बल्कि 2016 से पहले विकसित की गई अवैध कॉलोनियों को वैध (Regularize) करने पर भी गंभीरता से विचार कर रही है। हालांकि इस पर अंतिम फैसला अब तक नहीं लिया गया है।
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पिछले साल नगरीय प्रशासन विभाग ने सभी जिला कलेक्टरों से 2016 तक की अवैध कॉलोनियों का डेटा मांगा था। इससे संकेत मिलते हैं कि सरकार उन्हीं कॉलोनियों को नियमित करने की योजना बना रही है। पूर्व मुख्यमंत्री के कार्यकाल में 2022 से पहले की कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा की गई थी, लेकिन अब की सरकार 2016 को आधार वर्ष मानने की योजना पर काम कर रही है।
क्यों जरूरी हुआ सख्त कानून लाना
मध्य प्रदेश के कई शहरों और कस्बों में तेजी से अवैध कॉलोनियों का विस्तार हो रहा है। इस कारण नगरीय सुविधाएं जैसे पानी, बिजली, सड़क और सीवरेज की व्यवस्था बाधित हो रही है। कई कॉलोनियों में तो बुनियादी सुविधाएं तक नहीं होती, जिससे वहां रहने वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
सरकार का मानना है कि अगर समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो भविष्य में नगरीय संकट और गहराएगा। इसलिए नया कानून न सिर्फ रोकथाम करेगा, बल्कि ऐसे कॉलोनी डेवेलपर्स के खिलाफ सख्त संदेश भी देगा।
मोहन सरकार की नई पहल
मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में सरकार अवैध कॉलोनियों को लेकर दोतरफा रणनीति पर काम कर रही है। एक तरफ सख्त कानून लाया जा रहा है, तो दूसरी ओर पुराने मामलों में राहत देने की योजना पर भी मंथन चल रहा है।
यह स्पष्ट किया गया है कि जो भी नया कानून आएगा, वह मौजूदा मामलों को ध्यान में रखते हुए ही लागू किया जाएगा, ताकि आम नागरिकों को परेशानी न हो और नियमों का पालन सुनिश्चित हो सके।
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कानून की विशेषताएं
नए कानून में निम्नलिखित प्रावधान हो सकते हैं:
- अवैध कॉलोनी बनाने पर अधिकतम 10 साल की जेल
- 50 लाख रुपये तक का जुर्माना
- दोषी पाए जाने पर प्रॉपर्टी की जब्ती
- कॉलोनी की रजिस्ट्री और लेन-देन पर प्रतिबंध
इन प्रावधानों का उद्देश्य है कि भविष्य में कोई भी बिल्डर बिना अनुमति के कॉलोनी न बसा सके और शहरों का नियोजित विकास सुनिश्चित किया जा सके।