MP में ‘बेरोजगारी’ खत्म? सरकार ने कहा अब कोई नहीं है बेरोजगार – जानिए क्या रखा गया नया नाम

MP में ‘बेरोजगारी’ खत्म? सरकार ने कहा अब कोई नहीं है बेरोजगार – जानिए क्या रखा गया नया नाम
MP में ‘बेरोजगारी’ खत्म? सरकार ने कहा अब कोई नहीं है बेरोजगार – जानिए क्या रखा गया नया नाम
MP में ‘बेरोजगारी’ खत्म? सरकार ने कहा अब कोई नहीं है बेरोजगार – जानिए क्या रखा गया नया नाम

मध्य प्रदेश (MP) में ‘बेरोजगारी’ को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है, जब राज्य सरकार ने यह दावा किया कि अब प्रदेश में कोई भी बेरोजगार (Unemployed) नहीं है। सरकार के इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा को जन्म दे दिया है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने “बेरोजगार” शब्द की जगह एक नया शब्द पेश किया है, जिससे यह जताया गया कि अब युवाओं को केवल नौकरी की तलाश करने वाला नहीं, बल्कि कौशल के आधार पर आगे बढ़ने वाला माना जाएगा।

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इस नई पहल के तहत सरकार ने ‘बेरोजगार’ शब्द को हटाकर ‘रोजगार खोजने वाला युवा’ (Job Seeker) कहने का निर्णय लिया है। इस लेख में हम इस नीतिगत बदलाव के पीछे की मंशा, इसके सामाजिक प्रभाव, विपक्ष की प्रतिक्रिया और युवा वर्ग की सोच पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

सरकार की दलील: अब ‘बेरोजगार’ नहीं, ‘रोजगार खोजने वाले युवा’

मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में विधानसभा में यह कहा कि प्रदेश में अब कोई भी बेरोजगार (Unemployed) नहीं है, क्योंकि राज्य सरकार ने युवाओं को विभिन्न प्रकार की योजनाओं और स्किल डिवेलपमेंट (Skill Development) कार्यक्रमों से जोड़ा है। सरकार के अनुसार, अब “बेरोजगारी” शब्द के नकारात्मक प्रभाव से बचते हुए युवाओं को सम्मानजनक रूप में “रोजगार खोजने वाला युवा” कहा जाएगा।

राज्य के श्रम मंत्री ने कहा कि “बेरोजगारी” शब्द युवा मनोबल को गिराता है और यह सामाजिक पहचान को प्रभावित करता है। इसलिए सरकार अब इस शब्द को आधिकारिक दस्तावेजों और योजनाओं में नहीं इस्तेमाल करेगी।

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क्या वास्तव में खत्म हो गई बेरोजगारी?

हालांकि सरकार ने यह घोषणा कर दी है, पर आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। केंद्र सरकार और निजी सर्वेक्षणों के अनुसार, मध्य प्रदेश में बेरोजगारी की दर 7% के आसपास बनी हुई है। CMIE (Centre for Monitoring Indian Economy) की रिपोर्ट में MP की बेरोजगारी दर जनवरी 2025 में 6.8% रही।

यह स्पष्ट करता है कि केवल शब्द बदल देने से समस्या समाप्त नहीं होती। युवाओं को रोजगार दिलाने की दिशा में ठोस प्रयास, जैसे कि रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy), आईटी सेक्टर (IT Sector), और स्टार्टअप (Startup) जैसे क्षेत्रों में अवसरों का निर्माण जरूरी है।

विपक्ष का विरोध: ‘सच को छुपाने की कोशिश’

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार के इस कदम को “सच से भागने” की नीति बताया है। विपक्ष का कहना है कि सरकार वास्तविक रोजगार पैदा करने में विफल रही है और अब शब्दों का खेल खेलकर आंकड़ों की बाज़ीगरी कर रही है।

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कांग्रेस नेता ने कहा कि यह सिर्फ एक “PR स्टंट” है, जिससे युवाओं की नाराजगी को कम करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने पूछा कि अगर कोई बेरोजगार नहीं है, तो फिर करोड़ों युवा रोजगार मेलों में क्यों आ रहे हैं?

युवा वर्ग की प्रतिक्रिया: नाम बदलने से नहीं मिलेगा काम

सोशल मीडिया पर भी इस फैसले को लेकर युवाओं में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। कई युवाओं ने ट्वीट कर कहा कि सरकार को “नाम नहीं, काम” देना चाहिए। कई लोगों ने व्यंग्य करते हुए कहा कि यदि केवल नाम बदलने से समस्याएं हल होतीं, तो महंगाई को “कीमतों में विविधता” और भ्रष्टाचार को “नवाचार” कहा जा सकता है।

क्या यह केवल मनोवैज्ञानिक बदलाव है?

सरकार के समर्थकों का मानना है कि यह बदलाव युवाओं की मानसिकता बदलने के लिए है। जब तक युवा खुद को “बेरोजगार” मानते हैं, वे आत्मगौरव नहीं रख पाते। नए शब्द “रोजगार खोजने वाला युवा” से यह संकेत दिया गया है कि वे सक्रिय रूप से प्रयासरत हैं और यह अस्थायी स्थिति है।

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सरकार ने यह भी कहा कि रोजगार मेलों, अप्रेंटिसशिप, और स्किलिंग प्रोग्राम के माध्यम से लाखों युवाओं को नौकरियों से जोड़ा गया है, जो इस परिवर्तन की ठोस नींव है।

क्या शब्दों के बदलाव से नीति में बदलाव आएगा?

विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी नीतिगत बदलाव का मूल्यांकन उसके प्रभाव से किया जाना चाहिए, न कि उसके शब्दों से। यदि सरकार वास्तव में युवाओं को स्वरोजगार, स्टार्टअप, और तकनीकी क्षेत्र में अवसर दे रही है, तो यह सराहनीय है। लेकिन केवल शब्दों के स्तर पर बदलाव करना समस्या की जड़ तक पहुंचने की कोशिश नहीं माना जा सकता।

भविष्य की राह: रोजगार निर्माण पर जोर जरूरी

मध्य प्रदेश की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा युवा है, जिनकी आकांक्षाएं तेजी से बढ़ रही हैं। IPO, AI, Renewable Energy, Green Jobs, और Tourism जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाकर ही सरकार रोजगार निर्माण को गति दे सकती है।

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इसके साथ ही शिक्षण संस्थानों में व्यावसायिक शिक्षा और इंडस्ट्री से जुड़ी ट्रेनिंग को बढ़ावा देना होगा, ताकि युवाओं को सीधे रोजगार से जोड़ा जा सके।

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By Rohit Kumar

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