
भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में जल्द ही राहत मिल सकती है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने संकेत दिए हैं कि यदि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रहती हैं, तो देश में ईंधन की कीमतों में कटौती संभव है। इससे आम जनता को महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद है।
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वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट
वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें लगभग $65 प्रति बैरल के आसपास बनी हुई हैं। तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी के अनुसार, बाजार में पर्याप्त आपूर्ति के चलते कीमतों में स्थिरता बनी हुई है। इस स्थिति में भारत को सस्ती दरों पर तेल खरीदने का अवसर मिल रहा है, जिससे घरेलू बाजार में ईंधन की कीमतों में कटौती की संभावना बढ़ गई है।
सरकार की रणनीति और कर नीतियां
हाल ही में सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क (Excise Duty) में ₹2 प्रति लीटर की वृद्धि की है। हालांकि, यह वृद्धि उपभोक्ताओं पर नहीं डाली गई है, बल्कि तेल विपणन कंपनियों द्वारा वहन की जा रही है। इससे सरकार को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो रहा है, जिसे एलपीजी सब्सिडी और अन्य योजनाओं में उपयोग किया जा रहा है।
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तेल आयात में विविधता और आपूर्ति की स्थिति
भारत अब 40 से अधिक देशों से तेल आयात कर रहा है, जिसमें ब्राजील, गुयाना, सूरीनाम और कनाडा जैसे देश शामिल हैं। इससे तेल आपूर्ति में विविधता आई है और ओपेक देशों पर निर्भरता कम हुई है। तेल मंत्री के अनुसार, यदि किसी देश से सस्ती दरों पर तेल उपलब्ध होता है, तो भारत उसे खरीदने में संकोच नहीं करेगा।
राज्यवार मूल्य अंतर और कर संरचना
वर्तमान में भाजपा शासित और विपक्ष शासित राज्यों के बीच पेट्रोल और डीजल की कीमतों में ₹10-₹12 प्रति लीटर का अंतर देखा जा रहा है। इसके पीछे विभिन्न राज्यों द्वारा लगाए गए वैट (VAT) और अन्य करों की दरें जिम्मेदार हैं। केंद्र सरकार ने पूर्व में नवंबर 2021 और मई 2022 में उत्पाद शुल्क में कटौती की थी, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिली थी।
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भविष्य की संभावनाएं और उपभोक्ताओं की उम्मीदें
यदि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रहती हैं और सरकार कर संरचना में कोई बदलाव नहीं करती है, तो आने वाले समय में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती संभव है। इससे न केवल आम जनता को राहत मिलेगी, बल्कि मुद्रास्फीति पर भी नियंत्रण पाया जा सकेगा।