नई दिल्ली संसद में मंगलवार को केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री एसपी सिंह बघेल ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार के पास गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए कोई कानून बनाने की योजना नहीं है। उन्होंने यह जानकारी लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में दी मंत्री ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 246(3) के अनुसार पशुओं के सरक्षण पर कानून बनाने का अधिकार राज्यों की विधानसभाओं के पास है, न कि केंद्र के पास।
राज्यों के अधिकार में है पशु संरक्षण का विषय
बघेल ने अपने बयान में कहा कि संघ और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों के वितरण के तहत पशुओं का संरक्षण एक ऐसा विषय है, जिस पर केवल राज्य विधानमंडल कानून बना सकते हैं। इसका अर्थ है कि गाय से जुड़ी किसी भी विशेष घोषणा या कानूनी प्रावधान के लिए निर्णय राज्य स्तर पर ही लिया जा सकता है।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन का उद्देश्य और कार्यान्वयन
केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि दिसंबर 2014 से केंद्र सरकार राष्ट्रीय गोकुल मिशन को लागू कर रही है। इस मिशन का उद्देश्य है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए उठाए गए कदमों को वित्तीय और तकनीकी सहयोग प्रदान किया जाए। यह मिशन स्वदेशी नस्लों के संरक्षण, प्रजनन क्षमता बढ़ाने और दूध उत्पादन में सुधार पर केंद्रित है।
दूध उत्पादन में गाय और भैंस का योगदान
बघेल ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि वर्ष 2024 में देश के कुल दूध उत्पादन में गाय के दूध का योगदान 53.12 प्रतिशत रहा, जबकि भैंस के दूध का योगदान 43.62 प्रतिशत था। यह दर्शाता है कि भारत में दूध उत्पादन का बड़ा हिस्सा अभी भी गायों से आता है, लेकिन भैंस भी महत्वपूर्ण योगदान देती है।
मिलावटी दूध पर सख्ती, करोड़ों का जुर्माना
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मंत्री ने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में मिलावटी दूध के 8,815 मामलों में 36.72 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। उन्होंने कहा कि दूध में मिलावट को रोकने के लिए त्योहारों के दौरान विशेष निगरानी अभियान चलाए जाते हैं।
सितंबर 2024 में दीपावली से पहले और फरवरी 2025 में होली से पहले विशेष अभियान चलाए गए, क्योंकि त्योहारों के समय डेयरी उत्पादों की मांग में अचानक वृद्धि होती है, जिससे मिलावट की संभावना बढ़ जाती है।
दूध की जांच और कानूनी कार्रवाई
मंत्री के अनुसार, वर्ष 2024-25 के दौरान 33,405 दूध के नमूनों का विश्लेषण किया गया, जिनमें से 12,057 मामलों में कानूनी कार्रवाई हुई। इनमें से 8,815 मामलों में दोषी पाए जाने पर सजा और जुर्माना लगाया गया।
जुर्माने की राशि पिछले तीन वर्षों में लगातार बढ़ रही है-
- 2022-23 में ₹24.30 करोड़
- 2023-24 में ₹34.83 करोड़
- 2024-25 में ₹36.72 करोड़
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि सरकार मिलावटी दूध पर कार्रवाई को लेकर गंभीर है।
केंद्र का स्पष्ट रुख और भविष्य की दिशा
केंद्र सरकार का यह स्पष्ट रुख कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की कोई योजना नहीं है, राज्यों को इस विषय पर स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की जिम्मेदारी देता है। साथ ही, राष्ट्रीय गोकुल मिशन और मिलावटी दूध पर सख्त कार्रवाई यह संकेत देते हैं कि सरकार पशुपालन और डेयरी सेक्टर में गुणवत्ता और संरक्षण दोनों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।