
हरियाणा भू-राजस्व (संशोधन) विधेयक को लेकर चंडीगढ़ से एक बड़ी खबर सामने आई है। विधानसभा में पारित किए गए इस नए कानून के तहत अब हरियाणा (Haryana News) में साझी जमीन का बंटवारा खून के रिश्तों में भी किया जा सकेगा। यह संशोधन पति-पत्नी को छोड़कर सभी सह-स्वामित्वकर्ताओं पर लागू होगा। इसका लाभ प्रदेश के 14 से 15 लाख किसानों को मिलने की उम्मीद है, जो लंबे समय से भूमि विवादों में उलझे हुए हैं।
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पुराने कानून में थी खामियां, अब मिलेगी राहत
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार के दौरान भू-राजस्व अधिनियम में धारा 111-क जोड़ी गई थी, जिसमें संयुक्त मालिकों के बीच साझी भूमि के बंटवारे की व्यवस्था की गई थी। लेकिन इसमें पति-पत्नी और खून के रिश्तेदारों को बाहर रखा गया था। इसका नतीजा यह हुआ कि भाई-भाई, पिता-पुत्र, या अन्य रिश्तेदारों के बीच सह-स्वामित्व वाली जमीनों को लेकर मुकदमेबाजी बढ़ गई।
वर्तमान सरकार ने अब इस कमी को दूर करते हुए पति-पत्नी को छोड़कर सभी खून के रिश्तों में साझे भू-स्वामित्व के मामलों को बंटवारे के लिए शामिल किया है। इस संशोधन से न केवल भूमि विवाद कम होंगे, बल्कि अदालतों पर भी बोझ घटेगा।
तहसील और अदालतों में लंबित हैं एक लाख से अधिक केस
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री विपुल गोयल ने विधानसभा में विधेयक प्रस्तुत करते हुए कहा कि राज्य में इस समय एक लाख से अधिक मामले ऐसे हैं, जो साझी भूमि के विवाद को लेकर सहायक कलेक्टर और तहसीलदार की अदालतों में चल रहे हैं। संशोधित कानून इन मामलों के समाधान का रास्ता खोलेगा और इससे लाखों किसानों को बड़ी राहत मिलेगी।
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पति-पत्नी को छोड़कर सभी पर लागू होगी नई धारा
संशोधन के अनुसार, अब पति-पत्नी को छोड़कर खून के रिश्ते में जुड़े सभी सह-स्वामी इस कानून के दायरे में आएंगे। इसका मतलब यह हुआ कि यदि कोई भाई अपने भाई से या बेटा अपने पिता से अपनी हिस्सेदारी की मांग करता है, तो वह अब कानूनी रूप से अपनी जमीन का बंटवारा करा सकेगा।
राजस्व अधिनियम की धारा 114 के तहत अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि क्या अन्य सह-स्वामी भी अपनी हिस्सेदारी की जमीन का बंटवारा चाहते हैं। यदि हां, तो उन्हें भी आवेदनकर्ताओं के रूप में शामिल किया जाएगा।
आपसी सहमति से बंटवारे की व्यवस्था
नए संशोधन के अनुसार, तहसीलदार अथवा सहायक कलेक्टर द्वारा नोटिस जारी होने के छह माह के भीतर सभी संयुक्त भू-मालिकों को आपसी सहमति से बंटवारे का राजीनामा प्रस्तुत करना होगा। यदि ऐसा नहीं होता तो उन्हें अतिरिक्त छह माह का समय दिया जा सकता है।
यदि सभी सह-स्वामी आपसी सहमति से जमीन का बंटवारा कर लेते हैं, तो धारा 111-क (3) और धारा 123 के अंतर्गत इंतकाल (mutation) किया जाएगा। इसके बाद भू-स्वामित्व का अधिकार कानूनी रूप से अलग-अलग मालिकों को मिल जाएगा।
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आपसी सहमति न होने पर कोर्ट करेगी फैसला
यदि निर्धारित समय सीमा में आपसी सहमति नहीं बन पाती, तो संबंधित सहायक कलेक्टर और तहसीलदार की अदालत छह माह के भीतर भूमि का विभाजन सुनिश्चित करेंगी। यानी अब बंटवारे के मामलों में देरी और विवाद की संभावना काफी कम हो जाएगी।
राजस्व अधिकारियों को यह अधिकार होगा कि वे निष्पक्ष रूप से सभी पक्षों को सुनकर भूमि का न्यायपूर्ण विभाजन करें। इससे उन परिवारों को राहत मिलेगी जो वर्षों से साझा जमीन के झगड़ों में उलझे हुए हैं।
किसानों के लिए बड़ा कदम
यह संशोधन हरियाणा सरकार की ओर से किसानों के हित में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। जमीन से जुड़े विवाद और मुकदमेबाजी किसानों के समय, श्रम और संसाधनों को बर्बाद करती थी। अब उन्हें कानूनी रूप से एक सरल और प्रभावी रास्ता मिलेगा, जिससे वे अपनी हिस्सेदारी स्पष्ट कर सकेंगे और जमीन का स्वतंत्र उपयोग कर सकेंगे।
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सरकार का यह कदम कृषि सुधारों और भूमि प्रशासन को आधुनिक और न्यायसंगत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।