
बिहार राज्य में आजकल वोटर लिस्ट में बदलाव को लेकर विवाद हो रहा है। जैसा की अब राज्य में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं तो यह मामला बढ़ता ही जा रहा है। बता दें चुनाव आयोग पर पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव द्वारा बड़ा आरोप लगाया है। इनका कहना है की चुनाव आयोग कई गरीब लोगों को पेंशन और मुफ्त राशन सुविधा से वंचित कर रही है क्योंकि इसने कई लोगों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए हैं और अभी भी हटाए जा रहा है।
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तेजस्वी यादव का बीजेपी एजेंट वाला आरोप क्या है?
बुधवार के दिन तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर तंज कस्ते हुए मीडिया रिपोर्टरों से बात की है। उनका कहना है कि आजकल चुनाव आयोग ऐसे काम कर रहा है जैसे की बीजेपी एजेंट करते हैं। बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहती है कि ये बिहार राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करना चाहती है।
इन्होने चुनाव आयोग से सवाल पूछा है कि आप गरीब मतदाताओं का नाम लिस्ट से बाहर क्यों कर रहें हैं। लिस्ट से यदि इनके नाम कटते हैं तो इन्हे भविष्य में राशन मिलना बंद हो जाएगी। इसके साथ ही इन्हें पेंशन मिलना भी बंद हो जाएगी।
चुनाव आयोग की वेरिफिकेशन प्रक्रिया
चुनाव आयोग आजकल वेरिफिकेशन प्रक्रिया पर जुटा हुआ है। बता दें पिछले हफ्ते से यह कार्य तेजी से बढ़ गया है। बिहार में मतदाताओं के नाम और जानकारी को सत्यापित किया जा रहा है। अधिकारी लगों के घर में जाकर मतदाताओं की लिस्ट तैयार कर रहें हैं और जाँच प्रक्रिया जारी है। चुनाव आयोग का उद्देश्य है कि सत्यापन अभियान के तहत फर्जी वोटरों को पहचान हो और इनके नाम वोटर लिस्ट से हटाया जा सके। फर्जी वोटरों का नाम हटाकर नए पात्र वोटरों को जोड़ा जा रहा यह।
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विपक्षी गठबंधन इंडिया के नेताओं ने की शिकायत
आपको बता दें विपक्षी गठबंधन इन्डिया के कांग्रेस, आरजेडी एवं समाजवादी नेताओं ने भी चुनाव आयोग से शिकायत की है कि चुनाव नजदीक हैं और इस समय वोटर लिस्ट की जांच गलत की जा रही है। यह काम चुनाव से पहले का होता है और इसे अब किया जा रहा है। वर्ष 2003 में लोकसभा चुनाव के समय भी यही कार्य किया गया था।