
पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के दो मुख्य तरीके होते हैं: नॉर्मल एफआईआर (Normal FIR) और ऑनलाइन एफआईआर (Online FIR) । समय के साथ पुलिसिंग सिस्टम में तकनीकी सुधार हुए हैं और अब कई राज्यों में ऑनलाइन माध्यम से भी एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है। इस लेख में हम जानेंगे कि नॉर्मल एफआईआर और ऑनलाइन एफआईआर में क्या अंतर है, किस स्थिति में कौन सा तरीका अपनाना चाहिए और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी।
यह भी देखें: Avadh University Exam 2025: जारी हुआ नया टाइम टेबल – यहां देखें पूरा शेड्यूल!
नॉर्मल एफआईआर और ऑनलाइन एफआईआर दोनों के अपने-अपने फायदे हैं। किस तरीके से एफआईआर दर्ज करनी है, यह घटना की गंभीरता, उपलब्धता और समय के अनुसार तय करना चाहिए। टेक्नोलॉजी के इस युग में ऑनलाइन एफआईआर जैसी सुविधाओं ने आम जनता को त्वरित न्याय की ओर एक कदम और करीब कर दिया है।
नॉर्मल एफआईआर (Normal FIR) क्या होती है?
नॉर्मल एफआईआर यानी परंपरागत तरीके से पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत दर्ज कराना। इसमें पीड़ित व्यक्ति को पुलिस स्टेशन जाकर एक लिखित शिकायत देनी होती है। पुलिस अधिकारी शिकायत सुनते हैं, उसका आकलन करते हैं और फिर एक विधिवत प्राथमिकी यानी एफआईआर दर्ज करते हैं। इस प्रक्रिया में अक्सर शिकायतकर्ता से पूछताछ की जाती है और आवश्यक सबूत भी देखे जाते हैं।
यह भी देखें: RBSE 5th, 8th Result 2025: रिजल्ट डेट और मार्कशीट डाउनलोड करने का सबसे आसान तरीका जानें
ऑनलाइन एफआईआर (Online FIR) क्या होती है?
ऑनलाइन एफआईआर यानी इंटरनेट के माध्यम से पुलिस में शिकायत दर्ज कराना। अब कई राज्यों में पुलिस विभाग की आधिकारिक वेबसाइट्स और मोबाइल एप्स के जरिए ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करने की सुविधा उपलब्ध है। इसमें शिकायतकर्ता को एक ऑनलाइन फॉर्म भरना होता है जिसमें घटना से संबंधित सभी जानकारी दर्ज करनी होती है। साथ ही अगर कोई सबूत हैं तो उन्हें भी ऑनलाइन अपलोड किया जा सकता है।
नॉर्मल एफआईआर और ऑनलाइन एफआईआर में क्या है अंतर?
नॉर्मल एफआईआर के लिए पुलिस स्टेशन जाना अनिवार्य होता है, जबकि ऑनलाइन एफआईआर घर बैठे ही की जा सकती है। नॉर्मल एफआईआर में शिकायतकर्ता को लिखित में बयान देना होता है और दस्तावेजी सबूत पुलिस के सामने प्रस्तुत करने होते हैं। वहीं, ऑनलाइन एफआईआर में सभी दस्तावेजों और जानकारी को डिजिटल रूप में अपलोड किया जाता है। समय की दृष्टि से ऑनलाइन एफआईआर अधिक सुविधाजनक होती है क्योंकि यह 24×7 उपलब्ध रहती है और इसमें पुलिस स्टेशन जाकर समय बर्बाद नहीं करना पड़ता।
यह भी देखें: Delhi Schools Alert: भीषण गर्मी में स्कूलों के लिए आई नई गाइडलाइन – जानिए क्या-क्या बदलेगा
किस स्थिति में कौन सी एफआईआर करानी चाहिए?
यह तय करना कि नॉर्मल एफआईआर करानी है या ऑनलाइन एफआईआर, पूरी तरह स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता है। अगर मामला गंभीर है जैसे कि चोरी, डकैती, अपहरण या मारपीट जैसी घटनाएं, तो तुरंत पुलिस स्टेशन जाकर नॉर्मल एफआईआर दर्ज करानी चाहिए ताकि जल्द से जल्द कार्रवाई हो सके। वहीं अगर मामला कम गंभीर है, जैसे कि मोबाइल फोन या दस्तावेज खो जाना, छोटी-मोटी झड़प, या किसी प्रकार की शिकायत जिसे तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है, तो ऑनलाइन एफआईआर एक सुविधाजनक विकल्प है।
अगर आप किसी यात्रा के दौरान किसी घटना का शिकार हो जाते हैं और पुलिस स्टेशन तक पहुंचना संभव नहीं है, तब भी आप अपने मोबाइल फोन या लैपटॉप के माध्यम से तुरंत ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कर सकते हैं।
यह भी देखें: Widow Pension Yojana: सरकार का सख्त अलर्ट – 25 मई तक पूरा करें ये काम वरना बंद हो जाएगी पेंशन
ऑनलाइन एफआईआर का भविष्य
डिजिटलीकरण के इस दौर में पुलिस सेवाओं में भी तेजी से बदलाव आ रहा है। आने वाले समय में ऑनलाइन एफआईआर को और अधिक सहज, तेज और प्रभावी बनाया जा सकता है। सरकारें पुलिसिंग में तकनीकी सुधार लाकर जनता को अधिक सुलभ और पारदर्शी सेवाएं देने पर बल दे रही हैं, जो अपराध नियंत्रण और शिकायत निवारण में एक बड़ा कदम साबित हो रहा है।