गांवों में PM आवास योजना का असर! जॉब कार्ड बनवाने लग रही भीड़, बढ़े हजारों आवेदन

प्रधानमंत्री आवास योजना के असर से गांवों में रोजगार की उम्मीदें बढ़ी हैं। जॉब कार्ड बनवाने के लिए सैकड़ों आवेदन आ रहे हैं, जिससे लाखों ग्रामीणों की जिंदगी बदलने की संभावना बन रही है। जानिए इस नई पहल से क्या फायदे हो रहे हैं और आगे क्या बदलाव आ सकते हैं!

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Written byRohit Kumar

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गांवों में PM आवास योजना का असर! जॉब कार्ड बनवाने लग रही भीड़, बढ़े हजारों आवेदन
गांवों में PM आवास योजना का असर! जॉब कार्ड बनवाने लग रही भीड़, बढ़े हजारों आवेदन

प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत चलाए गए सेल्फ सर्वे अभियान का असर अब प्रयागराज जिले के गांवों में दिखने लगा है। जैसे ही सरकार ने इस योजना के लिए पात्रता का निर्धारण करने के लिए ऑनलाइन सेल्फ सर्वे लिंक उपलब्ध कराया, गांवों में जॉब कार्ड बनवाने की होड़ मच गई है। ग्रामीणों के बीच यह मान्यता बन गई है कि जब तक उनके पास जॉब कार्ड नहीं होगा, तब तक वे किसी भी सरकारी योजना, विशेषकर आवास योजना का लाभ नहीं उठा पाएंगे।

सेल्फ सर्वे अभियान से जॉब कार्ड की बढ़ती मांग

सेल्फ सर्वे के जरिए आवेदन करने का अवसर मिलने के बाद, पहले जिन लोगों को जॉब कार्ड की आवश्यकता नहीं थी, वे भी अब इसे बनवाने के लिए कतार में लग गए हैं। इस प्रक्रिया ने ग्रामीण क्षेत्रों में जॉब कार्ड धारकों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि कर दी है। ग्राम रोजगार सेवकों के अनुसार, पीएम आवास योजना के ऑनलाइन सर्वे लिंक के माध्यम से आवेदन करने की प्रक्रिया में एकदम से बढ़ोतरी देखने को मिली है। पहले जहां कुछ ही गांवों में जॉब कार्ड की संख्या थी, वहीं अब हर पंचायत में इसे बनाने की होड़ मच गई है।

गांवों में जॉब कार्ड का आंकड़ा किस पंचायत में कितने कार्ड जारी हुए?

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इस बदलाव का असर हर ग्राम पंचायत में महसूस किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, ब्लॉक की ग्राम पंचायत बरई हरख में 244 लोगों के नाम जॉब कार्ड पर जुड़ गए हैं। इसी प्रकार, बेरावां में 88, पश्चिमनारा में 43, सिंगरौर उपहार में 44 और आनापुर में 34 जॉब कार्ड जारी किए गए हैं। यह संख्या सिर्फ कुछ महीनों में हुई बढ़ोतरी को दर्शाती है। जॉब कार्ड, जो पहले मनरेगा मजदूरों के लिए आवश्यक था, अब प्रधानमंत्री आवास योजना में भी अनिवार्य होता जा रहा है, जिससे इसकी मांग बढ़ गई है।

जॉब कार्ड की जांच प्रक्रिया को और सख्त बनाने की मांग

इस बीच, ग्रामीणों की तरफ से यह मांग भी उठ रही है कि जॉब कार्ड की जांच प्रक्रिया को और कड़ी किया जाए, ताकि अपात्र लोग योजनाओं का फायदा न उठा सकें और असली जरूरतमंदों को उनका हक मिल सके। ग्रामीणों का मानना है कि बिना जॉब कार्ड के वे पीएम आवास योजना का लाभ नहीं ले सकते, और यह उनके लिए एक अहम दस्तावेज बन गया है।

जॉब कार्ड जारी करने की प्रक्रिया में बढ़ा बोझ

सर्वे के ऑनलाइन लिंक से जॉब कार्ड बनवाने की प्रक्रिया ने ग्राम पंचायतों में अतिरिक्त काम का बोझ बढ़ा दिया है। ग्राम रोजगार सेवकों का कहना है कि इस प्रक्रिया के चलते उन्हें अधिक संख्या में आवेदनों का निपटारा करना पड़ रहा है। हालांकि, यह भी देखा जा रहा है कि कुछ लोग इसका गलत लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं, जो जांच की प्रक्रिया में कमजोर कड़ी बन सकती है।

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जॉब कार्ड की प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता

इस बढ़ती मांग को देखते हुए ग्राम पंचायतों में जॉब कार्ड की जारी करने की प्रक्रिया को सही दिशा में चलाने के लिए कुछ उपाय सुझाए जा रहे हैं। इसकी जांच के लिए अधिकारियों की टीम को तैनात करने की योजना बनाई जा रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल असली लाभार्थी ही इसका फायदा उठा सकें।

PM आवास योजना का उद्देश्य और सेल्फ सर्वे की भूमिका

प्रधानमंत्री आवास योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की स्थिति में सुधार लाना है, और इसके तहत प्रत्येक योग्य परिवार को एक पक्का मकान मुहैया कराने का लक्ष्य है। सेल्फ सर्वे के माध्यम से अब अधिक से अधिक लोग इस योजना का लाभ लेने के लिए पात्र बन रहे हैं। लेकिन साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि यह सुविधा केवल उन लोगों तक पहुंचे, जिनकी वास्तव में इसकी आवश्यकता है।

प्रधानमंत्री आवास योजना से ग्रामीणों में उत्साह और निराशा

प्रधानमंत्री आवास योजना के इस सेल्फ सर्वे अभियान से ग्रामीण क्षेत्रों में जो बदलाव आया है, वह न केवल आवासीय योजनाओं के लिए बल्कि रोजगार से जुड़ी योजनाओं के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है। हालांकि, अब यह समय आ गया है कि संबंधित अधिकारियों द्वारा जॉब कार्ड बनाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और सख्त निगरानी रखी जाए ताकि केवल जरूरतमंदों को ही योजनाओं का लाभ मिल सके।

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