PM Fasal Bima Yojana: जानें किन किसानों को मिलता है पीएम फसल बीमा योजना का लाभ और क्या हैं इसके नियम

जानिए पीएम फसल बीमा योजना के तहत किन किसानों को मिल रहा है भारी मुआवज़ा, कैसे पाएं आप भी इसका लाभ, और क्या हैं इसके अहम नियम। मौसम की मार झेल रहे किसानों के लिए ये योजना बनी है वरदान! एक क्लिक में जानें सबकुछ, कहीं आप पीछे न रह जाएं!

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Written byRohit Kumar

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PM Fasal Bima Yojana: जानें किन किसानों को मिलता है पीएम फसल बीमा योजना का लाभ और क्या हैं इसके नियम
PM Fasal Bima Yojana: जानें किन किसानों को मिलता है पीएम फसल बीमा योजना का लाभ और क्या हैं इसके नियम

PM Fasal Bima Yojana: भारत में खेती-किसानी एक बड़ा सामाजिक और आर्थिक आधार है, और जब फसलें मौसम या अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण बर्बाद हो जाती हैं, तो इसका सीधा असर किसानों की आजीविका पर पड़ता है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) की शुरुआत की थी, ताकि किसानों को फसल नुकसान की स्थिति में मुआवजा प्रदान किया जा सके।

क्यों जरूरी है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

भारत में लगभग 50 प्रतिशत से अधिक आबादी खेती से जुड़ी हुई है। इनमें से अधिकतर किसान छोटे और सीमांत श्रेणी में आते हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं होती। ऐसे में जब बेमौसम बारिश, सूखा, कीट आक्रमण या अन्य प्राकृतिक आपदाएं फसलों को नुकसान पहुंचाती हैं, तो किसान आर्थिक रूप से पूरी तरह टूट जाते हैं। इन्हीं चुनौतियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने पीएम फसल बीमा योजना लागू की है, ताकि नुकसान की भरपाई की जा सके।

फसल खराब होने पर मिलता है बीमा मुआवजा

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत यदि किसान की फसल किसी प्राकृतिक कारण से खराब हो जाती है, तो उसे बीमा के तौर पर मुआवजा दिया जाता है। यह मुआवजा सीधे किसान के बैंक खाते में ट्रांसफर किया जाता है। योजना का उद्देश्य किसानों को आत्मनिर्भर बनाना और खेती को जोखिम मुक्त बनाना है।

किन किसानों को मिलता है इस योजना का लाभ

PM Fasal Bima Yojana का लाभ केवल उन्हीं किसानों को मिलता है जो केंद्र सरकार द्वारा नोटिफाइड क्रॉप्स की खेती करते हैं। इनमें प्रमुख रूप से धान (Rice), गेहूं (Wheat), दालें (Pulses), तिलहन (Oilseeds) और बागवानी फसलें (Horticultural Crops) शामिल हैं। योजना का लाभ केवल जमीन के मालिक किसानों को ही नहीं, बल्कि किराए पर खेती करने वाले और बटाईदारों को भी मिलता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण शर्त यह है कि किसान जिस क्षेत्र में खेती कर रहा है, वह क्षेत्र और फसल दोनों सरकार द्वारा अधिसूचित होने चाहिए।

कब और कैसे करें आवेदन

पीएम फसल बीमा योजना में आवेदन करने की एक कट-ऑफ डेट होती है। खरीफ सीजन के लिए आमतौर पर अंतिम तिथि 31 जुलाई, और रबी सीजन के लिए 31 दिसंबर रखी गई है। यदि किसान सीजन की शुरुआत के दो सप्ताह के भीतर आवेदन करता है, तो उसकी फसल उस सीजन के लिए बीमा कवर में आ जाती है।

ऑनलाइन आवेदन के लिए सरकार ने आधिकारिक वेबसाइट pmfby.gov.in उपलब्ध कराई है। वहीं, जिन किसानों को ऑनलाइन आवेदन करने में कठिनाई होती है, वे अपने जिले के कृषि कार्यालय से संपर्क कर ऑफलाइन प्रक्रिया की जानकारी ले सकते हैं।

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आवेदन के लिए जरूरी दस्तावेज

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में आवेदन करते समय कुछ जरूरी दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। इनमें प्रमुख हैं:

  • आधार कार्ड
  • बैंक खाते की पासबुक
  • खसरा नंबर (भूमि रिकॉर्ड)
  • बुवाई प्रमाण पत्र
  • जमीन से संबंधित अन्य दस्तावेज

इन दस्तावेजों के बिना आवेदन मान्य नहीं होगा और किसान योजना का लाभ नहीं ले पाएगा।

कैसे तय होता है मुआवजा

फसल खराब होने की स्थिति में बीमा क्लेम प्राप्त करने के लिए राज्य सरकारों द्वारा फसल कटाई प्रयोग (Crop Cutting Experiment) कराए जाते हैं। इससे यह आकलन होता है कि उस क्षेत्र में औसत उत्पादन कितना हुआ है और किसान को कितना नुकसान हुआ है। इसके आधार पर बीमा कंपनी क्लेम का निर्धारण करती है और तय रकम किसान के खाते में ट्रांसफर करती है।

कौन सी बीमा कंपनियां करती हैं कवर

सरकार इस योजना को लागू करने के लिए विभिन्न सरकारी और निजी बीमा कंपनियों के साथ अनुबंध करती है। इनमें एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड (AIC), आईसीआईसीआई लोम्बार्ड, एचडीएफसी एर्गो, बाजाज आलियांज जैसी प्रमुख कंपनियां शामिल हैं। किसान अपने राज्य में लागू बीमा कंपनी की जानकारी कृषि कार्यालय या वेबसाइट से प्राप्त कर सकते हैं।

योजना के लाभ और सीमाएं

इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे किसानों को फसल की बर्बादी के बावजूद न्यूनतम आर्थिक सुरक्षा मिलती है। हालांकि कई बार बीमा क्लेम में देरी, कंपनियों द्वारा क्लेम अस्वीकार करने जैसी समस्याएं भी सामने आई हैं। फिर भी, यह योजना कृषि क्षेत्र में एक बड़ा सहारा बन चुकी है, खासकर उन किसानों के लिए जो जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं से बार-बार प्रभावित होते हैं।

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