
भारत में ऊर्जा के लिए बायोगैस (Biogas) का उपयोग एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। भारतीय बायोगैस संघ (IBA) ने सरकार से 50 लाख बायोगैस इकाइयों को पुनर्जीवित करने के लिए ₹10,000 की एकमुश्त सब्सिडी देने का प्रस्ताव दिया है। इसका उद्देश्य बायोगैस की स्वीकार्यता को बढ़ाना और ग्रामीण भारत में स्वच्छ ऊर्जा (Renewable Energy) के उपयोग को बढ़ावा देना है। आईबीए के अनुसार, इन इकाइयों से सार्वजनिक और निजी निवेश पर बेहतर रिटर्न मिलेगा, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन भी बढ़ेगा।
50 लाख बायोगैस इकाइयों को मिलेगा नया जीवन
भारतीय बायोगैस संघ (IBA) ने सरकार से एक साहसिक और दूरदर्शी कदम उठाने की अपील की है, जिसमें 50 लाख बायोगैस इकाइयों के रिवाइविंग (reviving) का प्रस्ताव है। IBA के चेयरमैन गौरव केडिया के अनुसार, इस योजना के लिए कुल ₹5,000 करोड़ की राशि खर्च होगी, लेकिन इसके परिणामस्वरूप, बायोगैस प्रणालियों का कार्यक्षमता बढ़ेगा और साथ ही स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन में वृद्धि होगी।
केडिया ने बताया कि इन बायोगैस इकाइयों का इन्फ्रास्ट्रक्चर पहले से तैयार है और केवल थोड़ी सी वित्तीय मदद से इन्हें फिर से सक्रिय किया जा सकता है। खासतौर पर, ग्रामीण भारत में इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ऐसे कदम उठाए जा सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि स्वच्छ भारत अभियान (Swachh Bharat Abhiyan) जैसी मिशन-संचालित योजनाओं के माध्यम से इस दिशा में अच्छे परिणाम हासिल किए जा सकते हैं।
स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा, बचत में भी होगी वृद्धि
गौरव केडिया ने कहा कि बायोगैस इकाइयों के पुनर्जीवीकरण से एक ओर महत्वपूर्ण लाभ होगा, जो है एलपीजी सिलेंडरों (LPG Cylinder) पर बचत। अगर यह योजना सफल होती है, तो बायोगैस प्लांट्स के माध्यम से प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एलपीजी सिलेंडर की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इससे Ujjwala Yojana के तहत हर वर्ष ₹3,618 करोड़ की बचत हो सकती है।
यह योजना विशेष रूप से उन परिवारों के लिए लाभकारी होगी जो हर महीने एलपीजी सिलेंडर का इस्तेमाल करते हैं। ग्रामीण बायोगैस प्लांट्स, एलपीजी सिलेंडर की जरूरत को समाप्त कर सकते हैं, जिससे प्रत्येक परिवार को अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए एक स्थिर और सस्ती समाधान मिल सकेगा।
क्या है इस योजना का लाभ?
भारतीय बायोगैस संघ (IBA) की योजना से न केवल स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि ग्रामीण परिवारों को एक स्थिर और किफायती ईंधन मिलेगा। यह योजना उन बायोगैस इकाइयों को पुनर्जीवित करने पर केंद्रित है जो पहले से स्थापित हैं, लेकिन विभिन्न कारणों से निष्क्रिय हो गई हैं। बायोगैस संयंत्रों को पुनः सक्रिय करने से, यह ऊर्जा का एक नवीनीकरण समाधान प्रदान करेगा जो पर्यावरण के लिए भी लाभकारी होगा।
यह सरकार के लिए भी एक लाभकारी कदम साबित हो सकता है, क्योंकि इस कदम से वह अपनी सब्सिडी योजनाओं पर होने वाले खर्च में कमी ला सकती है। इसके अलावा, यह ग्रामीण भारत में हरित ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देने का एक अच्छा तरीका है, जो देश की ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करने में मदद करेगा।
सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडरों पर बड़ी बचत
भारत सरकार ने Ujjwala Yojana के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में एलपीजी सिलेंडरों को सब्सिडी देने का निर्णय लिया है। इसके तहत, सरकार ₹603 प्रति सिलेंडर की दर से हर वर्ष 12 सिलेंडर सब्सिडी पर देती है। लेकिन अगर बायोगैस प्लांट्स की स्थापना होती है, तो यह एलपीजी सिलेंडरों की जरूरत को पूरी तरह से समाप्त कर सकता है। इसके परिणामस्वरूप, सरकार को हर साल ₹3,618 करोड़ की बचत होगी, जो कि एक बड़ी राशि है।
सरकार से क्या उम्मीदें हैं?
IBA ने सरकार से अपील की है कि वह छोटे बायोगैस प्लांट्स के रिवाइविंग के लिए एक समान मॉडल अपनाए जैसा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालयों के लिए किया गया था। इसके तहत, ₹12,000 की सब्सिडी का प्रावधान किया गया था, और बायोगैस प्लांट्स के लिए लगभग ₹10,000 प्रति इकाई की सहायता दी जा सकती है। इससे न केवल बायोगैस की स्वीकार्यता बढ़ेगी, बल्कि यह ग्रामीण भारत के लिए एक स्थिर ऊर्जा समाधान भी बनेगा।