
धानमंत्री नरेंद्र मोदी का आरएसएस मुख्यालय दौरा एक बार फिर चर्चा में है और इसके साथ ही एक बार फिर सवाल उठ खड़ा हुआ है – Who will be PM Modi successor? क्या यह दौरा किसी राजनीतिक संकेत की तरफ इशारा करता है? या यह सिर्फ एक औपचारिक भेंट थी? इस लेख में हम इसी मुद्दे को विस्तार से समझने की कोशिश करेंगे, पीएम मोदी की रणनीति, संघ की भूमिका और संभावित उत्तराधिकारी के नामों को लेकर उठ रही चर्चाओं की तह में जाएंगे।
आरएसएस-RSS दौरे का राजनीतिक मतलब या औपचारिकता?
प्रधानमंत्री मोदी के हालिया आरएसएस मुख्यालय दौरे को लेकर कयासों का बाजार गर्म हो गया है। यह दौरा जुलाई 2013 के बाद पहली बार हुआ, जब पीएम मोदी संघ मुख्यालय पहुंचे। सूत्रों के अनुसार यह दौरा पूरी तरह से शिष्टाचार मुलाकात थी। पीएम मोदी ने संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार और दूसरे सरसंघचालक गुरुजी को पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने संघ की सेवा और व्यापक कार्यक्षेत्र का उल्लेख करते हुए नकारात्मक चर्चाओं का जवाब भी दिया।
सूत्रों की मानें तो इस बैठक में कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई। परंतु तस्वीरें और मुलाकातों की टाइमिंग ने जरूर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। खासतौर पर तब, जब पीएम मोदी के उत्तराधिकारी को लेकर सवाल पहले से ही उठ रहे हों।
मोदी के बाद कौन? उत्तराधिकारी को लेकर चर्चाएं तेज
पीएम मोदी के बाद अगला प्रधानमंत्री कौन होगा, यह सवाल अब लगातार उठता रहा है। आईपीओ-IPO की तरह राजनीति में भी उत्तराधिकार की उम्मीद और मूल्यांकन चलता रहता है। आरएसएस और बीजेपी के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो अभी इसपर कोई अंतिम निर्णय नहीं है। लेकिन संभावित नामों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है।
संघ की पृष्ठभूमि वाले नेता पर प्राथमिकता
आरएसएस हमेशा से ऐसे नेताओं को वरीयता देता आया है जिनका संघ से गहरा नाता हो। योगी आदित्यनाथ का नाम चर्चाओं में जरूर रहता है, लेकिन संघ की नज़रों में उनकी पृष्ठभूमि संघ से नहीं जुड़ी है। वहीं दूसरी तरफ देवेंद्र फडणवीस संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं और खुद को राम सेवक व कार सेवक कहते हैं। उनकी छवि एक ऐसे नेता की बनी है जो बीजेपी और संघ – दोनों के बीच संतुलन बखूबी साधते हैं।
संकेत देती तस्वीरें और संघ का भरोसा
राजनीतिक विश्लेषक दयानंद नेने कहते हैं कि अगर आप पीएम मोदी के दौरे की तस्वीरें ध्यान से देखें तो संकेत स्पष्ट हो जाते हैं। संघ मुख्यालय में प्रधानमंत्री मोदी के साथ केवल दो बीजेपी नेता थे – देवेंद्र फडणवीस और नितिन गडकरी। यह उपस्थिति अपने आप में बहुत कुछ कहती है। नेने का मानना है कि फडणवीस ही वह नाम हैं जो संघ और मोदी – दोनों की पसंद बन सकते हैं।
2029 का चुनाव और नेतृत्व का सवाल
पीएम मोदी की उम्र सितंबर 2025 में 75 वर्ष हो जाएगी। अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या वह इसके बाद राजनीति से संन्यास लेंगे? हालांकि, सूत्रों और विश्लेषकों का कहना है कि अभी ऐसा कोई संकेत नहीं है। यदि स्वास्थ्य साथ दे तो पीएम मोदी 2029 तक भी पार्टी का नेतृत्व कर सकते हैं। लेकिन इसके बाद की रणनीति में फडणवीस का नाम प्रमुखता से उभरता दिख रहा है।