जन्म प्रमाण पत्र बनाने के बदल गए नियम, अब SDM की परमिशन लेनी होगी जरूरी, देखें पूरी खबर

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बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र (Birth Certificate) के संबंध में एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है। अब यदि बच्चे की उम्र एक साल से अधिक हो चुकी है, तो उस बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए एसडीएम (Sub-Divisional Magistrate) से अनुमति लेनी होगी। पहले यह प्रक्रिया बीडीओ (Block Development Officer) के आदेश पर हो जाती थी, लेकिन अब नियमों में यह बदलाव किया गया है। यह नया नियम सरकारी दस्तावेजों के प्रक्रिया में पारदर्शिता और सही रिकॉर्ड की संभावना को बढ़ावा देने के लिए लागू किया गया है।

एसडीएम से अनुमति नया नियम क्यों लागू किया गया?

इस बदलाव के पीछे प्रशासनिक सुधार और कानूनी ढांचे को मजबूत बनाने की आवश्यकता को देखा जा रहा है। पुराने नियम के तहत, जहां बीडीओ की अनुमति से जन्म प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया अधिक सहज और तेज़ थी, वहीं अब एसडीएम से अनुमति लेने का आदेश प्रशासन को यह सुनिश्चित करने का अवसर देता है कि जन्म प्रमाण पत्र केवल उचित और सही मामलों में जारी किया जाए। इस कदम से बच्चों के जन्म के प्रमाणन में धोखाधड़ी, गलत जानकारी या अन्य कोई अनियमितता की संभावना को कम करने की कोशिश की जा रही है।

पहले क्या था नियम?

पहले, यदि बच्चे का जन्म 1 साल के भीतर हो चुका था, तो उसके जन्म प्रमाण पत्र के लिए स्थानीय बीडीओ के पास आवेदन किया जाता था। बीडीओ के आदेश पर तत्काल प्रमाण पत्र जारी किया जाता था। इस प्रक्रिया में काफी कम समय लगता था और यह पारंपरिक तरीके से चलता था। कई बार कुछ मामलों में दस्तावेज़ों में त्रुटियाँ भी आ जाती थीं क्योंकि बीडीओ के पास इतने मामलों का आंकलन करने का समय कम होता था। इसके परिणामस्वरूप कुछ गलत दस्तावेज़ भी जारी हो जाते थे, जिनकी सत्यता बाद में जांच में सामने आती थी।

अब क्या है नया नियम?

नए नियम के तहत, अब यदि किसी बच्चे की उम्र एक वर्ष से अधिक हो जाती है और उसके जन्म का प्रमाण पत्र बनवाना है, तो एसडीएम से अनुमति ली जानी होगी। यह सुनिश्चित करेगा कि प्रमाण पत्र जारी करने से पहले सही दस्तावेज़ों की जांच हो, ताकि किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी या दस्तावेज़ों में गड़बड़ी को रोका जा सके। एसडीएम के पास जन्म प्रमाण पत्र को मंजूरी देने के अधिकार होंगे, और यह केवल सच्चे मामलों में ही जारी होगा।

एसडीएम की अनुमति के लिए आवेदन करने के बाद, संबंधित अधिकारी मामले की विस्तृत जांच करेंगे, जिसमें बच्चे का जन्म स्थान, जन्म तिथि और अन्य आवश्यक दस्तावेज़ों की सत्यता की पुष्टि की जाएगी। इसके बाद ही प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। प्रशासन का मानना है कि इस प्रक्रिया से गलत जन्म प्रमाण पत्र के मामलों में कमी आएगी, और सरकारी दस्तावेज़ों की सत्यता सुनिश्चित की जा सकेगी।

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इस नए नियम का क्या असर होगा?

यह नियम बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र के लिए अधिक पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। अब कोई भी व्यक्ति बिना उचित दस्तावेज़ों के जन्म प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं कर सकेगा। इससे प्रशासन को भी बेहतर तरीके से बच्चों के जन्म और उनके संबंधित दस्तावेज़ों पर नज़र रखने में मदद मिलेगी। इस कदम से गलत जानकारी देने की प्रवृत्तियों पर भी अंकुश लगेगा, जो कि भविष्य में किसी भी प्रकार की कानूनी समस्या से बचने में मददगार साबित होगा।

बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ होता है, जो स्कूल में प्रवेश से लेकर सरकारी योजनाओं के लाभ तक कई कार्यों में जरूरी होता है। अगर इस दस्तावेज़ में कोई गलती होती है, तो वह भविष्य में समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए इस नए नियम को बच्चों के हित में देखा जा सकता है, जिससे उनकी पहचान और जन्म के विवरणों की सही जानकारी सुनिश्चित की जा सके।

क्या इस बदलाव से लोग परेशान होंगे?

नई प्रक्रिया के लागू होने से कुछ समय के लिए लोगों को असुविधा हो सकती है, खासकर उन परिवारों को जो पहले से ही जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन कर चुके थे। उन्हें अब एसडीएम से अनुमति लेने की अतिरिक्त प्रक्रिया से गुजरना होगा, जो समय और प्रयास की मांग कर सकती है। हालांकि, यह नया नियम लंबे समय में यह सुनिश्चित करेगा कि दस्तावेज़ सही हैं और किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी नहीं हो रही है।

साथ ही, प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि एसडीएम से अनुमति प्राप्त करने की प्रक्रिया सरल और तेज़ हो, ताकि लोगों को ज्यादा परेशानी का सामना न करना पड़े। इसके अलावा, इस नई प्रक्रिया को लागू करने के लिए प्रशासन ने भी कई जागरूकता अभियान शुरू किए हैं, ताकि लोगों को इसके बारे में सही जानकारी मिल सके और वे समय पर सभी आवश्यक कदम उठा सकें।

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