बच्चों के पास रंग या गुलाल पाया तो एग्जाम कैंसिल? होली से पहले स्कूल ने जारी किया बड़ा फरमान

बच्चों के पास रंग या गुलाल पाया तो एग्जाम कैंसिल? होली से पहले स्कूल ने जारी किया बड़ा फरमान
बच्चों के पास रंग या गुलाल पाया तो एग्जाम कैंसिल? होली से पहले स्कूल ने जारी किया बड़ा फरमान
बच्चों के पास रंग या गुलाल पाया तो एग्जाम कैंसिल? होली से पहले स्कूल ने जारी किया बड़ा फरमान

बस्ती: होली के त्योहार से पहले उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में एक निजी स्कूल द्वारा जारी किए गए फरमान से विवाद खड़ा हो गया है। स्कूल प्रशासन ने निर्देश जारी किया है कि यदि किसी छात्र के पास रंग या गुलाल पाया जाता है तो उसकी परीक्षा रद्द कर दी जाएगी। इस आदेश के बाद स्थानीय संगठनों और अभिभावकों ने इसका कड़ा विरोध किया है। विश्व हिंदू महासंघ सहित कई संगठनों ने इस आदेश को हिंदू त्योहारों पर प्रतिबंध लगाने जैसा करार दिया है और स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

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बस्ती के सेंट जोसेफ स्कूल द्वारा जारी यह फरमान न केवल विवादास्पद है, बल्कि इसे लेकर व्यापक विरोध भी देखने को मिल रहा है। होली जैसा प्रमुख भारतीय त्योहार किसी भी तरह के प्रतिबंध का हिस्सा नहीं बनना चाहिए। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और स्कूल प्रबंधन अपने इस आदेश पर पुनर्विचार करता है या नहीं।

स्कूल ने जारी किया सख्त फरमान

बस्ती के सेंट जोसेफ स्कूल जिगिना ने निर्देश जारी करते हुए स्पष्ट किया कि कोई भी छात्र होली के दौरान रंग या गुलाल का उपयोग नहीं करेगा। साथ ही, उनके अभिभावकों को भी किसी तरह की पार्टी आयोजित करने से मना किया गया है। स्कूल प्रशासन ने कहा है कि इस आदेश का उल्लंघन करने पर छात्र की परीक्षा रद्द कर दी जाएगी।

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जैसे ही यह आदेश सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, इसका विरोध तेज हो गया। समाजसेवी और विभिन्न संगठनों ने इसे बहुसंख्यक हिंदू समाज की आस्था और धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ बताया।

हिंदू संगठनों और अभिभावकों का विरोध

इस फरमान के जारी होने के बाद विश्व हिंदू महासंघ और अन्य हिंदू संगठनों ने इसका कड़ा विरोध किया। समाजसेवी चंद्रमणि पांडेय ने इसे तुगलकी फरमान करार देते हुए कहा कि किसी भी शिक्षण संस्थान को धार्मिक त्योहारों के आयोजन या मनाने को प्रतिबंधित करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब हिंदू समाज क्रिसमस जैसे त्योहारों को लेकर कोई आपत्ति नहीं जताता, तो फिर होली जैसे पारंपरिक पर्व को स्कूल द्वारा प्रतिबंधित करना क्यों जायज है?

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चंद्रमणि पांडेय ने प्रशासन से मांग की कि स्कूल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और इस आदेश को तुरंत रद्द किया जाए। उन्होंने कहा कि किसी भी विद्यालय का उद्देश्य केवल शिक्षा देना है, न कि धार्मिक रीति-रिवाजों पर प्रतिबंध लगाना।

सोशल मीडिया पर उठा विवाद

सोशल मीडिया पर इस फरमान के वायरल होते ही लोग स्कूल प्रबंधन के इस निर्णय पर सवाल उठाने लगे। कई लोगों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया। सोशल मीडिया पर #होली_पर_प्रतिबंध और #SchoolBanOnHoli जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।

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कई अभिभावकों ने भी इस फरमान का विरोध किया और इसे स्कूल की तानाशाही करार दिया। उन्होंने कहा कि होली भारत का एक प्रमुख त्योहार है और इस पर प्रतिबंध लगाना किसी भी संस्थान को शोभा नहीं देता।

प्रशासन का क्या कहना है?

बस्ती जिला प्रशासन ने मामले का संज्ञान लिया है और कहा है कि स्कूल प्रबंधन से इस विषय पर जवाब मांगा जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि यदि स्कूल का फरमान छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है तो उचित कार्रवाई की जाएगी।

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अभी तक स्कूल प्रबंधन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन स्थानीय संगठनों और जनता के विरोध को देखते हुए इस मुद्दे पर जल्द ही कोई निर्णय लिया जा सकता है।

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By Rohit Kumar

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