भारत का इकलौता राज्य जहां करोड़पतियों को भी नहीं देना पड़ता ₹1 टैक्स! जानें कैसे बिना टेंशन बचाते हैं कमाई

क्या आप जानते हैं कि भारत में एक राज्य ऐसा भी है जहां लोगों को सरकार को एक रुपये का भी इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता? पढ़ें पूरी रिपोर्ट और जानें Section 10(26AAA) और Article 371(F) के पीछे छिपा पूरा सच

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Written byRohit Kumar

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भारत का इकलौता राज्य जहां करोड़पतियों को भी नहीं देना पड़ता ₹1 टैक्स! जानें कैसे बिना टेंशन बचाते हैं कमाई
भारत का इकलौता राज्य जहां करोड़पतियों को भी नहीं देना पड़ता ₹1 टैक्स! जानें कैसे बिना टेंशन बचाते हैं कमाई

भारत में सिक्किम (Sikkim) को एक विशेष टैक्स छूट प्राप्त राज्य के तौर पर जाना जाता है। इसे देश का इकलौता ऐसा राज्य माना जाता है, जहां के मूल निवासियों को आयकर (Income Tax) से पूरी तरह छूट दी गई है। यह छूट आयकर अधिनियम 1961 (Income Tax Act, 1961) की धारा 10(26AAA) (Section 10(26AAA)) के तहत दी जाती है। यही कारण है कि सिक्किम को आमतौर पर “Tax Free State” भी कहा जाता है।

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सिक्किम को “Tax Free State” कहे जाने का कारण केवल उसकी भौगोलिक स्थिति या आर्थिक स्थिति नहीं, बल्कि उसका ऐतिहासिक और संवैधानिक महत्व है। भारत में विलय की विशिष्ट परिस्थितियों के चलते इस राज्य को विशेष टैक्स छूट मिली है, जिसे अभी तक बरकरार रखा गया है। Section 10(26AAA) और Article 371(F) जैसे प्रावधानों ने सिक्किम को कानूनी और आर्थिक रूप से विशिष्ट स्थान दिलाया है।

सिक्किम को कैसे मिली टैक्स छूट?

सिक्किम के लोगों को जो टैक्स से राहत मिली है, उसका संबंध भारत में इस राज्य के ऐतिहासिक विलय से जुड़ा है। वर्ष 1975 में सिक्किम ने भारत में विलय किया था, लेकिन इस विलय के साथ ही कुछ विशेष शर्तें भी तय की गई थीं। इनमें सबसे अहम शर्त यह थी कि भारत सरकार सिक्किम के पुराने कानूनों और सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान को बरकरार रखेगी।

इसी संदर्भ में भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद जोड़ा गया, जिसे Article 371(F) कहा जाता है। इस अनुच्छेद के माध्यम से सिक्किम को विशेष राज्य का दर्जा (Special Status) दिया गया और उसके नागरिकों को टैक्स में विशेष छूट प्रदान की गई।

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क्या है आयकर अधिनियम की धारा 10(26AAA)?

Section 10(26AAA) आयकर अधिनियम की वह विशेष धारा है, जिसके तहत सिक्किम के निवासियों को आयकर से पूरी तरह छूट प्राप्त है। इसका स्पष्ट अर्थ यह है कि सिक्किम का कोई भी मूल निवासी, चाहे उसकी आय ब्याज (Interest), डिविडेंड (Dividend) या किसी अन्य माध्यम से क्यों न हो, उसे इनकम टैक्स नहीं देना होता।

इस धारा के अनुसार, “सिक्किम का निवासी” वह व्यक्ति माना जाता है, जो भारत में इस राज्य के विलय (1975) से पहले वहां का निवासी था और जिसे Sikkim Subjects Regulation, 1961 के तहत सिक्किम सब्जेक्ट माना गया हो, या फिर उसके वंशज हों।

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किसे मिलती है यह छूट?

धारा 10(26AAA) के तहत मिलने वाली टैक्स छूट केवल उन्हीं लोगों को मिलती है:

  • जो सिक्किम के भारत में विलय से पहले से वहां निवास कर रहे थे।
  • जिनका नाम Sikkim Subjects Regulation, 1961 के तहत बने रजिस्टर में शामिल है, या जो ऐसे किसी व्यक्ति के उत्तराधिकारी (descendant) हैं।

यह छूट केवल व्यक्तिगत आय पर लागू होती है। यदि कोई व्यक्ति सिक्किम का मूल निवासी नहीं है, या किसी कंपनी या संस्था के रूप में वहां कार्य कर रहा है, तो उसे सामान्य इनकम टैक्स नियमों का पालन करना होता है।

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क्या यह छूट हमेशा के लिए है?

यह छूट अभी तक लागू है और केंद्र सरकार द्वारा इसे बार-बार बढ़ाया गया है। हालाँकि, समय-समय पर इस विशेष छूट पर बहस होती रहती है, क्योंकि यह बाकी राज्यों के नागरिकों की तुलना में सिक्किम के लोगों को एक अतिरिक्त लाभ देती है। लेकिन जब तक अनुच्छेद 371(F) और आयकर अधिनियम की धारा 10(26AAA) में संशोधन नहीं किया जाता, तब तक यह छूट जारी रहेगी।

सिक्किम की टैक्स छूट का प्रभाव

इस टैक्स छूट का सबसे बड़ा प्रभाव यह है कि सिक्किम के नागरिकों की टैक्स देनदारी शून्य हो जाती है। इससे राज्य के अंदरूनी आर्थिक ढांचे पर भी असर पड़ता है। जहां एक ओर यह सुविधा वहां के निवासियों को वित्तीय राहत देती है, वहीं दूसरी ओर अन्य राज्यों के नागरिकों में असमानता की भावना भी उत्पन्न हो सकती है। इसके बावजूद, चूंकि यह छूट ऐतिहासिक समझौतों और संवैधानिक प्रावधानों पर आधारित है, इसलिए इसका विशेष महत्व बना हुआ है।

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क्या सिक्किम के बाहर रहने वाले मूल निवासी को भी छूट मिलती है?

यदि कोई व्यक्ति सिक्किम का मूल निवासी है और उसका नाम Sikkim Subjects के रजिस्टर में शामिल है, तो वह भारत के किसी भी कोने में रहकर भी इस टैक्स छूट का लाभ उठा सकता है। हालांकि, इस विषय पर समय-समय पर कानूनी विवाद भी हुए हैं, लेकिन वर्तमान नियम यही संकेत देते हैं।

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