कृषि क्षेत्र में सोलर पैनल को स्थापित कर के बिजली की कई आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है, केंद्र सरकार और राज्य सरकार नागरिकों को सोलर सिस्टम को स्थापित करने के लिए आर्थिक मदद के माध्यम से प्रेरित कर रही है। किसान अपने कृषि क्षेत्र में सोलर पैनल लगाकर कृषि को जारी रख बिजली का उत्पादन कर सकते हैं। और बिजली का प्रयोग कर सिंचाई कार्य कर सकते हैं।
सोलर सिस्टम करेगा बचत
सोलर सिस्टम को स्थापित करने के बाद उससे बनने वाली बिजली का प्रयोग करने से ग्रिड बिजली की निर्भरता को कम किया जाता है, और जीवाश्म ईंधन जैसे डीजल के प्रयोग को भी खत्म किया जा सकता है। ऐसे में सोलर पैनल से प्राप्त होने वाली बिजली का प्रयोग कर के खर्चे को कम किया जा सकता है। और आर्थिक बचत की जा सकती है।
90% छूट पर लगाएं सोलर सिस्टम
केंद्र सरकार की योजना का लाभ प्राप्त कर सोलर पंप को लगाने पर आप 90% तक सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं, 2HP के सोलर पंप को लगाने में लगभग 2 लाख से ज्यादा रुपये का खर्चा होता है, सब्सिडी का लाभ प्राप्त करने के बाद आप इस पंप को 50 हजार रुपये में लगा सकते हैं। ऐसे में किसान आर्थिक बचत करके सिंचाई करने के लिए एक बढ़िया सोलर पंप लगा सकते हैं। सब्सिडी की अधिक जानकारी आप कृषि विभाग से प्राप्त कर सकते हैं।
एक बार लगाएं सोलर, सालों-साल चलाएं
सोलर पैनल को एक बार लगाने के बाद लंबे समय तक उनका प्रयोग कर फ्री बिजली प्राप्त की जा सकती है, सोलर पैनल पर निर्माता ब्रांड द्वारा 25 साल तक वारंटी कम से कम प्रदान की जाती है, ऐसे में आप इन उपकरणों का फायदा लंबे समय तक प्राप्त कर सकते हैं। सोलर पैनल को अपने खेत में लगाने के बाद आप विकसित तकनीक से सिंचाई और अन्य कृषि कार्य कर सकते हैं। और अपनी ये बढ़ा सकते हैं।
सोलर पैनल से कमाएं पैसे
सोलर पैनल को खेत में लगाने के बाद आप सिंचाई के ऑफ सीजन में सोलर पैनल से बनने वाली बिजली को इलेक्ट्रिक ग्रिड को भेज सकते हैं, ऐसे में आप सोलर पैनल के माध्यम से बनने वाली बिजली को बेच कर पैसे भी कमा सकते हैं। सोलर पैनल से बनने वाली बिजली का प्रयोग कर के आप बिजली की अन्य जरूरतों को भी पूरा कर सकते हैं।
कृषि विभाग से आप सोलर पंप की जानकारी प्राप्त करने के लिए संपर्क कर सकते हैं, और कृषि को भी आधुनिक तरीके से करने की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। सोलर उपकरणों के प्रयोग से पर्यावरण को भी स्वच्छ और सुरक्षित रखा जा सकता है, क्योंकि ये उपकरण किसी प्रकार का प्रदूषण उत्पन्न नहीं करते हैं, और कार्बन की मात्रा को कम करने में योगदान देते हैं।