पिता की कमाई संपत्ति पर नहीं होगा बेटे का अधिकार, जानिए क्या कहता है कानून

पैतृक संपत्ति में बेटे का जन्मसिद्ध अधिकार होता है, लेकिन स्वअर्जित संपत्ति पर नहीं। जानिए भारतीय कानून क्या कहता है और कब बनता है बेटे का अधिकार!

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Written byRohit Kumar

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पिता की कमाई संपत्ति पर नहीं होगा बेटे का अधिकार, जानिए क्या कहता है कानून

भारत में संपत्ति विवाद और अधिकारों को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। खासतौर पर यह मुद्दा तब उठता है जब बेटा अपने पिता की संपत्ति पर अपना अधिकार जताने की कोशिश करता है। आम धारणा के विपरीत, भारतीय कानून में स्पष्ट प्रावधान हैं, जो यह तय करते हैं कि पिता की संपत्ति पर बेटे का अधिकार कब होता है और कब नहीं।

पिता की स्वअर्जित संपत्ति पर बेटे का अधिकार

भारतीय कानून के अनुसार, अगर संपत्ति पिता की स्वअर्जित (Self-acquired) है, यानी कि वह पिता की मेहनत और कमाई से अर्जित की गई है, तो बेटे का उस पर कोई स्वाभाविक अधिकार नहीं होता। पिता अपनी इस संपत्ति को अपनी इच्छा के अनुसार बेच सकते हैं, दान कर सकते हैं, या वसीयत के जरिए किसी को भी हस्तांतरित कर सकते हैं।

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हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत, पिता की स्वअर्जित संपत्ति पर बेटे का अधिकार तभी बनता है, जब पिता उसे अपनी वसीयत में उत्तराधिकारी के रूप में चुनें। यदि पिता कोई वसीयत नहीं छोड़ते, तो संपत्ति का बंटवारा कानून के अनुसार किया जाएगा।

पैतृक संपत्ति पर बेटे का अधिकार

पैतृक संपत्ति (Ancestral property), जो परिवार के पूर्वजों से चली आ रही हो, पर बेटे का जन्मसिद्ध अधिकार होता है। इसका मतलब है कि बेटे को इस संपत्ति में जन्म से ही हिस्सा मिल जाता है।

पैतृक संपत्ति पर पिता को यह अधिकार नहीं है कि वह इसे बेचें या दान करें, जब तक कि परिवार के अन्य सदस्यों की सहमति न हो। इस संपत्ति में सभी उत्तराधिकारियों का समान अधिकार होता है, और इसका बंटवारा पीढ़ियों के अनुसार होता है।

स्वअर्जित और पैतृक संपत्ति में अंतर

  • स्वअर्जित संपत्ति: यह वह संपत्ति है जिसे पिता ने अपनी मेहनत और कमाई से अर्जित किया है। इस पर पिता का पूर्ण अधिकार होता है, और वह इसे अपनी इच्छा से बेच सकते हैं या किसी को भी दे सकते हैं।
  • पैतृक संपत्ति: यह संपत्ति पूर्वजों से प्राप्त होती है, और इसमें बेटे का जन्मसिद्ध अधिकार होता है। पिता इसे बिना सहमति के बेच या दान नहीं कर सकते।

जब पिता वसीयत नहीं छोड़ते

अगर पिता अपने जीवनकाल में वसीयत नहीं बनाते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है, तो उनकी स्वअर्जित संपत्ति का बंटवारा हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत किया जाएगा। इस स्थिति में, बेटे, बेटियां, और पत्नी को समान अधिकार मिलता है।

क्या पिता बेटे को संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं?

अगर संपत्ति पिता की स्वअर्जित है, तो वह अपने बेटे को संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं। पिता को अपनी संपत्ति को बेचने या किसी अन्य को देने का पूर्ण अधिकार है। लेकिन अगर संपत्ति पैतृक है, तो बेटे का उस पर जन्मसिद्ध अधिकार होता है, और उसे बेदखल नहीं किया जा सकता।

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Frequently Asked Questions (FAQs)

प्रश्न 1: क्या बेटे को पिता की स्वअर्जित संपत्ति पर अधिकार होता है?
उत्तर: नहीं, बेटे को पिता की स्वअर्जित संपत्ति पर तभी अधिकार मिलेगा जब पिता वसीयत में उसे उत्तराधिकारी बनाएंगे।

प्रश्न 2: पैतृक संपत्ति में बेटे का अधिकार कब बनता है?
उत्तर: पैतृक संपत्ति पर बेटे का जन्म से ही अधिकार होता है।

प्रश्न 3: अगर पिता वसीयत नहीं छोड़ते, तो संपत्ति का क्या होगा?
उत्तर: ऐसी स्थिति में, संपत्ति का बंटवारा हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार होगा।

प्रश्न 4: क्या पिता स्वअर्जित संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति को दे सकते हैं?
उत्तर: हां, पिता अपनी स्वअर्जित संपत्ति को अपनी इच्छा के अनुसार बेच या दान कर सकते हैं।

प्रश्न 5: क्या बेटे को पैतृक संपत्ति से बेदखल किया जा सकता है?
उत्तर: नहीं, पैतृक संपत्ति से बेटे को बेदखल नहीं किया जा सकता क्योंकि उसमें उसका जन्मसिद्ध अधिकार होता है।

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