School Reopen: गर्मी की छुट्टियां खत्म, बच्चों का रूटीन बदलने के लिए ये टिप्स अपनाएं, जानें

School Reopen: गर्मी की छुट्टियां खत्म, बच्चों का रूटीन बदलने के लिए ये टिप्स अपनाएं, जानें
School Reopen: गर्मी की छुट्टियां खत्म, बच्चों का रूटीन बदलने के लिए ये टिप्स अपनाएं, जानें
School Reopen: गर्मी की छुट्टियां खत्म, बच्चों का रूटीन बदलने के लिए ये टिप्स अपनाएं, जानें

गर्मी की छुट्टियां खत्म हो रही हैं और एक बार फिर से स्कूल बस की सीट पर बैठने का वक्त आ गया है। स्कूल रूटीन अब सिर्फ बच्चे के लिए नहीं, बल्कि पूरे परिवार के लिए एक बार फिर से अहमियत लेने लगा है। सुबह समय पर उठना, तैयार होना, टिफिन बनाना और स्कूल की ओर दौड़ना ये सब अब फिर से हर घर की कहानी बनने जा रहा है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या बच्चे को दोबारा रूटीन में लाना आसान है? क्या उसकी छुट्टियों की लय अब पढ़ाई की लय में तब्दील हो पाएगी?

बच्चे के व्यक्तित्व विकास में रूटीन की भूमिका

रूटीन सिर्फ समय पर सोने-जागने का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि ये बच्चे के व्यक्तित्व-निर्माण का अहम हिस्सा होता है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, बचपन में बनाई गई दिनचर्या बच्चों को अनुशासन, आत्म-विश्वास और समय प्रबंधन जैसे मूलभूत गुण सिखाती है। छुट्टियों के दौरान यह रूटीन टूट जाता है,बच्चे देर से सोते हैं, देर से उठते हैं, स्क्रीन टाइम बढ़ जाता है, और उनकी खाने-पीने की आदतें भी बिगड़ जाती हैं।

रूटीन का असर न केवल शारीरिक सेहत बल्कि मानसिक विकास पर भी होता है। एक स्थिर रूटीन बच्चे को सुरक्षित और स्थिर महसूस कराता है। जब उसे पता होता है कि कब क्या करना है, तो वह अपने कामों को बेहतर ढंग से अंजाम देता है। ऐसे में, गर्मियों की मस्ती से निकलकर पढ़ाई और स्कूल की लय में दोबारा लौटना बच्चों के लिए जरूरी है।

रूटीन में लौटने की चुनौती

छुट्टियों के बाद स्कूल का पहला दिन बच्चों के लिए ही नहीं, माता-पिता के लिए भी चुनौतीपूर्ण होता है। नींद पूरी नहीं होती, खाने का समय नहीं मिलता और दिन की शुरुआत तनावपूर्ण हो जाती है। यह बदलाव अचानक न हो, इसलिए स्कूल खुलने से कुछ दिन पहले ही धीरे-धीरे बच्चे को रूटीन में लाना जरूरी है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि बच्चे की दिनचर्या को दोबारा स्थापित करने के लिए कम से कम एक हफ्ते का समय देना चाहिए। यदि इस दौरान सही तरीके से रूटीन में ढाला जाए तो बच्चा सहजता से स्कूल लौट सकता है।

बच्चे की मदद के लिए अपनाएं ये व्यवहारिक रणनीति

बच्चे को रूटीन में लाने के लिए सबसे पहले जरूरी है उसकी नींद को ठीक करना। उसके सोने और उठने का समय धीरे-धीरे बदला जाए ताकि वह स्कूल के वक्त के अनुरूप शरीर को ढाल सके। इसके अलावा, सुबह की गतिविधियों को दोहराया जाए जैसे स्कूल की यूनिफॉर्म पहनना, बैग तैयार करना, टिफिन तैयार करना ताकि बच्चे को ये सब सामान्य लगने लगे।

खेल और स्क्रीन टाइम को भी नियंत्रित करना जरूरी है। यदि बच्चा घंटों मोबाइल या टीवी में व्यस्त रहेगा तो वह दोबारा पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाएगा। ऐसे में उसकी ऊर्जा को सही दिशा देने के लिए पेरेंट्स को उसे बुक्स, पज़ल्स या रचनात्मक गतिविधियों में लगाना होगा।

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इसके साथ ही, माता-पिता को भी खुद रूटीन में आना होगा। यदि बच्चा देखेगा कि पूरा घर एक तय समय के अनुसार चल रहा है, तो वह खुद-ब-खुद उस रूटीन का हिस्सा बन जाएगा।

रूटीन को बनाए रखना क्यों है जरूरी

शुरुआत में थोड़ी कठिनाई जरूर हो सकती है लेकिन एक बार रूटीन बन जाए तो बच्चे का जीवन ज्यादा संगठित हो जाता है। उसका समय बर्बाद नहीं होता, उसका ध्यान केंद्रित रहता है और वह बेहतर प्रदर्शन कर पाता है। इसके अलावा, रूटीन बच्चों को मानसिक स्थिरता भी देता है। वे जानते हैं कि उनका अगला कदम क्या होगा और यह उन्हें चिंता या असमंजस से दूर रखता है।

विशेषज्ञ बताते हैं कि नियमित रूटीन बच्चों में आत्म-निर्भरता को भी बढ़ावा देता है। वे खुद से काम करना सीखते हैं, जिससे आत्म-विश्वास बढ़ता है और वे सामाजिक रूप से ज्यादा सक्षम होते हैं।

रूटीन और फन के बीच संतुलन भी है जरूरी

हालांकि रूटीन जरूरी है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि फन को पूरी तरह हटा दिया जाए। बच्चे को रूटीन के साथ-साथ थोड़ी फुर्सत और मनोरंजन की भी जरूरत होती है। वीकेंड पर उसे खेलने का समय दें, या स्कूल के बाद हल्की-फुल्की एक्टिविटी में शामिल करें।

इस तरह बच्चा रूटीन को बोझ नहीं, बल्कि एक नियमित जीवनशैली के रूप में स्वीकार करेगा। जरूरी है कि उसे यह समझाया जाए कि रूटीन का मतलब पाबंदी नहीं, बल्कि उसकी खुद की बेहतरी के लिए एक सही दिशा है।

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By Rohit Kumar

नमस्ते, Eath NEWJ में आपका स्वागत है! मैं रोहित कुमार हूं, Earthnewj.com चलाने वाला व्यक्ति। कई समाचार पोर्टलों में काम करने के बाद अपने 8 सालों के अनुभव से मैं अर्थ न्यूज को चला रहा हूँ, इस पोर्टल पर मेरी कोशिश हैं की अपने पाठकों को काम की खबर दे पाऊँ।

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