
टाटा ग्रुप (TATA Group) की प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स रिटेल चेन क्रोमा (Croma) एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार वजह सकारात्मक नहीं है। मोबाइल फोन रिटेलर्स के राष्ट्रीय संगठन ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन (AIMRA) ने क्रोमा के एक कथित भ्रामक विज्ञापन को लेकर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) से औपचारिक शिकायत की है। यह मामला 27 मार्च, 2025 को मराठी अख़बार लोकमत में प्रकाशित एक विज्ञापन से जुड़ा है, जिसे संगठन ने गंभीर रूप से भ्रामक करार दिया है।
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टाटा समूह की कंपनी क्रोमा का यह विवाद एक अहम उदाहरण है जो बताता है कि ब्रांड्स को विज्ञापन में पारदर्शिता बरतनी चाहिए। AIMRA की इस शिकायत ने उपभोक्ता अधिकारों और मार्केटिंग नैतिकताओं पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि CCPA इस शिकायत पर क्या कार्रवाई करती है, और क्या यह मामला बड़े ब्रांड्स की मार्केटिंग रणनीतियों को नया रुख देने वाला साबित होगा।
AIMRA ने जताई आपत्ति, CCPA को लिखा पत्र
AIMRA की ओर से CCPA की मुख्य आयुक्त निधि खरे को एक पत्र लिखा गया है जिसमें संगठन ने मांग की है कि महाराष्ट्र में क्रोमा के स्टोरों की जांच की जाए। पत्र में AIMRA के संस्थापक चेयरमैन कैलाश लख्यानी ने लिखा, “यह पत्र CCPA से एक मजबूत और जरूरी अपील है कि वह टाटा समूह की कंपनी क्रोमा द्वारा प्रकाशित भ्रामक विज्ञापन की जांच करे।”
AIMRA का आरोप है कि क्रोमा ने अपने विज्ञापन में उत्पादों की अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) और ऑफर कीमत को इस प्रकार प्रस्तुत किया है, जिससे उपभोक्ताओं को भ्रम हो सकता है। संगठन का दावा है कि यह ऑफर कीमतें वास्तव में कई छिपी शर्तों और नियमों पर आधारित होती हैं, जो स्पष्ट रूप से विज्ञापन में नहीं बताई जातीं।
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AIMRA का आरोप: उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन
AIMRA ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि क्रोमा जैसे बड़े ब्रांड द्वारा इस तरह की रणनीति अपनाना केवल बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने का तरीका नहीं, बल्कि यह उपभोक्ताओं को धोखा देने की कोशिश है। संगठन के मुताबिक, जब ग्राहक विज्ञापित कीमत पर उत्पाद खरीदने स्टोर पर पहुंचते हैं, तब उन्हें अलग मूल्य या शर्तें बताई जाती हैं, जिससे उपभोक्ता भ्रमित और परेशान होते हैं।
इस पर AIMRA ने कहा, “यह उपभोक्ता अधिकारों का घोर उल्लंघन है और स्पष्ट रूप से ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए भ्रामक मार्केटिंग की मंशा को दर्शाता है।”
क्या है विवादित विज्ञापन में?
AIMRA के अनुसार, 27 मार्च, 2025 को मराठी दैनिक लोकमत में प्रकाशित इस विज्ञापन में कुछ मोबाइल फोन मॉडल्स की कीमतें MRP के मुकाबले काफी कम बताई गई थीं। हालांकि, संगठन का दावा है कि असल में इन कीमतों पर छूट मिलने के लिए ग्राहकों को विशेष भुगतान विकल्प, बैंक ऑफर, या एक्सचेंज ऑफर को अपनाना पड़ता है, जो हर ग्राहक के लिए संभव नहीं होता।
यही नहीं, AIMRA ने यह भी कहा कि ऐसे ऑफर्स की शर्तें बहुत छोटे अक्षरों में लिखी जाती हैं, जिन्हें ग्राहक अक्सर पढ़ नहीं पाते।
टाटा ग्रुप और क्रोमा की चुप्पी
फिलहाल इस पूरे मामले में टाटा समूह या क्रोमा की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन यह विवाद ऐसे समय सामने आया है जब उपभोक्ताओं के बीच ब्रांड की विश्वसनीयता सबसे बड़ा मूल्य है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि CCPA इस मामले में सख्ती से कार्रवाई करता है, तो यह देशभर में विज्ञापन और मार्केटिंग रणनीतियों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।
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CCPA के नियम और भ्रामक विज्ञापन
भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत CCPA को अधिकार है कि वह किसी भी भ्रामक, झूठे या अधूरे विज्ञापन के खिलाफ कार्रवाई करे। यदि जांच में यह पाया जाता है कि क्रोमा ने उपभोक्ताओं को भ्रमित करने के उद्देश्य से जानबूझकर गलत जानकारी दी, तो कंपनी पर भारी जुर्माना या प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है।
AIMRA की अपील: निष्पक्ष बाजार की जरूरत
AIMRA ने अंत में यह भी कहा कि देश में 1.5 लाख मोबाइल फोन रिटेलर्स हैं, जो पारंपरिक तरीके से ग्राहकों को सेवा प्रदान करते हैं। लेकिन अगर बड़े ब्रांड इस तरह के भ्रामक प्रचार के सहारे बाजार पर कब्जा करते हैं, तो यह छोटे कारोबारियों के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।