1 अप्रैल से UPI में होगा बड़ा बदलाव! NPCI की नई गाइडलाइन आपके लेन-देन को कैसे करेगी प्रभावित?

अगर आप Google Pay, PhonePe या Paytm जैसे यूपीआई ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं, तो ये खबर आपके लिए जरूरी है! 1 अप्रैल 2025 से NPCI की नई गाइडलाइन लागू हो रही है, जिसमें मोबाइल नंबर अपडेट न होने पर आपका ट्रांजेक्शन फेल हो सकता है। जानिए क्या हैं नए नियम और कैसे बचें परेशानियों से

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Written byRohit Kumar

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1 अप्रैल से UPI में होगा बड़ा बदलाव! NPCI की नई गाइडलाइन आपके लेन-देन को कैसे करेगी प्रभावित?
1 अप्रैल से UPI में होगा बड़ा बदलाव! NPCI की नई गाइडलाइन आपके लेन-देन को कैसे करेगी प्रभावित?

यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) का इस्तेमाल करने वाले करोड़ों यूजर्स के लिए बड़ी खबर है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने बैंकों और यूपीआई सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए नई गाइडलाइन जारी की है, जो 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी। इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य यूपीआई सिस्टम को और अधिक सुरक्षित, भरोसेमंद और यूजर-फ्रेंडली बनाना है।

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NPCI की नई गाइडलाइन का मकसद

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नई गाइडलाइन के तहत अब बैंकों और यूपीआई ऐप्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि मोबाइल नंबरों की जानकारी नियमित रूप से अपडेट होती रहे। यह अपडेट हर हफ्ते किया जाएगा ताकि गलत यूपीआई ट्रांजेक्शन से बचा जा सके, जो अक्सर पुराने या री-असाइन किए गए मोबाइल नंबरों के कारण हो जाते हैं।

NPCI का कहना है कि मोबाइल नंबर बदलने या मोबाइल नंबर के रीसाइक्लिंग (recycling) के मामलों में यूजर्स के पुराने यूपीआई आईडी से जुड़े ट्रांजेक्शन गलत अकाउंट में चले जाते हैं। इससे वित्तीय नुकसान की आशंका रहती है। इसी को रोकने के लिए यह नया नियम लागू किया जा रहा है।

मोबाइल नंबर अपडेट करना होगा जरूरी

बैंकों और यूपीआई ऐप्स को अब हर हफ्ते अपने सिस्टम में जुड़े मोबाइल नंबरों की जांच करनी होगी और यदि कोई नंबर निष्क्रिय पाया जाए या वह किसी नए यूजर को दिया गया हो, तो तुरंत अपडेट करना होगा।

NPCI ने यह भी साफ किया है कि 1 अप्रैल 2025 से सभी सर्विस प्रोवाइडर्स को यह रिपोर्ट हर महीने NPCI को भेजनी होगी कि वे अपनी यूपीआई आईडी (UPI ID) और मोबाइल नंबर की मैनेजमेंट कैसे कर रहे हैं।

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यूपीआई आईडी असाइन करने से पहले लेनी होगी इजाजत

गाइडलाइन के अनुसार अब कोई भी यूपीआई सर्विस प्रोवाइडर बिना यूजर की स्पष्ट सहमति के UPI ID असाइन नहीं कर सकता। यह नियम इसलिए लाया गया है ताकि कोई भी व्यक्ति बिना जानकारी के किसी यूपीआई सिस्टम में शामिल न हो जाए, और उनकी वित्तीय सुरक्षा बनी रहे।

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मोबाइल नंबर रीसाइक्लिंग बना वजह

भारत में दूरसंचार विभाग के नियमों के अनुसार, यदि कोई मोबाइल नंबर 90 दिनों तक इस्तेमाल नहीं होता है, तो वह नंबर नए ग्राहक को दिया जा सकता है। इस प्रक्रिया को मोबाइल नंबर रीसाइक्लिंग कहा जाता है। जब पुराना नंबर किसी नए यूजर को दिया जाता है और वह नंबर किसी बैंकिंग सिस्टम या यूपीआई आईडी से जुड़ा होता है, तो ट्रांजेक्शन गलत जगह पहुंच सकता है।

इसी समस्या को रोकने के लिए NPCI ने यह अनिवार्य किया है कि सभी सर्विस प्रोवाइडर अपने सिस्टम को अपडेट रखें और इस रीसाइक्लिंग की जानकारी को भी समय रहते मैनेज करें।

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31 मार्च तक है तैयारियों का समय

NPCI ने बैंकों और ऐप्स को 31 मार्च 2025 तक का समय दिया है ताकि वे इन नए नियमों के अनुसार अपने सिस्टम और प्रक्रियाओं को अपडेट कर लें। 1 अप्रैल 2025 से इन नियमों का सख्ती से पालन किया जाएगा और मासिक रिपोर्टिंग की अनिवार्यता लागू हो जाएगी।

यूपीआई सिस्टम को सुरक्षित बनाने की दिशा में कदम

यह गाइडलाइन डिजिटल पेमेंट्स की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा कदम है। भारत में यूपीआई ट्रांजेक्शन की संख्या तेजी से बढ़ी है, और इसके साथ ही धोखाधड़ी के मामलों में भी वृद्धि हुई है। NPCI के ये नए नियम डिजिटल लेन-देन की सुरक्षा को और मजबूत करेंगे और आम यूजर का भरोसा बनाए रखेंगे।

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आने वाले समय में और भी बदलाव संभव

जैसे-जैसे डिजिटल पेमेंट्स का दायरा बढ़ रहा है, NPCI लगातार सिस्टम को अपडेट और सुरक्षित रखने की दिशा में कदम उठा रहा है। इस नई गाइडलाइन से न केवल यूपीआई का इकोसिस्टम मजबूत होगा, बल्कि इसके जरिए यूजर्स को अधिक ट्रांसपेरेंसी और सुरक्षा का अनुभव मिलेगा।

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