
उत्तर प्रदेश में बिजली संकट और महंगे Electricity Bill को लेकर जनता की नाराजगी अब खुलकर सामने आ रही है। लखीमपुर खीरी से शुरू हुए एक बड़े आंदोलन ने राज्य सरकार के सामने बिजली से जुड़े कई मुद्दों को प्रमुखता से रखा है। इस आंदोलन की अगुवाई भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने की, जिसमें गरीब परिवारों को हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने, बिजली कटौती खत्म करने और बढ़े हुए बिल माफ करने की मांग प्रमुख रही।
लखीमपुर में हुआ जोरदार प्रदर्शन, सड़कों पर गूंजा बिजली संकट
लखीमपुर खीरी में पार्टी की केंद्रीय कमेटी सदस्य और जिला महासचिव कृष्णा अधिकारी के नेतृत्व में CPI कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे। उनके हाथों में झंडे और तख्तियां थीं, और वे सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। प्रदर्शनकारी स्पष्ट रूप से कह रहे थे कि अब समय आ गया है जब गरीब परिवारों को बिजली संकट से राहत मिलनी चाहिए। इस प्रदर्शन ने एक बार फिर प्रदेश की Power Supply व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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मुख्यमंत्री को सौंपा गया 11 सूत्रीय मांग पत्र
इस जनआंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने अधिशासी अभियंता के माध्यम से मुख्यमंत्री को एक 11 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा। इस पत्र में सबसे अहम मांग रही कि उत्तर प्रदेश सरकार बिजली व्यवस्था को Private Sector को सौंपने की प्रक्रिया को रोके और बिजली व्यवस्था को पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में बनाए रखे। साथ ही, पत्र में यह मांग भी की गई कि गरीब परिवारों को 300 यूनिट फ्री बिजली हर महीने दी जाए, ताकि बढ़ते बिजली बिलों का बोझ उन पर न पड़े।
बिजली कटौती और बढ़ते बिलों से त्रस्त जनता
प्रदेश के कई जिलों में लगातार बिजली कटौती की समस्या बनी हुई है। कई इलाकों में तो 8 से 12 घंटे तक Power Cut आम बात हो गई है। इसके साथ ही Electricity Bill में लगातार बढ़ोतरी ने मध्यमवर्गीय और निम्नवर्गीय परिवारों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। किसानों की बात करें तो खेतों की सिंचाई तक बाधित हो रही है, जिससे खेती प्रभावित हो रही है और आमदनी पर असर पड़ रहा है।
चुनावी वादों को याद दिलाया गया
प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने सरकार को उसके Election Promises भी याद दिलाए। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले राज्य सरकार ने बिजली को लेकर जो वादे किए थे, अब उन्हें पूरा करने का वक्त आ गया है। सस्ती और निर्बाध बिजली आपूर्ति की बात तो दूर, अब तो महंगी बिजली और लंबी कटौतियों ने आम आदमी का जीवन बेहाल कर दिया है।
Renewable Energy को लेकर सरकार की नीतियों पर उठे सवाल
इस आंदोलन के जरिए Renewable Energy और ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों को लेकर राज्य सरकार की नीतियों पर भी सवाल खड़े किए गए। CPI नेताओं ने कहा कि अगर सरकार सचमुच Green Energy की बात करती है, तो फिर उसे गांव-गांव तक सौर ऊर्जा और अन्य वैकल्पिक स्रोतों का विकास करना चाहिए, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की निर्भरता कम हो सके और कटौतियों से राहत मिले।
क्या पूरे प्रदेश में फैलेगा यह आंदोलन?
लखीमपुर खीरी से उठी यह आवाज अब प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी पहुंच रही है। विभिन्न जिलों में CPI और अन्य विपक्षी दलों के कार्यकर्ता इस आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह मुद्दा आगामी चुनावों में एक Major Political Agenda बन सकता है, खासकर तब जब गर्मी के मौसम में बिजली की मांग चरम पर है और सरकार इसका समाधान नहीं दे पा रही है।
क्या सरकार मानेगी मांगे?
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या राज्य सरकार इन मांगों पर विचार करती है या नहीं। अगर सरकार इन मांगों को नजरअंदाज करती है, तो आने वाले समय में यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है। Free Electricity, कटौती से राहत और जनहित में लिए गए निर्णय ही सरकार के लिए जनविश्वास बनाए रखने का एकमात्र रास्ता हो सकते हैं।