
कर्ज (Loan) लेना आज के समय में आम हो गया है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति समय पर लोन का भुगतान नहीं करता है तो बैंक और वित्तीय संस्थाएं (Financial Institutions) रिकवरी एजेंट्स (Recovery Agents) की मदद लेती हैं। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India – RBI) ने रिकवरी एजेंट्स के लिए सख्त नियम बनाए हैं ताकि कर्जदारों के साथ कोई गलत व्यवहार न हो। इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि लोन नहीं चुकाने की स्थिति में रिकवरी एजेंट्स क्या कर सकते हैं और RBI ने उनके लिए किन नियमों को लागू किया है।
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कौन होते हैं रिकवरी एजेंट?
रिकवरी एजेंट वे पेशेवर होते हैं जिन्हें बैंक या नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां (NBFCs) नियुक्त करती हैं ताकि बकाया लोन की वसूली की जा सके। ये एजेंट बकायादार से संपर्क कर भुगतान के लिए कहते हैं और अगर जरूरत पड़े तो कानूनी कार्रवाई भी कर सकते हैं।
लोन नहीं चुकाने पर क्या कदम उठा सकते हैं रिकवरी एजेंट?
अगर कोई उधारकर्ता (Borrower) समय पर EMI का भुगतान नहीं करता है तो बैंक उसे पहले नोटिस भेजते हैं। कई बार फोन कॉल, ईमेल या पत्र के माध्यम से भी संपर्क किया जाता है। अगर फिर भी भुगतान नहीं होता तो रिकवरी एजेंट को भेजा जाता है। एजेंट उधारकर्ता से व्यक्तिगत रूप से मिलकर भुगतान करने के लिए कहते हैं और समझौते का प्रयास करते हैं।
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रिकवरी एजेंट्स के लिए RBI ने बनाए हैं सख्त दिशा-निर्देश
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रिकवरी एजेंट्स के आचरण को लेकर कुछ विशेष गाइडलाइंस जारी की हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य है:
- रिकवरी एजेंट को अपने पहचान पत्र (Identity Card) के साथ ही उधारकर्ता से मिलना होगा।
- रिकवरी एजेंट उधारकर्ता को डराने, धमकाने या शारीरिक हिंसा करने का प्रयास नहीं कर सकते।
- किसी भी तरह की अभद्र भाषा (Abusive Language) का उपयोग करना पूरी तरह प्रतिबंधित है।
- रात 7 बजे के बाद और सुबह 7 बजे से पहले संपर्क नहीं किया जा सकता।
- बार-बार कॉल या विजिट कर के कर्जदार को परेशान नहीं किया जा सकता।
- उधारकर्ता की गोपनीयता (Privacy) का सम्मान करना अनिवार्य है।
- यदि उधारकर्ता किसी स्वास्थ्य संबंधी समस्या (Health Issue) से जूझ रहा है, तो विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।
कानूनी कार्रवाई का अधिकार
अगर रिकवरी के सामान्य प्रयास असफल रहते हैं, तो बैंक और NBFC कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं। इसमें डिफॉल्टर की संपत्ति (Property) कुर्क करना और नीलामी करना भी शामिल हो सकता है। लेकिन इसके लिए बैंक को उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है।
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रिकवरी एजेंट्स से कैसे बच सकते हैं?
अगर आपको लगता है कि कोई रिकवरी एजेंट बदसलूकी कर रहा है या RBI के नियमों का उल्लंघन कर रहा है तो आप उसकी शिकायत बैंक में कर सकते हैं। अगर बैंक भी कार्रवाई नहीं करता तो आप रिजर्व बैंक के बैंकिंग लोकपाल (Banking Ombudsman) के पास शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
क्या होता है लोन डिफॉल्टर के लिए आगे का रास्ता?
अगर किसी कारणवश लोन चुकाना संभव नहीं हो पा रहा है तो सबसे बेहतर उपाय है कि समय रहते बैंक से संपर्क कर समाधान तलाशा जाए। बैंक कई बार पुनर्गठन (Restructuring) या लोन के पुनर्निर्धारण (Rescheduling) की सुविधा भी देते हैं जिससे उधारकर्ता को राहत मिल सकती है।