
नोएडा में इस साल स्मोकिंग (Smoking) और ई-सिगरेट (E-Cigarette) को लेकर प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई की है। वर्ष 2025 के शुरुआती महीनों में ही नोएडा टौबेको कंट्रोल सेल ने सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट एक्ट (COTPA) के तहत बड़ी संख्या में चालान जारी किए और भारी जुर्माना वसूला गया है। इस दौरान कुल 3,548 ई-सिगरेट जब्त की गईं और 1.4 करोड़ रुपये से अधिक के चालान काटे गए।
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748 चालान जारी, पब्लिक प्लेस स्मोकिंग और नाबालिगों को बिक्री पर फोकस
नोएडा टौबेको कंट्रोल सेल की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल 748 चालान जारी किए गए, जिनमें 1.4 लाख रुपए की राशि वसूली गई। इन चालानों में से:
- 99 चालान सार्वजनिक स्थानों (Public Places) पर स्मोकिंग के लिए
- 232 चालान नाबालिगों को तम्बाकू उत्पाद बेचने के लिए
- 125 चालान स्कूल-कॉलेज जैसे शिक्षण संस्थानों के 100 गज के भीतर बिक्री के लिए
ये सभी चालान COTPA कानून के अलग-अलग प्रावधानों के तहत जारी किए गए हैं।
क्या है COTPA कानून और इसके अहम प्रावधान?
COTPA यानी सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट एक्ट, वर्ष 2003 में लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य भारत में तम्बाकू के उपयोग को नियंत्रित करना और इससे जुड़े जोखिमों को कम करना है।
धारा 4:
इस धारा के अंतर्गत, सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान (Smoking in Public Places) पर प्रतिबंध है। हालांकि कुछ स्थानों जैसे होटल, रेस्त्रां और एयरपोर्ट पर निर्धारित क्षेत्र में इसकी अनुमति होती है। इस प्रावधान के उल्लंघन पर 200 रुपए जुर्माना तय है।
धारा 6(A):
18 वर्ष से कम आयु के लोगों को तम्बाकू उत्पाद बेचने पर रोक है। इस प्रावधान के उल्लंघन पर भी 200 रुपए जुर्माना लगाया जाता है।
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धारा 6(B):
शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज के दायरे में तम्बाकू उत्पादों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध है।
धारा 7:
तम्बाकू उत्पादों पर स्पष्ट स्वास्थ्य चेतावनी (Health Warning) देना अनिवार्य है। ऐसा न करने पर पहली बार उल्लंघन पर 5000 रुपए जुर्माना और दो साल की जेल और दोबारा उल्लंघन पर 10,000 रुपए जुर्माना और 10 साल तक की जेल का प्रावधान है।
ई-सिगरेट पर बैन और जब्ती की कार्रवाई
भारत सरकार ने सितंबर 2019 में ई-सिगरेट (E-Cigarette Ban in India) पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके पीछे कारण था ई-सिगरेट में उपयोग होने वाले फ्लेवरिंग एजेंट, निकोटीन और रसायनों के स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्प्रभाव। नोएडा में जब्त किए गए 3,548 ई-सिगरेट को लेकर टौबेको कंट्रोल सेल ऑफिसर श्वेता खुराना का कहना है कि नोएडा में ई-सिगरेट की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट नहीं है, बल्कि ये उत्पाद ज़्यादातर चीन से आयात किए गए थे।
पिछली साल की तुलना में कार्रवाई में तेज़ी
साल 2024 में केवल 230 चालान जारी किए गए थे, जिससे 36,800 रुपये वसूले गए थे। लेकिन इस बार प्रशासन ने अधिक सक्रियता दिखाई है और विशेषकर सार्वजनिक स्थानों पर स्मोकिंग को लेकर कार्रवाई बढ़ाई गई है। यह प्रशासन की तम्बाकू नियंत्रण अभियान की सख्ती को दर्शाता है।
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ई-सिगरेट के खतरे और पर्यावरण पर प्रभाव
ई-सिगरेट को लेकर दुनियाभर में कई रिसर्च हुई हैं। खासकर अमेरिका में हुई स्टडीज़ के अनुसार, ई-सिगरेट के इस्तेमाल से गंभीर फेफड़ों की बीमारियां हो सकती हैं। इसके अलावा, इनसे निकलने वाला कचरा भी पर्यावरण के लिए हानिकारक होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने इसके उपयोग, उत्पादन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा रखा है।
जागरूकता और कानून पालन पर ज़ोर
नोएडा प्रशासन द्वारा लगातार अभियान चलाकर लोगों को COTPA कानून की जानकारी दी जा रही है और सख्त कार्रवाई की जा रही है। इसका मकसद तम्बाकू के उपयोग को नियंत्रित करना और सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है।