
जब आप नया इलेक्ट्रॉनिक आइटम खरीदने जाते हैं, जैसे कि AC, फ्रिज या टीवी, तो सबसे पहले आपकी नजर जिस चीज़ पर जाती है, वो होती है स्टार रेटिंग। आमतौर पर ग्राहक उन प्रोडक्ट्स को प्राथमिकता देते हैं, जिन पर 5 स्टार रेटिंग लगी होती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स को यह स्टार रेटिंग देता कौन है? क्या यह सिर्फ सजावटी लेबल है या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक प्रक्रिया होती है? इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि स्टार रेटिंग क्या है, यह क्यों ज़रूरी है और इसे जारी करने वाली संस्था कौन सी है।
एनर्जी एफिशिएंसी की असली पहचान है स्टार रेटिंग
स्टार रेटिंग का संबंध सीधे उस प्रोडक्ट की एनर्जी एफिशिएंसी से होता है। मतलब, यह रेटिंग यह नहीं बताती कि आपका AC, फ्रिज या टीवी कितना अच्छा काम करता है, बल्कि यह बताती है कि वह कितनी कम बिजली खपत करता है। उदाहरण के तौर पर, अगर आप 5 स्टार रेटिंग वाला एयर कंडीशनर खरीदते हैं, तो वह 2 स्टार या 3 स्टार वाले AC की तुलना में काफी कम बिजली खर्च करता है। यही वजह है कि लोग थोड़ी ज्यादा कीमत चुकाकर भी हाई स्टार रेटिंग वाला प्रोडक्ट खरीदना ज्यादा फायदेमंद मानते हैं।
कौन देता है इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स को स्टार रेटिंग?
भारत में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को स्टार रेटिंग देने का जिम्मा है Bureau of Energy Efficiency (BEE) पर। यह संस्थान भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के अंतर्गत आता है और यह सुनिश्चित करता है कि देश में ऊर्जा की बचत को बढ़ावा मिले। BEE द्वारा दी गई स्टार रेटिंग पूरी तरह से मान्यता प्राप्त और वैज्ञानिक आधार पर आधारित होती है।
BEE ने अपने कार्य की शुरुआत 2002 में की थी और तब से यह संस्था इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की एनर्जी एफिशिएंसी को तय करने में प्रमुख भूमिका निभा रही है। जब कोई निर्माता अपने प्रोडक्ट को बाज़ार में लॉन्च करता है, तो BEE उसके मॉडल की टेस्टिंग करवाती है और उसके बाद उसके प्रदर्शन के आधार पर स्टार रेटिंग जारी करती है।
कैसे तय होती है स्टार रेटिंग?
BEE किसी भी इलेक्ट्रॉनिक आइटम की स्टार रेटिंग तय करने के लिए विभिन्न मानकों का पालन करता है। यह संस्था प्रोडक्ट के ऊर्जा खपत की जांच करती है, जैसे कि कितने यूनिट बिजली प्रति घंटे में खर्च होते हैं, उस मशीन की क्षमता क्या है, और वह कितने समय तक ऊर्जा की बचत कर सकता है। इसके लिए ISO मानकों और लैब टेस्टिंग का उपयोग किया जाता है।
उदाहरण के लिए, एक 5 स्टार रेटिंग वाला रेफ्रिजरेटर साल भर में जितनी बिजली खर्च करता है, वह एक 2 स्टार रेफ्रिजरेटर की तुलना में करीब 20% से 30% तक कम होती है। इसी तरह, एक 5 स्टार AC गर्मियों के दौरान लंबी अवधि तक चलने के बावजूद भी कम बिजली बिल सुनिश्चित करता है।
कौन-कौन से उत्पादों को मिलती है स्टार रेटिंग?
BEE द्वारा फिलहाल जिन प्रमुख उत्पादों को स्टार रेटिंग दी जाती है, उनमें शामिल हैं – एयर कंडीशनर (AC), रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन, टीवी, पंखे, गीजर, कंप्यूटर मॉनिटर और LED बल्ब। इसके अलावा अब सरकार Renewable Energy आधारित उपकरणों जैसे सोलर हीटर और इनवर्टर बैटरी के लिए भी एनर्जी एफिशिएंसी लेबलिंग की प्रक्रिया लागू कर रही है।
BEE हर कुछ वर्षों में अपने रेटिंग मानकों को अपडेट करता है ताकि कंपनियों को लगातार तकनीकी सुधार की दिशा में प्रेरित किया जा सके। इससे बाजार में Competition भी बना रहता है और ग्राहकों को बेहतर व कम ऊर्जा खपत वाले प्रोडक्ट्स मिलते हैं।
क्यों जरूरी है BEE की स्टार रेटिंग को समझना?
आज जब बिजली की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं और पर्यावरण पर दबाव बढ़ता जा रहा है, ऐसे में ऊर्जा की बचत सिर्फ एक व्यक्तिगत लाभ नहीं है, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी भी है। BEE की स्टार रेटिंग ग्राहकों को एक जागरूक निर्णय लेने में मदद करती है जिससे वे न सिर्फ अपने बिजली बिल को नियंत्रित रख सकते हैं, बल्कि देश की ऊर्जा खपत में भी योगदान दे सकते हैं।
इसके अलावा, जब आप IPO, म्यूचुअल फंड या इंश्योरेंस जैसी चीज़ों में निवेश करते हैं, तो जैसे उनके रेटिंग्स को देखकर समझदारी से निर्णय लेते हैं, वैसे ही इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स की खरीद में भी BEE की स्टार रेटिंग उतनी ही महत्वपूर्ण है।
भविष्य में क्या है योजना?
सरकार अब BEE की स्टार रेटिंग को और अधिक प्रोडक्ट्स पर लागू करने की दिशा में काम कर रही है। भविष्य में हो सकता है कि आपके किचन के माइक्रोवेव, टोस्टर या यहां तक कि मोबाइल चार्जर पर भी आपको स्टार रेटिंग का लेबल देखने को मिले। इसके अलावा सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक देश की 30% एनर्जी Renewable Energy स्रोतों से पूरी की जाए, जिसमें BEE की यह रेटिंग प्रणाली सहायक सिद्ध हो सकती है।