छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (CG High Court) ने अपने राज्य में रहने वाली जनता के लिए हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें मुख्य तौर पर तलाक शुदा महिलाओं के संपत्ति अधिकारों को लेकर क़ानूनी सुनवाई हुई, और हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया की तलाक के बाद महिला का अपने पूर्व पति की संपत्ति पर कोई क़ानूनी अधिकार नहीं होता है।

राज्य के राय गढ़ के एक मामले में सुनाया गया, जिसमें तलाक शुदा महिला ने अपने पूर्व पति की संपत्ति पर अधिक्रम जताते हुए सिविल वाद दायरा किया था, जिसका मतलब निजी विवाद (जैसे संपत्ति, पैसा, शादी आदि) को लेकर अदालत में मुकदमा करना। लेकिन अदालत ने उसे अस्वीकार करते हुए, कहा कि विवाह विच्छेद (Divorce) के बाद पत्नी का वैवाहिक दर्जा पूरी तरह से समाप्त हो जाता है, और वह अब पति की पारिवारिक सदस्य नहीं मानी जाती।
रायगढ़ ने पहले ही अस्वीकार किया था संपत्ति का दावा
इस मामले की शुरुआत 11 मई 2007 को हुई, जब रायगढ़ निवासी एक महिला ने प्रेम विवाह किया। कुछ वर्षों तक साथ रहने के बाद दोनों पति-पत्नी के बीच मतभेद उत्पन्न हुए, और 2010 से वे अलग-अलग रहने लगे। कुछ टाइम बाद ही पति ने तलाक के लिए फैमिली कोर्ट में अर्जी लगाई। फिर 31 मार्च 2014 को फैमिली कोर्ट रायगढ़ ने दोनों के बीच तलाक का आदेश पारित कर दिया। इसके बाद पूर्व पत्नी ने अपने अधिकारों की बहाली के लिए एक प्रोफेशनल सिविल वाद पेश करते हुए, पति द्वारा खरीदे मकान पर दावा जताया। हालांकि पारिवारिक न्यायालय ने इस दावे को स्वीकार नहीं कर थी।
सिविल कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों ने नहीं माना महिला का दावा
पूर्व पति ने इस मामले में सिविल कोर्ट में याचिका दायर कर महिला को उस मकान से बेदखल करने की मांग की। सिविल कोर्ट ने यह मांग स्वीकार करते हुए साफ किया कि 31 मार्च 2014 को तलाक हो चुका है और इसके बाद महिला का पूर्व पति की किसी भी प्रकार की संपत्ति पर अधिकार नहीं बचता।
इस आदेश के खिलाफ महिला ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (CG High Court) में याचिका दाखिल की। लेकिन हाईकोर्ट की सिंगल बेंच, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस एन.के. व्यास कर रहे थे, ने सिविल कोर्ट के निर्णय को सही ठहराया।
हाईकोर्ट ने सुनाया तलाक के बाद वैवाहिक अधिकार समाप्त
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि “तलाक के बाद पत्नी का दर्जा नहीं रह जाता और इस स्थिति में वह पति की संपत्ति पर दावा नहीं कर सकती।” न्यायालय ने आगे कहा कि वैवाहिक संबंधों की समाप्ति के साथ संपत्ति पर अधिकार भी समाप्त हो जाता है। अदालत ने इस मामले में तलाक के कानूनी प्रभावों को समझाते हुए कहा कि संपत्ति पर अधिकार केवल वैवाहिक रिश्ते के चलते बनता है। जैसे ही विवाह का कानूनी अंत हो जाता है, वैसे ही कोई भी पूर्व पत्नी पति की निजी संपत्ति पर दावा करने की हकदार नहीं रहती।
कानूनी नजरों से एक मिसाल बन सकता है यह फैसला
यह निर्णय उन मामलों के लिए नज़ीर बन सकता है जहां तलाकशुदा महिलाएं पति की संपत्ति पर हक जताती हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि महिला को तलाक के समय भरण-पोषण या अन्य आर्थिक मदद का आदेश नहीं मिला है और उसने बाद में कोई वाद नहीं दायर किया है, तो वह केवल विवाह के आधार पर किसी भी प्रकार की संपत्ति पर दावा नहीं कर सकती।
इस निर्णय से यह भी स्पष्ट होता है कि संपत्ति का अधिकार केवल वैवाहिक संबंधों के दौरान लागू होता है और विवाह विच्छेद के बाद उसका कोई कानूनी आधार नहीं बचता।