
पाकिस्तान एक बार फिर टूटने की कगार पर पहुंच गया है। वर्ष 1971 में बांग्लादेश के अलग होने के बावजूद पाकिस्तान की सरकार और सेना ने इतिहास से कोई सीख नहीं ली। बलूचिस्तान में लंबे समय से हो रहे उत्पीड़न के चलते अब अलगाववादी संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) खुलकर पाकिस्तान के खिलाफ खड़े हो गए हैं।
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BLA ने हाईजैक की जाफर एक्सप्रेस, 214 लोग बंधक
मंगलवार, 11 मार्च 2025 को बलूचिस्तान के कच्छी जिले में माच टाउन के पास आब-ए-गुम के करीब 6 बंदूकधारियों ने जाफर एक्सप्रेस पैसेंजर ट्रेन को हाईजैक कर लिया। इस ट्रेन में 214 यात्रियों को बंधक बना लिया गया, जिनमें पाकिस्तानी सेना, पुलिस और ISI के कर्मचारी भी शामिल हैं।
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने इस घटना की जिम्मेदारी लेते हुए बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा, “हमने ट्रेन और सभी बंधकों पर पूरी तरह से नियंत्रण बनाए रखा है। ये 214 बंधक युद्ध बंदी हैं। हम बलूच राजनीतिक कैदियों की रिहाई के बदले इन्हें छोड़ने के लिए तैयार हैं।”
BLA ने पाकिस्तान सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है और चेतावनी दी है कि यदि सैन्य कार्रवाई की गई तो सभी बंधकों को मार दिया जाएगा और ट्रेन को भी नष्ट कर दिया जाएगा।
बलूचिस्तान कभी भी कर सकता है आजादी की घोषणा
पाकिस्तान की संसद में मौलाना फजलुर रहमान ने हाल ही में बयान दिया कि बलूचिस्तान कभी भी आजादी की घोषणा कर सकता है और संयुक्त राष्ट्र (UN) उसे तुरंत मान्यता दे सकता है। उन्होंने कहा, “बलूचिस्तान के 6-7 जिले पूरी तरह से आतंकियों के कब्जे में हैं। पाकिस्तान सरकार और सेना का वहां कोई नियंत्रण नहीं है।”
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पूर्व जम्मू-कश्मीर पुलिस प्रमुख एसपी वैद ने भी मौलाना फजलुर रहमान के बयान का समर्थन किया और कहा कि पाकिस्तान अब पूरी तरह टूटने की कगार पर है। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में बलूचिस्तान और सिंध के अलगाववादी संगठनों ने एकजुट होकर पाकिस्तान की संप्रभुता को चुनौती दी है।
बलूचिस्तान में पाकिस्तान सरकार और सेना के खिलाफ गुस्सा
बलूचिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा कोई नई बात नहीं है। लंबे समय से यहां के लोग राजनीतिक और आर्थिक शोषण का शिकार हो रहे हैं। हाल के वर्षों में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी जैसे संगठनों ने हिंसक गतिविधियों को अंजाम देना शुरू कर दिया है। नवंबर 2024 में क्वेटा रेलवे स्टेशन पर हुए आत्मघाती हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 62 लोग घायल हुए थे।
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चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) भी निशाने पर
बलूचिस्तान में चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) का भी विरोध हो रहा है। बलूच अलगाववादियों का मानना है कि इस प्रोजेक्ट से बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जा रहा है, जबकि स्थानीय लोगों को इससे कोई फायदा नहीं मिल रहा।
प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है बलूचिस्तान
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, लेकिन यहां की जनसंख्या सबसे कम है। यह क्षेत्र तेल, प्राकृतिक गैस और अन्य खनिजों का खजाना है, जिसे पाकिस्तान सरकार ने कभी महत्व नहीं दिया। बलूच लोग दशकों से इस अन्याय के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं।
1947 से ही पाकिस्तान के साथ संघर्ष में रहा बलूचिस्तान
बलूचिस्तान का पाकिस्तान के साथ संघर्ष 1947 से चला आ रहा है। जब भारत का विभाजन हुआ, तब बलूचिस्तान की कलात रियासत ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी थी। लेकिन 1948 में पाकिस्तान ने सैन्य बल का प्रयोग कर इस पर कब्जा कर लिया। तभी से यहां अलगाववादी आंदोलन चलता आ रहा है।
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बलूचिस्तान में बढ़ती हिंसा और भविष्य की आशंका
BLA द्वारा ट्रेन हाईजैक की घटना ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान बलूचिस्तान की स्थिति की ओर खींचा है। बलूचिस्तान में आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक शोषण ने यहां के लोगों को हथियार उठाने पर मजबूर कर दिया है। पाकिस्तान सरकार और सेना की नीतियों के कारण बलूचों में असंतोष गहराता जा रहा है। यदि हालात ऐसे ही रहे तो निकट भविष्य में बलूचिस्तान की आजादी की घोषणा भी हो सकती है।