
महाराष्ट्र के ठाणे में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) ने एक अहम फैसला सुनाया है। न्यायाधिकरण ने सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुई 50 वर्षीय महिला को ₹29 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह मामला साल 2018 में हुए एक बस हादसे से जुड़ा है जिसमें मुंबई की रहने वाली हेमा कांतिलाल वाघेला घायल हुई थीं। MACT की सदस्य एस.एन. शाह ने 18 मार्च 2025 को यह फैसला सुनाया। न्यायाधिकरण ने बस के मालिक और बीमा कंपनी को संयुक्त रूप से मुआवजा राशि का भुगतान करने का आदेश दिया है।
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नए साल के जश्न से हादसे तक की कहानी
हेमा वाघेला ने अपने कुछ दोस्तों के साथ 31 दिसंबर 2017 को न्यू ईयर सेलिब्रेशन के लिए एक प्राइवेट बस बुक की थी। वे लोग मुंबई के नरीमन पॉइंट गए थे। हालांकि, 1 जनवरी 2018 की सुबह जब वे लौट रहे थे, तभी बस एक दुर्घटना का शिकार हो गई। इस हादसे में हेमा गंभीर रूप से घायल हो गईं और उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती करवाया गया। उनका इलाज जसलोक अस्पताल में लंबी अवधि तक चला।
बस चालक के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज
दुर्घटना के बाद बस चालक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 279, 337 और 338 के तहत मामला दर्ज किया गया। धारा 279 के अंतर्गत लापरवाही से गाड़ी चलाने, 337 में जीवन को खतरे में डालने वाले कार्य से चोट पहुंचाने और 338 में गंभीर चोट पहुंचाने के आरोप लगाए गए।
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बीमा कंपनी ने किया विरोध, लेकिन MACT ने माना दावा
हेमा वाघेला ने MACT के समक्ष ₹53.95 लाख का मुआवजा मांगा था। उन्होंने बताया कि दुर्घटना के समय वे एक प्राइवेट कंपनी में सलाहकार (Consultant) के तौर पर काम कर रही थीं और उनका मासिक वेतन ₹85,088 था।
हालांकि बीमा कंपनी ने इस दावे का विरोध किया। उनका कहना था कि हेमा को स्थायी विकलांगता नहीं हुई है और उन्हें केवल सामान्य चोटें आई हैं। बीमा कंपनी ने यह भी तर्क दिया कि बस चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस, बस का फिटनेस सर्टिफिकेट और रूट परमिट नहीं था।
विकलांगता प्रमाणपत्र ने बदला मामला
हेमा वाघेला ने MACT के समक्ष अपना 30% स्थायी विकलांगता का प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया, जो दुर्घटना के परिणामस्वरूप हुआ था। इसके बाद MACT ने उनके दावे को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए उन्हें ₹29 लाख का मुआवजा देने का निर्णय सुनाया।
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8% वार्षिक ब्याज के साथ राशि देने का आदेश
MACT ने बीमा कंपनी और बस मालिक को यह राशि याचिका दायर करने की तारीख से वसूली तक 8% वार्षिक ब्याज के साथ अदा करने का निर्देश दिया है। इस आदेश के अनुसार, हेमा वाघेला को जल्द ही राहत मिलनी तय है। यह फैसला उन पीड़ितों के लिए नजीर बन सकता है जो सड़क हादसों के बाद मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
कानून, सुरक्षा और ज़िम्मेदारी पर सवाल
इस हादसे ने एक बार फिर से सार्वजनिक परिवहन के संचालन और चालक की योग्यता जैसे मुद्दों को उजागर कर दिया है। अगर बस चालक के पास वैध दस्तावेज नहीं थे, तो बस का संचालन कैसे हो रहा था? इस प्रश्न पर संबंधित परिवहन विभागों और लाइसेंसिंग प्राधिकरणों को गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।
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निष्कर्ष: मुआवजे से न्याय, लेकिन क्या रोकेंगे ऐसे हादसे?
हेमा वाघेला को न्याय मिलना एक महत्वपूर्ण निर्णय है, लेकिन यह सिर्फ एक मामला है। हर साल हजारों लोग सड़क दुर्घटनाओं में घायल होते हैं या जान गंवाते हैं। आवश्यक है कि ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन फिटनेस और रूट परमिट जैसी प्रक्रियाओं में सख्ती बरती जाए ताकि सड़क सुरक्षा को बेहतर बनाया जा सके।