
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपने कार्यकाल के 8 साल पूरे कर लिए हैं। इन आठ वर्षों में विकास, कानून व्यवस्था, बुनियादी ढांचे, निवेश और सामाजिक योजनाओं के क्षेत्र में सरकार ने कई उपलब्धियां गिनाईं, वहीं विपक्ष ने भी इन दावों पर सवाल उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इन वर्षों में प्रदेश की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक तस्वीर में बड़े बदलाव देखने को मिले। योगी सरकार की रणनीतियों, उपलब्धियों और आलोचनाओं के बीच जनता का मूड क्या है – आइए विस्तार से जानते हैं।
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कानून व्यवस्था पर सख्ती बनी पहचान
योगी सरकार की सबसे चर्चित उपलब्धियों में से एक राज्य की कानून व्यवस्था में सुधार है। अपराधियों पर सख्त कार्रवाई, माफिया राज पर शिकंजा और पुलिस रिफॉर्म को सरकार ने अपनी प्राथमिकता में रखा। आंकड़ों के अनुसार, 2017 से अब तक 10,000 से अधिक एनकाउंटर हुए हैं, जिनमें कई कुख्यात अपराधी मारे गए या जेल भेजे गए।
सरकार का दावा है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष अभियान चलाए गए हैं और महिला हेल्पलाइन 1090 को और प्रभावी बनाया गया है। वहीं विपक्ष इन कार्रवाइयों को ‘एनकाउंटर राज’ कहकर लोकतंत्र विरोधी ठहराता है।
इंफ्रास्ट्रक्चर और निवेश में आया तेजी
योगी सरकार ने अपने कार्यकाल में उत्तर प्रदेश को इंफ्रास्ट्रक्चर और निवेश के क्षेत्र में एक नया केंद्र बनाने का प्रयास किया है। एक्सप्रेसवे निर्माण, मेट्रो परियोजनाएं, और एयरपोर्ट विस्तार योजनाएं इसके प्रमुख उदाहरण हैं। लखनऊ-आगरा, पूर्वांचल, गंगा और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के जरिए राज्य को सड़क नेटवर्क से जोड़ने का दावा किया गया है।
इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से सरकार ने 35 लाख करोड़ रुपये के MoU साइन किए हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में प्रोजेक्ट्स जमीन पर उतर चुके हैं। रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy), इलेक्ट्रॉनिक्स और डिफेंस सेक्टर में निवेश को बढ़ावा मिला है।
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औद्योगिक विकास और रोजगार के दावे
सरकार का कहना है कि उत्तर प्रदेश अब स्टार्टअप और इंडस्ट्रियल हब बनने की ओर अग्रसर है। स्टार्टअप नीति और MSME को मिलने वाली सुविधाएं इसकी नींव हैं। सरकार के मुताबिक, पिछले 8 सालों में 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्तावों पर काम हुआ है जिससे लाखों युवाओं को रोजगार मिला है।
हालांकि विपक्ष और आलोचकों का मानना है कि रोजगार के आंकड़े वास्तविकता से मेल नहीं खाते। वे कहते हैं कि युवाओं में बेरोजगारी की समस्या अभी भी गंभीर बनी हुई है।
सामाजिक योजनाओं से आमजन तक पहुंच
योगी सरकार की सामाजिक योजनाओं ने गांव, गरीब और किसानों को केंद्र में रखा। उज्ज्वला योजना, पीएम आवास योजना, आयुष्मान भारत और किसान सम्मान निधि जैसी केंद्र की योजनाओं को राज्य में प्रभावी रूप से लागू किया गया। साथ ही, राज्य सरकार ने मुफ्त राशन वितरण, कन्या सुमंगला योजना, और शादी अनुदान जैसी कई योजनाएं शुरू कीं।
सरकार का दावा है कि 15 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन योजना का लाभ मिला है। वहीं, विपक्ष इन योजनाओं को चुनावी रणनीति करार देता है और कहता है कि योजनाएं दिखावटी हैं, जबकि जमीनी स्तर पर समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।
शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में बढ़ा ध्यान
सरकारी स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार, मिशन कायाकल्प और Operation Kayakalp जैसे कार्यक्रमों से प्राथमिक शिक्षा को मजबूत करने की कोशिश हुई है। वहीं, सरकारी अस्पतालों को अपग्रेड करने, मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने और आयुष्मान योजना को सशक्त करने के प्रयास किए गए हैं।
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COVID-19 महामारी के दौरान सरकार की तैयारियों पर मिली-जुली प्रतिक्रिया रही। जबकि सरकार ने कहा कि उसने महामारी से निपटने में अच्छा कार्य किया, वहीं दूसरी ओर ऑक्सीजन की कमी और चिकित्सा संसाधनों की किल्लत ने कई सवाल खड़े किए।
विपक्ष के आरोप और जनता का मूड
योगी सरकार के 8 साल पूरे होने पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने प्रदेशभर में जश्न मनाया और सरकार की उपलब्धियों को प्रचारित किया। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी (SP), बहुजन समाज पार्टी (BSP) और कांग्रेस ने सरकार पर कई मोर्चों पर विफल रहने का आरोप लगाया।
विपक्ष का कहना है कि कानून व्यवस्था के नाम पर निर्दोषों को परेशान किया गया, बेरोजगारी चरम पर है, किसान आत्महत्या कर रहे हैं और शिक्षा-स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है।
जनता के बीच मिले-जुले रुझान देखने को मिले हैं। एक वर्ग योगी सरकार की नीतियों को सराहता है तो दूसरा वर्ग महंगाई, बेरोजगारी और शिक्षा की समस्याओं पर नाराज़गी जताता है।
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आगे की राह
2024 के लोकसभा चुनावों और 2027 के विधानसभा चुनावों की दृष्टि से योगी सरकार का शेष कार्यकाल निर्णायक साबित हो सकता है। सरकार को अपनी योजनाओं को जमीनी हकीकत में बदलने और जनता के भरोसे को बनाए रखने की चुनौती होगी। विपक्ष भी अपने मुद्दों को धार देने की कोशिश कर रहा है।
प्रदेश की जनता अब यह देख रही है कि वादों से आगे हकीकत क्या है। यही मूड आने वाले चुनावों में अहम भूमिका निभाएगा।