
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर खाद्य एवं रसद विभाग ने किसानों के लिए गेहूं बिक्री की प्रक्रिया को और आसान बना दिया है। अब किसानों को 100 क्विंटल से ऊपर गेहूं बेचने पर किसी सत्यापन की आवश्यकता नहीं होगी। इस नई व्यवस्था के तहत किसान अब अपने अनुमानित उत्पादन के तीन गुना तक गेहूं बिना सत्यापन के बेच सकेंगे। इस निर्णय से बड़ी संख्या में किसान लाभान्वित होंगे और उन्हें अनावश्यक कागजी कार्यवाही से राहत मिलेगी।
पोर्टल और ऐप से पंजीकरण की सुविधा
सरकार की मंशा है कि गेहूं की सरकारी खरीद प्रक्रिया में कोई भी किसान सत्यापन या दस्तावेजों की त्रुटियों के कारण पीछे न रह जाए। इसी उद्देश्य से गेहूं बिक्री के लिए पंजीकरण और नवीनीकरण की सुविधा खाद्य एवं रसद विभाग के पोर्टल fcs.up.gov.in और मोबाइल ऐप UP KISHAN MITRA पर उपलब्ध कराई गई है। इससे किसान घर बैठे ही सरकारी केंद्रों पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं और उन्हें बार-बार दफ्तर के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
अब तक कितने किसानों ने कराया पंजीकरण
खाद्य एवं रसद विभाग के अनुसार शनिवार तक प्रदेश में कुल 3,77,678 किसानों ने गेहूं बिक्री के लिए पंजीकरण कराया है। इनमें से 39,006 किसानों ने पहले ही गेहूं की बिक्री कर दी है। सरकार द्वारा अब तक 2.06 लाख टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है, जोकि एक सराहनीय उपलब्धि है।
समर्थन मूल्य और अतिरिक्त लाभ
सरकार द्वारा गेहूं की खरीद पर किसानों को 2,425 रुपये प्रति क्विंटल का समर्थन मूल्य दिया जा रहा है। इसके साथ ही, उतराई, छनाई और सफाई के लिए 20 रुपये प्रति क्विंटल की अतिरिक्त राशि भी किसानों को दी जा रही है। इसका उद्देश्य किसानों के मेहनत का पूरा मूल्य दिलाना है, ताकि उन्हें बाजार में बेहतर विकल्प नजर आएं और वे सरकारी केंद्रों की ओर रुख करें।
खुले बाजार की चुनौतियां और प्रशासन की सख्ती
हालांकि सरकारी प्रयासों के बावजूद लखीमपुर जिले जैसे कई क्षेत्रों में रबी विपणन वर्ष 2025-26 के तहत गेहूं खरीद का लक्ष्य पूरा करना प्रशासन के लिए चुनौती बनता जा रहा है। किसान खुले बाजार में बेहतर दाम मिलने के कारण सरकारी केंद्रों की बजाय आढ़तियों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
सीतापुर निवासी सरदार सरजीत सिंह का कहना है कि सरकारी केंद्र पर गेहूं बेचने से घाटा होता है, क्योंकि खुले बाजार में दाम ज्यादा मिलते हैं। वहीं उदनापुर के उमाशंकर बताते हैं कि सरकारी केंद्रों पर कागजी कार्रवाई बहुत ज्यादा होती है, जबकि आढ़त से एडवांस में पैसे मिल जाते हैं जो तुरंत की जरूरतों को पूरा करते हैं।
विनोद कुमार, वाजपेई गांव के किसान, कहते हैं कि उन्हें बच्चों की फीस और गन्ना बुवाई के लिए पैसे की आवश्यकता होती है, ऐसे में आढ़त से एडवांस लेना ही बेहतर होता है। साथ ही, खुले बाजार में गेहूं के दाम ज्यादा मिलते हैं जबकि सरकारी केंद्रों पर कम दाम दिए जाते हैं।
मंडी में कार्रवाई से मचा हड़कंप
शनिवार को कृषि उत्पादन मंडी समिति में प्रशासन ने खुले बाजार में हो रही अनियमित खरीद पर कार्रवाई करते हुए व्यापारियों पर शिकंजा कसा। इससे कुछ समय के लिए मंडी में गेहूं की खरीद प्रभावित रही।
मंडी समिति के सचिव आशीष कुमार सिंह ने स्पष्ट किया कि मंडी में किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। कार्रवाई केवल उन व्यापारियों के खिलाफ की गई है जो अनियमित गतिविधियों में शामिल पाए गए थे। उनका कहना है कि यह कदम सिर्फ यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि अधिक से अधिक किसान सरकारी क्रय केंद्रों पर आएं और वहां तय मूल्य पर गेहूं बेचें।
व्यापारी वर्ग में असहजता
प्रशासन की सख्ती के कारण व्यापारी वर्ग में थोड़ी असहजता देखी जा रही है। हालांकि सरकार का उद्देश्य साफ है कि किसानों को उचित मूल्य मिले और लक्ष्य समय पर पूरा हो। गेहूं खरीद के इस अभियान में पारदर्शिता, सुविधा और समयबद्धता को प्राथमिकता दी जा रही है, ताकि न किसानों को नुकसान हो और न ही सरकारी लक्ष्य प्रभावित हो।।