
क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और उनकी पत्नी धनश्री वर्मा के बीच का रिश्ता अब औपचारिक रूप से समाप्त हो चुका है। बांद्रा फैमिली कोर्ट ने दोनों के तलाक की अर्जी को मंजूरी दे दी है। यह मामला हाल के दिनों के सबसे चर्चित सेलेब्रिटी तलाक में से एक बन गया है। खास बात यह रही कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में ‘कूलिंग-ऑफ’ पीरियड को माफ कर, पूरी प्रक्रिया को तेज किया।
यह भी देखें: World’s Most Expensive Dog: बेंगलूरु के शख्स ने 50 करोड़ में खरीदा ‘ओकामी’ वोल्फडॉग, बना दुनिया का सबसे महंगा कुत्ता!
सेटलमेंट के तहत धनश्री वर्मा को युजवेंद्र चहल से 4.75 करोड़ रुपये की एलिमनी (गुजारा भत्ता) मिली है। यह राशि दोनों की आपसी सहमति से तय की गई थी, जिसे कोर्ट ने मान्यता दी और सुनिश्चित किया कि दोनों पक्षों को आगे कोई कानूनी या आर्थिक परेशानी न हो।
एलिमनी कैसे तय होती है?
भारतीय कानून में एलिमनी तय करने के लिए कोई सटीक फॉर्मूला नहीं है। हर केस की परिस्थितियों के आधार पर अदालत एलिमनी की राशि निर्धारित करती है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष एक फैसले में स्पष्ट किया था कि एलिमनी किसी को दंडित करने के लिए नहीं होती, बल्कि इसका उद्देश्य आर्थिक रूप से निर्भर साथी की जीवन-शैली और जरूरतों की रक्षा करना होता है।
उसी फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ प्रमुख फैक्टर्स निर्धारित किए थे, जिनके आधार पर अदालतें एलिमनी तय करती हैं:
- दोनों पक्षों की आर्थिक स्थिति और कमाई की क्षमता
- शादी के दौरान किए गए योगदान
- बच्चों और पत्नी की जरूरतें
- पति की वित्तीय स्थिति और उसकी देनदारियां
- शादी के दौरान अपनाई गई जीवनशैली
- क्या किसी ने अपने करियर से समझौता किया
- पत्नी की आय के अन्य स्रोत हैं या नहीं
यह भी देखें: अब 24 घंटे खुली रहेंगी दुकानें, शराब की दुकानों और बार को लेकर भी आया बड़ा आदेश
क्या पुरुष भी एलिमनी मांग सकते हैं?
सामान्यतः यह धारणा है कि एलिमनी सिर्फ महिलाओं को मिलती है, लेकिन भारतीय कानून इस धारणा से अलग है। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 24 और 25 के तहत यदि पति यह साबित कर दे कि वह पत्नी पर आर्थिक रूप से निर्भर था, तो वह भी एलिमनी मांग सकता है। हालांकि, ऐसे मामलों में अदालतें काफी सख्ती से जांच करती हैं और यह साबित करना जरूरी होता है कि पति किसी गंभीर कारण, जैसे बीमारी या विकलांगता की वजह से आय अर्जित नहीं कर पा रहा है।
हाई-प्रोफाइल तलाक और एलिमनी के चर्चित मामले
भारत में इससे पहले भी कई हाई-प्रोफाइल तलाक हुए हैं जिनमें बड़ी रकम की एलिमनी दी गई:
ऋतिक रोशन-सुज़ैन खान: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तलाक के दौरान लगभग 400 करोड़ रुपये की एलिमनी की बात सामने आई थी।
सैफ अली खान-अमृता सिंह: इस तलाक में सैफ अली खान को करोड़ों रुपये की एलिमनी चुकानी पड़ी थी।
करण मेहता-निशा रावल: इस मामले में कोर्ट ने 1.5 करोड़ रुपये के सेटलमेंट को मंजूरी दी थी।
यह भी देखें: SC का चौंकाने वाला फैसला: भूमि अधिग्रहण पर पलटा दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश, अब नहीं होगी प्राइवेट डील से जमीन वापसी!
दुनिया के अन्य देशों में एलिमनी कैसे तय होती है?
भारत की तरह ही अन्य देशों में भी एलिमनी के नियम अलग-अलग होते हैं:
अमेरिका: कुछ राज्यों में एलिमनी तय करने के लिए फिक्स फॉर्मूला अपनाया जाता है, जबकि कई राज्यों में जज विभिन्न परिस्थितियों पर विचार करते हैं।
यूके: यहां कोर्ट का मुख्य उद्देश्य होता है कि दोनों पार्टनर्स को तलाक के बाद भी जीवन का उचित स्तर मिल सके।
जर्मनी और फ्रांस: इन देशों में तलाक के बाद सीमित समय के लिए ही आर्थिक सहायता दी जाती है।
चीन और जापान: यहां एकमुश्त राशि के रूप में एलिमनी दी जाती है और वह भी अपेक्षाकृत बहुत कम होती है।
मध्य पूर्व: इस्लामिक कानूनों के अनुसार तलाक के बाद की ‘इद्दत’ अवधि तक ही एलिमनी दी जाती है।
चहल-धनश्री तलाक में ‘कूलिंग-ऑफ’ पीरियड क्यों माफ हुआ?
18 महीने से अलग रह रहे युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा ने आपसी सहमति से तलाक की याचिका दायर की थी। फैमिली कोर्ट के अनुसार, दोनों ने 45 मिनट की काउंसलिंग में स्पष्ट किया कि उनके बीच अब कोई सुलह संभव नहीं है और वे आपसी सहमति से अलग होना चाहते हैं। इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘कूलिंग-ऑफ’ पीरियड को माफ कर इस प्रक्रिया को तेज कर दिया।
यह भी देखें: Toll Tax Exemption: इन लोगों को नहीं देना पड़ता एक भी रुपया टोल टैक्स, सरकार देती है 100% छूट – देखें पूरी लिस्ट
एलिमनी से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
एलिमनी का उद्देश्य उस साथी को आर्थिक सहारा देना होता है जो विवाह में आर्थिक रूप से कमजोर या आश्रित रहा हो। भारत में अब कानून लिंग आधारित नहीं है और पुरुष भी यदि पात्र हों, तो एलिमनी मांग सकते हैं। हालांकि, कोर्ट हर केस की गहराई से समीक्षा करती है और तभी निर्णय लेती है।