सोलर पैनल के बारे में 4 ग़लतफ़हमी जिनको अधिकतर लोग सच मानते है

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Written byRohit Kumar

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सोलर एनर्जी को इस्तेमाल में लाने में सोलर पैनलों को सर्वाधिक अच्छा ऑप्शन मानते है। ये एक नवीनीकरण ऊर्जा स्त्रोत है जोकि माहौल को दूषित भी नही करता है। साथ ही एक ग्रीन ऐंड क्लीन एनर्जी सोर्स है जोकि सबसे बढ़िया एनर्जी का विकल्प बन रहा है। आज हम आपको सोलर एनर्जी के बारे में प्रचलित 4 खास गलतफहमी की जानकारी देंगे।

सोलर पैनलों से जुडी गलत धारणाएं

Solar Panels related Misconceptions

1. सोलर पैनल सिर्फ सीधी धूप में काम करेंगे

सोलर पैनलों की सबसे बड़ी गलत धारणा है कि यह सिर्फ सीधी सूरज की रोशनी पर भी बिजली बनाते है और बादल एवं वर्षा के दिनों में कम नहीं करते है। ये बात पूर्णतया असत्य है और मॉर्डन टाइम के सोलर पैनल, खासतौर पर साल 2021 के बाद बने पैनलों में बादल के दिनों में भी बिजली बन रही है। पैनल में मॉर्डन हाफ कट तकनीक एवं दूसरे फीचर होते है जोकि विभिन्न सीजन में भी एफिशिएंसी बनाकर रखते है।

2. हल्की धूप में सोलर पैनल की काम बिजली देंगे

ऐसे ही एक गलत धारणा है कि सोलर पैनलों से सिर्फ तेज सनलाइट में ही अधिकतम बिजली पैदा होती है किंतु सर्दी एवं वर्षा के मौसम में ये कम बिजली बनाते है। अब आधुनिक तकनीक के सोलर पैनल ऐसी दशाओं में भी अच्छे से बिजली पैदा करने लगे है। सोलर पैनल का टेंप्रेचर सूरज की रोशनी की मात्रा से अधिक उनके अपने प्रदर्शन को प्रभावित करता है। जिस समय पर टेंप्रेचर बढ़ेगा तब ली गई एनर्जी का एक भाग गर्मी की तरह से वेस्ट हो जाएगा जोकि बिजली के बनने की कैपेसिटी में कमी कर देगा।

सोलर पैनल को लगाते टाइम पर इनके स्ट्रक्चर एवं ऊंचाई का खास देना होगा है। वायड स्ट्रक्चर में पैनलों को इंस्टाल करने पर तापमान में काफी बड़ोत्तरी हो जाती है जो कि इनकी एफिशिएंसी में कमी कर सकता है। अधिकतम बिजली पैदा करने में पैनलों को सर्फेस और छत से 2-2.5 फीट की ऊंचाई पर रखना होता है।

3. सोलर पैनलों को ऑपरेट करने में बिजली चाहिए

Solar panels require electricity to operate

सोलर पैनलों पर एक आम सोच है कि ये सिर्फ बिजली होने पर ही काम कर पाते है। ध्यान रखे कि सोलर सिस्टम 2 टाइप के होते है – ऑन ग्रिड एवं ऑफ ग्रिड। एक ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम ग्रिड पर डिपेंड करते है किंतु ऑफ ग्रिड नही। ऑफ ग्रिड सिस्टम का काम बिजली कनेक्शन न होने पर भी हो जाता है जोकि दुर्गम इलाकों में इनको उपयोगी बनाता है।

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सोलर पैनलों की एनर्जी प्रोडक्शन कैपेसिटी सनलाइट की इंटेंसिटी और उनकी अब्सॉर्प्शन कैपेसिटी पर निर्भर करती है। यह गलतफहमी है कि सोलर पैनल केवल गर्म और धूप वाले क्षेत्रों में ही प्रभावी होते हैं। आज के सोलर पैनल हाई एफिशिएंसी और बाइफेसियल टेक्नोलॉजी में आते हैं, जो बादल और कम रोशनी की स्थिति में भी एनर्जी जनरेट कर सकते हैं। ये पैनल विभिन्न मौसम और तापमान स्थितियों में मैक्सिमम एनर्जी प्रोडक्शन सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

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4. सोलर पैनल अमीर ही खरीदते है

लोगों की ये सोच है कि ये सोलर पैनल केवल ज्यादा पैसे वाले लोगों के लिए ही है और इनमें खर्च हुए पैसे पर रिटर्न भी कम ही मिलता है। लोगों का तर्क है कि एक पूरे सोलर को लगाने में 5 लाख रुपए खर्चने के बाद बहुत कम फायदा ही होता है। वही ग्रिड से बिजली यूज करते हुए बिजली बिल का भुगतान करना ही ठीक तरीका है। किंतु इस सोच से सोलर सिस्टम से एक लंबे टाइम में मिलने वाले फायदे एवं सेविंग की अनदेखी हो जाती है। यूं तो सोलर सिस्टम में शुरुआती निवेश अधिक होता है किंतु काफी टाइम तक फायदा भी मिलता है।

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