Holi 2025: क्या इस बार 14 मार्च को नहीं मनेगी होली? पंचांग ने साफ किया भ्रम

🌟 इस साल होली की तिथि को लेकर बना कन्फ्यूजन खत्म! 13 मार्च को होलिका दहन, लेकिन रंगों की होली 15 मार्च को ही क्यों खेली जाएगी? क्या बदल रही है होली की परंपरा? जानिए शुभ मुहूर्त और बदलते रिवाजों की पूरी सच्चाई 🎨🔥

Photo of author

Written byRohit Kumar

verified_75

Published on

Holi 2025: क्या इस बार 14 मार्च को नहीं मनेगी होली? पंचांग ने साफ किया भ्रम
Holi 2025: क्या इस बार 14 मार्च को नहीं मनेगी होली? पंचांग ने साफ किया भ्रम

भारतीय संस्कृति में हर त्योहार का एक विशिष्ट महत्व है, और फाल्गुन महीने में मनाया जाने वाला होली उत्सव भी इससे अछूता नहीं है। इस बार होली 2025 को लेकर तिथियों में संशय बना हुआ है। राष्ट्रीय ब्राह्मण महासंघ के विद्वत परिषद के प्रदेश अध्यक्ष पंडित आचार्य राकेश मिश्रा ने स्पष्ट किया है कि इस साल होलिका दहन 13 मार्च की रात को होगा, जबकि रंगों की होली 15 मार्च को मनाई जाएगी।

यह भी देखें: 20 Rupee Note: 20 रुपये का यह खास नोट आपको बना सकता है लखपति, तुरंत चेक करें पर्स

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

Earthnewj से अब व्हाट्सप्प पर जुड़ें, क्लिक करें

पंडित आचार्य राकेश मिश्रा के अनुसार, पंचांग के आधार पर होलिका दहन पूर्णिमा तिथि को किया जाता है। इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे से प्रारंभ होकर 14 मार्च को 11:11 बजे तक रहेगी।

13 मार्च को भद्रा का प्रभाव रहेगा, जो रात्रि 10:37 बजे समाप्त होगा। इसके बाद रात 10:38 बजे से 11:26 बजे तक का समय होलिका दहन के लिए सर्वश्रेष्ठ रहेगा।

होली कब खेली जाएगी?

होली का पर्व होलिका दहन के अगले दिन मनाया जाता है, लेकिन इस बार तिथियों के संयोग को देखते हुए, धुलंडी 15 मार्च, शनिवार को मनाई जाएगी। पंडित आचार्य के अनुसार, रंगों का यह पर्व धार्मिक दृष्टि से 15 मार्च को ही उचित होगा।

यह भी देखें: PM Awas Yojana: घर पाने का सुनहरा मौका, मोबाइल से ऐसे करें अप्लाई, 31 मार्च तक है मौका

बदल रही होली की परंपराएं, खो रही फाग की मिठास

गांवों में अब फाग गीतों की गूंज कम सुनाई देने लगी है। पारंपरिक लोकगीतों की जगह अब फिल्मी और अश्लील गीतों ने ले ली है। पहले होली के अवसर पर “होली खेले रघुवीरा अवध में…” जैसे भजन गूंजते थे, लेकिन अब इनकी जगह कुछ अलग ही माहौल देखने को मिल रहा है।

Also Readइन शेयरों ने कर दिया कमाल,एक ही दिन में पैसा डबल, निवेशकों की आ गई मौज

इन शेयरों ने कर दिया कमाल,एक ही दिन में पैसा डबल, निवेशकों की आ गई मौज

होलिका दहन की पुरानी परंपरा विलुप्त होती जा रही

करीब दो-ढाई दशक पहले गांवों में बसंत पंचमी से ही होलिका दहन की तैयारियां शुरू हो जाती थीं। गांव के बुजुर्ग और युवा मिलकर नए बांस गाड़ते थे और पारंपरिक गीतों के साथ होली की शुरुआत होती थी। 40 दिनों तक लगातार ढोलक की थाप और फाग गीतों से माहौल सराबोर रहता था।

यह भी देखें: NDMC on Property Tax: सावधान! टैक्स नहीं चुकाने वालों की होगी कुर्की, बैंक अकाउंट होगा फ्रीज, NDMC का सख्त एक्शन

लेकिन अब समय बदल गया है। होलिका दहन का आयोजन भी मात्र औपचारिकता बनकर रह गया है। पहले जहां पुआल, गोबर के उपले, पुरानी खरही और बगीचे के सूखे पत्ते जमा किए जाते थे, अब वैसी उत्सुकता देखने को नहीं मिलती।

मिट्टी और धूल से लेकर कपड़ा फाड़ होली तक का बदलाव

पहले होली में धूल और कीचड़ की परंपरा थी, फिर इसे रंगों ने जगह दी, लेकिन अब कपड़ा फाड़ होली जैसी नई परंपराएं जन्म ले रही हैं। आधुनिकता के बढ़ते प्रभाव के कारण अब गांवों में भी होली का उत्साह धीरे-धीरे फीका पड़ता जा रहा है।

यह भी देखें: बैंक ने जब्त किया मकान, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला – लौटाना होगा घर, अफसरों पर होगी कार्रवाई

आधुनिकता के आगे होली की पुरानी उमंग फीकी

गांवों में पहले दिनभर होली के रंगों में सराबोर लोग शाम को आपस में गले मिलते थे, लेकिन अब इसका स्वरूप बदल गया है। रिश्तों में बढ़ती औपचारिकता और बदलते सामाजिक परिवेश के कारण अब होली भी बस एक त्योहार भर रह गई है।

Also ReadUGC New Rules 2025: अब UG और PG कोर्स की पढ़ाई होगी और आसान! जानिए क्या होंगे नए बदलाव

UGC New Rules 2025: अब UG और PG कोर्स की पढ़ाई होगी और आसान! जानिए क्या होंगे नए बदलाव

You might also like

Leave a Comment

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें