
मध्य प्रदेश (MP) में दालों और गेहूं के दामों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। बीते एक महीने में तुअर (अरहर) दाल की कीमतों में उल्लेखनीय कमी आई है। जहां पहले इस दाल के लिए उपभोक्ताओं को 160 रुपये प्रति किलो खर्च करने पड़ते थे, वहीं अब यह 100 से 120 रुपये प्रति किलो में उपलब्ध है।
विशेषज्ञों का मानना है कि दालों की कीमतों में गिरावट का कारण प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में बेहतर उपज और सरकारी स्टॉक लिमिट (Stock Limit) नियंत्रण हो सकता है। सरकार ने 31 मार्च तक स्टॉक लिमिट लागू कर रखी है, जिससे जमाखोरी पर रोक लगी है। गेहूं के दामों में भी भारी गिरावट देखी गई है, जिससे आटे के दामों पर भी हल्का असर पड़ा है।
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गेहूं के दामों में बड़ी गिरावट
रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की आवक शुरू होने से कृषि उपज मंडियों में इसके दामों में गिरावट दर्ज की गई है। बीते तीन दिनों में कृषि उपज मंडी कुसमेली में 29,000 क्विंटल गेहूं की आवक हुई।
सोमवार की तुलना में मंगलवार को गेहूं के दाम 300 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गए। सोमवार को गेहूं की न्यूनतम कीमत 2,450 रुपये प्रति क्विंटल थी, जो मंगलवार को घटकर 2,440 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। अधिकतम दर 3,365 रुपये से घटकर 3,060 रुपये प्रति क्विंटल तक आ गई। बुधवार को यह गिरावट और बढ़ी, जिससे न्यूनतम दर 2,411 रुपये प्रति क्विंटल और अधिकतम दर 2,901 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई।
आटा और मैदा के दामों में हल्की गिरावट
हालांकि गेहूं की कीमतों में गिरावट का पूर्ण प्रभाव आटे के दामों पर नहीं पड़ा है, लेकिन फिर भी इसमें हल्की गिरावट देखने को मिली है। किराना व्यापारियों के अनुसार, पहले 50 किलो चक्की आटे की कीमत 1,780 रुपये थी, जो अब घटकर 1,720 रुपये रह गई है। इसी प्रकार, 50 किलो मैदा की बोरी 1,880 रुपये से घटकर 1,810 रुपये तक आ चुकी है।
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विभिन्न दालों की कीमतें
दालों की कीमतों में गिरावट से आम उपभोक्ताओं को राहत मिली है। वर्तमान में विभिन्न दालों की कीमतें इस प्रकार हैं:
- तुअर दाल – 90-130 रुपये प्रति किलो
- चना दाल – 70-80 रुपये प्रति किलो
- मूंग दाल – 90-115 रुपये प्रति किलो
- उड़द दाल – 100-120 रुपये प्रति किलो
- मसूर दाल – 90-95 रुपये प्रति किलो
किराना व्यापारियों के अनुसार, इस बार पिपरिया और अकोला जैसे प्रमुख आपूर्ति केंद्रों से कम कीमतों पर दालें आ रही हैं, जिससे कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है।
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दालों और गेहूं की कीमतों में गिरावट के कारण
विशेषज्ञों के अनुसार, इस गिरावट के पीछे कई प्रमुख कारण हो सकते हैं:
- नई फसल की आवक – रबी सीजन की फसल मंडियों में पहुंचने लगी है, जिससे बाजार में आपूर्ति बढ़ रही है।
- स्टॉक लिमिट नियंत्रण – सरकार द्वारा 31 मार्च तक स्टॉक लिमिट लागू करने से दालों और गेहूं की जमाखोरी पर रोक लगी है।
- अच्छा उत्पादन – प्रमुख निर्यातक शहरों में दालों और गेहूं का उत्पादन अच्छा हुआ है, जिससे कीमतें नीचे आई हैं।
- मांग और आपूर्ति में संतुलन – घरेलू बाजार में मांग स्थिर बनी हुई है, जबकि आपूर्ति अधिक हो गई है, जिससे दामों में गिरावट आई है।
उपभोक्ताओं को राहत
मध्य प्रदेश के आम उपभोक्ताओं के लिए यह राहत की खबर है। पिछले दो वर्षों में तुअर दाल की कीमतें 150-200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई थीं, जिससे आम लोगों के लिए इसका उपभोग करना मुश्किल हो गया था। अब कीमतों में आई गिरावट से मध्यमवर्गीय परिवारों को बड़ी राहत मिली है।
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व्यापारी और किसानों की प्रतिक्रिया
किराना व्यापारी नितिन लालवानी का कहना है कि इस बार दालों की आपूर्ति बेहतर हो रही है, जिससे कीमतें गिर रही हैं। वहीं, कुछ किसानों को इस गिरावट से नुकसान भी हो सकता है क्योंकि उन्हें अपने उत्पाद की कम कीमत मिल रही है।
हालांकि, सरकारी नीतियों और बाजार की स्थिरता को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में दालों और गेहूं के दाम स्थिर हो सकते हैं।