Toll Tax रिपोर्ट: 8919 करोड़ खर्च, 11945 करोड़ की वसूली! टोल वसूली में सबसे आगे निकला ये राज्य

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में किया बड़ा खुलासा – जयपुर-दिल्ली हाईवे पर लागत से हजारों करोड़ ज्यादा वसूली के बावजूद जारी है टोल टैक्स! आखिर कब खत्म होगी ये वसूली? जानिए पूरी कहानी

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Written byRohit Kumar

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Toll Tax रिपोर्ट: 8919 करोड़ खर्च, 11945 करोड़ की वसूली! टोल वसूली में सबसे आगे निकला ये राज्य
Toll Tax रिपोर्ट: 8919 करोड़ खर्च, 11945 करोड़ की वसूली! टोल वसूली में सबसे आगे निकला ये राज्य

केंद्रीय परिवहन मंत्री Nitin Gadkari on Toll Tax पर संसद में दिए गए अपने लिखित जवाब में एक बड़ा खुलासा किया है, जो देशभर में टोल टैक्स वसूली की मौजूदा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। उन्होंने स्वीकार किया है कि कुछ राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल वसूली निर्माण लागत से कहीं अधिक हो चुकी है। खास तौर पर जयपुर-दिल्ली नेशनल हाइवे (पुराना NH-8) इसका उदाहरण बनकर सामने आया है।

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जयपुर-दिल्ली हाईवे पर टोल वसूली लागत से ज्यादा

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गडकरी ने लोकसभा में नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल के सवाल का जवाब देते हुए बताया कि जयपुर-दिल्ली हाईवे पर बीते 16 वर्षों में सड़क परिवहन मंत्रालय ने कुल 8919 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इसके मुकाबले अब तक 11945 करोड़ रुपए की टोल वसूली हो चुकी है। यह आंकड़ा दिखाता है कि वसूली निर्माण लागत से 3026 करोड़ रुपए अधिक है।

इस जवाब के बाद यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि जब परियोजना की लागत वसूल ली गई है, तो टोल वसूली अभी भी क्यों जारी है?

टोल वसूली नियमों के अनुसार

गडकरी ने स्पष्ट किया कि टोल वसूली राष्ट्रीय राजमार्गों (National Highways) के लिए तय नियमों और थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index) से जुड़ी दरों के आधार पर की जाती है। यह वसूली प्रति किलोमीटर के हिसाब से तय होती है, और टोल में छूट का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए निर्माण लागत की सीधी तुलना टोल वसूली से नहीं की जा सकती।

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जयपुर-दिल्ली हाइवे पर दो खंड, असमान वसूली

इस हाईवे के दो हिस्सों में वसूली का अंतर देखा गया है:

  • गुडगांव-कोटपुतली-जयपुर खंड में अब तक 9218.30 करोड़ रुपए की वसूली हुई है जबकि इसकी लागत 6430 करोड़ रुपए बताई गई है।
  • वहीं, दिल्ली-गुडगांव खंड में 2727.50 करोड़ रुपए की वसूली हुई है और इसकी लागत 2489.45 करोड़ रुपए रही।

इस अंतर से स्पष्ट है कि पहले खंड में टोल वसूली अपेक्षाकृत अधिक है।

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टोल वसूली बना राष्ट्रीय मुद्दा

देश में हाईवे निर्माण का विस्तार तेज़ी से हो रहा है, लेकिन इसके साथ Toll Tax वसूली की पारदर्शिता और औचित्य पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। अक्सर देखा गया है कि जब किसी परियोजना की लागत वसूल हो जाती है, तब भी टोल वसूली जारी रहती है। इससे लोगों में नाराजगी रहती है और यह एक राजनीतिक व सामाजिक मुद्दा बनता जा रहा है।

राजस्थान में सबसे ज्यादा टोल नाके

भारत के कुल 1063 टोल नाकों में से राजस्थान में सबसे ज्यादा 163 टोल नाके हैं। यह किसी भी राज्य में सबसे अधिक है। इसके अलावा, जयपुर-दिल्ली हाईवे पर स्थित शाहजहांपुर टोल नाका देश के सबसे ज्यादा वसूली करने वाले टोल नाकों में शामिल है।

टोल एजेंसियों पर कार्रवाई

टोल वसूली में गड़बड़ी को लेकर सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने अनुबंध शर्तों के उल्लंघन और वसूली में अनियमितता के चलते 14 टोल प्लाजा एजेंसियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इनकी 100 करोड़ रुपए की अमानत राशि भी जब्त की गई है।

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यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में गड़बड़ी सामने आने के बाद की गई, जहां एफआईआर दर्ज होने के बाद संतोषजनक जवाब न देने पर एजेंसियों पर कार्रवाई की गई।

आगे की राह

Nitin Gadkari on Toll Tax पर दिए गए इस जवाब ने एक नई बहस को जन्म दिया है कि क्या टोल वसूली केवल निर्माण लागत वसूली तक सीमित रहनी चाहिए या फिर इसे संचालन और रखरखाव के बहाने अनिश्चित काल तक जारी रखना उचित है?

सरकार को चाहिए कि वह Public-Private Partnership (PPP) मॉडल के तहत बनाई गई सड़कों पर टोल वसूली की पारदर्शी समीक्षा करे और एक स्पष्ट नीति बनाए जिससे आम जनता का भरोसा बना रहे।

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