आज 8 रुपए तक बढ़े पेट्रोल के दाम, डीजल के रेट में भी बढ़ोतरी! देखें

सरकार ने बढ़ाई लेवी, लेकिन कीमतें रखीं स्थिर! क्या यह राहत है या आने वाली महंगाई की दस्तक? OGRA की चेतावनी और इंटरनेशनल मार्केट की हकीकत जानकर चौंक जाएंगे!

Photo of author

Written byRohit Kumar

verified_75

Published on

आज 8 रुपए तक बढ़े पेट्रोल के दाम, डीजल के रेट में भी बढ़ोतरी! देखें
आज 8 रुपए तक बढ़े पेट्रोल के दाम, डीजल के रेट में भी बढ़ोतरी! देखें

Petrol Diesel Price News Today के तहत ताज़ा अपडेट यह है कि सरकार ने एक बार फिर पेट्रोल और डीजल के दाम में भारी बढ़ोतरी की है। पेट्रोल की कीमत में 8.02 रुपये प्रति लीटर और हाई-स्पीड डीजल की कीमत में 7.01 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की गई है। यह वृद्धि ऐसे समय में हुई है जब आम जनता पहले से ही महंगाई की मार झेल रही है।

OGRA (Oil and Gas Regulatory Authority) की सिफारिश के बावजूद पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में कटौती नहीं की गई है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद घरेलू स्तर पर कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। इससे आम जनता को राहत मिलने की बजाय और अधिक आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ सकता है।

लेवी में बढ़ोतरी, लेकिन खुदरा कीमतें स्थिर

Earthnewj से अब व्हाट्सप्प पर जुड़ें, क्लिक करें

सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पेट्रोल पर लेवी को 8.02 रुपये बढ़ाकर अब 78.02 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है। वहीं, हाई-स्पीड डीजल पर यह लेवी 7.01 रुपये की वृद्धि के साथ 77.01 रुपये प्रति लीटर हो गई है। इसके बावजूद खुदरा दरें अगले मूल्य निर्धारण तक यथावत बनी रहेंगी। यानी 16 अप्रैल से 30 अप्रैल 2025 तक पेट्रोल की कीमत 254.63 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 258.64 रुपये प्रति लीटर पर स्थिर रखी जाएगी।

यह स्थिति इसलिए भी चौंकाने वाली है क्योंकि आमतौर पर लेवी में बढ़ोतरी का सीधा असर खुदरा दरों पर पड़ता है। लेकिन इस बार सरकार ने खुदरा कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि शायद यह निर्णय आगामी बजटीय या चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।

महंगाई का मुख्य कारण बनी ट्रांसपोर्ट लागत

सरकार के इस फैसले से ट्रांसपोर्ट लागत में बढ़ोतरी तय मानी जा रही है। चूंकि अधिकांश आवश्यक वस्तुएं और दैनिक उपभोग के सामान डीजल से चलने वाले ट्रकों और मालवाहकों के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचते हैं, ऐसे में डीजल के महंगे होने से हर वस्तु की कीमत में अप्रत्यक्ष रूप से वृद्धि हो सकती है।

इसी कारण विशेषज्ञ मानते हैं कि पेट्रोलियम की बढ़ती कीमतें सिर्फ एक आर्थिक निर्णय नहीं बल्कि सामाजिक प्रभाव पैदा करने वाली नीति बन चुकी हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में जब भी बढ़ोतरी होती है, इसका असर सीधे तौर पर खाद्य पदार्थों, निर्माण सामग्री, रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) उत्पादों और परिवहन पर देखने को मिलता है।

Also Read8 साल से 15 लाख के लैपटॉप की रखवाली में लगे 2 कांस्टेबल, सुरक्षा पर खर्च हुए 54 लाख – वजह जानकर उड़ जाएंगे होश!

8 साल से 15 लाख के लैपटॉप की रखवाली में लगे 2 कांस्टेबल, सुरक्षा पर खर्च हुए 54 लाख – वजह जानकर उड़ जाएंगे होश!

अंतर्राष्ट्रीय बाजार से राहत की उम्मीदें धराशायी

ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें 15 अप्रैल को 65 डॉलर प्रति बैरल तक गिर चुकी थीं। इस आधार पर OGRA ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की सिफारिश की थी। लेकिन सरकार ने इस सिफारिश को खारिज करते हुए लेवी में बढ़ोतरी को प्राथमिकता दी।

इसका सीधा संकेत यह है कि सरकार अपने राजस्व को बनाए रखने के लिए टैक्स और लेवी पर अधिक निर्भर हो रही है। इस फैसले से एक ओर जहां आम नागरिकों को उम्मीद थी कि पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में राहत मिलेगी, वहीं दूसरी ओर अब उन्हें और महंगे दाम चुकाने होंगे।

जनता में नाराज़गी और विपक्ष की प्रतिक्रिया

सरकार के इस निर्णय को लेकर आम जनता में भारी असंतोष देखा जा रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर #PetrolPriceHike ट्रेंड कर रहा है और लोग इसे ‘जनविरोधी फैसला’ करार दे रहे हैं। विपक्षी पार्टियों ने भी इस बढ़ोतरी को लेकर सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आने वाले हफ्तों में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतें और गिरती हैं, तब भी यह जरूरी नहीं कि इसका लाभ आम जनता तक पहुंचे। इससे साफ है कि सरकार फिलहाल टैक्स बेस बढ़ाने के उद्देश्य से पेट्रोलियम पर निर्भरता बनाए रखे हुए है।

Also Readtata-1kw-solar-panel-installation-guide

टाटा 1kW सोलर पैनल इंस्टॉल करने में होगा इतना खर्चा, देखें

You might also like

Leave a Comment

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें