चारधाम जाने की प्लानिंग? ये रूट मैप देख लेंगे तो सफर हो जाएगा आसान

अगर आप 2025 में चारधाम यात्रा की तैयारी कर रहे हैं तो यह रूट मैप और रजिस्ट्रेशन गाइड जरूर पढ़ें हरिद्वार से बदरीनाथ तक के रास्ते, जरूरी डॉक्यूमेंट्स और चेकिंग पॉइंट्स की पूरी जानकारी एक ही लेख में। अब कोई भी कन्फ्यूजन नहीं रहेगा!

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Written byRohit Kumar

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चारधाम जाने की प्लानिंग? ये रूट मैप देख लेंगे तो सफर हो जाएगा आसान
चारधाम जाने की प्लानिंग? ये रूट मैप देख लेंगे तो सफर हो जाएगा आसान

CHARDHAM YATRA ROUTE MAP उत्तराखंड की सबसे प्रसिद्ध तीर्थ यात्रा चारधाम यात्रा 30 अप्रैल 2025 से अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर शुरू हो चुकी है। इस बार की यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। अब तक 22 लाख से अधिक श्रद्धालु रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। इस पावन यात्रा में शामिल होने से पहले आपको पूरा चारधाम यात्रा रूट मैप (Chardham Yatra Route Map) जरूर देख लेना चाहिए, ताकि यात्रा में किसी प्रकार की असुविधा न हो।

अक्षय तृतीया से शुरू हुई CHARDHAM YATRA 2025

चारधाम यात्रा की शुरुआत उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ हुई। इसके थोड़ी ही देर बाद यमुनोत्री धाम के कपाट भी श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। अब 2 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे और 4 मई को बदरीनाथ धाम के भी कपाट खोल दिए जाएंगे। इसके साथ ही CHARDHAM YATRA 2025 का पूरा मार्ग श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा।

हरिद्वार से शुरू होती है यात्रा

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चारधाम यात्रा की शुरुआत देवभूमि उत्तराखंड के हरिद्वार से होती है। यहां से तीर्थयात्री ऋषिकेश पहुंचते हैं, जो हरिद्वार से मात्र 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ऋषिकेश से यात्रा उत्तरकाशी जिले की ओर बढ़ती है जहां यमुनोत्री और गंगोत्री धाम स्थित हैं।

सबसे पहले यमुनोत्री फिर गंगोत्री

उत्तरकाशी जिले में ही स्थित यमुनोत्री धाम सबसे पहले आता है। यहां पहुंचने के लिए हरिद्वार से ऋषिकेश, देहरादून, बड़कोट होते हुए जानकीचट्टी पहुंचना होता है। जानकीचट्टी से यमुनोत्री की ट्रैकिंग शुरू होती है। यमुनोत्री धाम के दर्शन के बाद तीर्थयात्री बड़कोट लौटते हैं और फिर उत्तरकाशी होते हुए गंगोत्री धाम पहुंचते हैं।

रुद्रप्रयाग से दो रास्ते, एक केदारनाथ तो दूसरा बदरीनाथ की ओर

गंगोत्री धाम के दर्शन के बाद तीर्थयात्री ऋषिकेश लौटते हैं और वहां से देवप्रयाग, श्रीनगर होते हुए रुद्रप्रयाग पहुंचते हैं। रुद्रप्रयाग से दो रास्ते कटते हैं। एक रास्ता गुप्तकाशी, सोनप्रयाग और गौरीकुंड होते हुए केदारनाथ की ओर जाता है। वहीं दूसरा रास्ता कर्णप्रयाग, चमोली और जोशीमठ होते हुए बदरीनाथ धाम की ओर जाता है।

केदारनाथ के बाद बदरीनाथ, फिर पूरी होती है चारधाम यात्रा

केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को गौरीकुंड से करीब 16 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होती है। इस मार्ग पर हेलीकॉप्टर सेवा भी उपलब्ध रहती है। केदारनाथ के दर्शन के बाद तीर्थयात्री जोशीमठ के रास्ते बदरीनाथ धाम की ओर बढ़ते हैं। यहां दर्शन के साथ ही चारधाम यात्रा की समाप्ति होती है।

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दिल्ली से हरिद्वार तक की दूरी

अगर आप दिल्ली से यात्रा की शुरुआत कर रहे हैं तो पहले आपको करीब 220 किलोमीटर की दूरी तय करके हरिद्वार पहुंचना होगा। इसके बाद ऋषिकेश से यात्रा आगे बढ़ती है। इस पूरे रूट में सड़कें अच्छी स्थिति में हैं और राज्य सरकार द्वारा ट्रैफिक मैनेजमेंट के भी विशेष इंतजाम किए गए हैं।

60 से ज्यादा रजिस्ट्रेशन सेंटर, ऑनलाइन भी विकल्प

चारधाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया इस बार बेहद सुव्यवस्थित है। यात्रियों के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह की सुविधा उपलब्ध है। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन श्रद्धालु घर बैठे ही कर सकते हैं। वहीं ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए 60 से ज्यादा सेंटर बनाए गए हैं, जिनमें देहरादून में 30, हरिद्वार में 20 और ऋषिकेश में 10 सेंटर प्रमुख हैं।

रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी दस्तावेज

चारधाम यात्रा रजिस्ट्रेशन के लिए आईडी प्रूफ, हाल ही की फोटो और मेडिकल सर्टिफिकेट आवश्यक हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि यात्रा में किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या का सामना न करना पड़े, मेडिकल जांच अनिवार्य की गई है।

कहां हो रही है रजिस्ट्रेशन की जांच

चारधाम यात्रा में यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए अलग-अलग धामों के लिए अलग-अलग जगहों पर रजिस्ट्रेशन की जांच की जा रही है। यमुनोत्री जाने वालों का रजिस्ट्रेशन बड़कोट में चेक होता है, गंगोत्री जाने वालों का हीना में, केदारनाथ जाने वालों का सोनप्रयाग में और बदरीनाथ जाने वालों का पांडुकेश्वर में चेक किया जाता है।

यात्रा मार्ग में जरूरी सुविधाएं

पूरे यात्रा मार्ग पर यात्रियों के लिए शौचालय, भोजनालय, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, मोबाइल नेटवर्क और आपातकालीन सेवा की व्यवस्था की गई है। सरकार और प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं, जिससे श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

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