
दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) को करारी हार का सामना करना पड़ा है। पार्टी को केवल 22 सीटें मिलीं, जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 48 सीटें जीतकर लगभग तीन दशकों बाद सत्ता में वापसी की। इस हार ने AAP की राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बनाए रखने को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर तब जब पार्टी के बड़े नेता, जैसे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, अपनी सीटें हार गए।
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चुनाव आयोग (EC) ने अप्रैल 2023 में AAP को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया था, जबकि उसी समय तृणमूल कांग्रेस (TMC), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) से यह दर्जा छीन लिया गया था। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या दिल्ली में मिली हार के बाद अब AAP से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छिन जाएगा या नहीं?
दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली हार के बावजूद AAP की राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता फिलहाल सुरक्षित है। हालांकि, चुनाव आयोग समय-समय पर इसकी समीक्षा करता है। अगर AAP आने वाले वर्षों में पंजाब, गोवा और गुजरात जैसे राज्यों में कमजोर पड़ती है, तो इसका राष्ट्रीय दर्जा खतरे में पड़ सकता है।
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राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा क्या है?
भारत में वर्तमान में छह राष्ट्रीय पार्टियां हैं- आम आदमी पार्टी (AAP), कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (BJP), बहुजन समाज पार्टी (BSP), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी (CPM), और नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP)। राष्ट्रीय पार्टियों की विशेषता यह होती है कि उनका प्रभाव केवल एक राज्य तक सीमित नहीं होता, बल्कि वे कई राज्यों में चुनाव लड़ती हैं और वहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराती हैं। इसके उलट कुछ पार्टियां केवल राज्य या क्षेत्र विशेष में सीमित रहती हैं, जैसे महाराष्ट्र में शिवसेना, तमिलनाडु में डीएमके और एआईएडीएमके, ओडिशा में बीजू जनता दल (BJD) और बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (RJD)।
कैसे तय होता है राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा?
चुनाव आयोग के अनुसार, भारत की राजनीतिक पार्टियों को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है- राष्ट्रीय पार्टी, राज्य पार्टी, और रजिस्टर्ड पार्टी। किसी भी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने के लिए निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होती हैं:
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- कम से कम चार राज्यों में ‘राज्य पार्टी’ का दर्जा प्राप्त हो।
- लोकसभा में कुल सीटों का 2% जीतें, और ये सीटें कम से कम तीन अलग-अलग राज्यों से हों।
- लोकसभा या विधानसभा चुनावों में कुल वैध मतों का 6% प्राप्त करें और चार लोकसभा सीटें जीतें।
राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा क्यों महत्वपूर्ण है?
राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने से कई लाभ होते हैं:
- पूरे देश में एक निश्चित चुनाव चिह्न (सिंबल) मिलता है, जिससे मतदाताओं को पहचान में आसानी होती है।
- नामांकन पत्र भरने के लिए केवल एक प्रस्तावक की आवश्यकता होती है।
- चुनाव आयोग से मुफ्त में दो बार मतदाता सूची मिलती है।
- लोकसभा और विधानसभा चुनावों में 40 स्टार प्रचारक तय किए जा सकते हैं, जबकि एक सामान्य रजिस्टर्ड पार्टी के लिए यह संख्या केवल 20 होती है।
- दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो (AIR) पर मुफ्त प्रसारण समय मिलता है।
- राष्ट्रीय अध्यक्ष को सरकारी बंगला और दिल्ली में कार्यालय की सुविधा मिलती है।
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AAP को कैसे मिला राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा?
आम आदमी पार्टी ने धीरे-धीरे चुनाव आयोग की सभी शर्तों को पूरा किया। 2013 और 2015 में पार्टी ने दिल्ली की सत्ता में कदम रखा। फिर 2022 में पंजाब में सरकार बनाई। गोवा विधानसभा चुनाव 2022 में इसे 6.77% वोट मिले, वहीं गुजरात विधानसभा चुनाव में 13% वोट प्राप्त किए।
इन चार राज्यों में ‘राज्य पार्टी’ का दर्जा मिलने के बाद 2023 में AAP को ‘राष्ट्रीय पार्टी’ घोषित कर दिया गया।
क्या अब AAP की राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता खत्म हो जाएगी?
नहीं, दिल्ली चुनाव में AAP को भले ही हार मिली है, लेकिन यह अभी भी राष्ट्रीय पार्टी बनी रहेगी। इसके पीछे कारण यह है कि AAP को दिल्ली में लगभग 43% वोट मिले, जो जरूरी 6% की शर्त से कहीं अधिक हैं। पार्टी ने 22 सीटें जीतीं, जबकि राज्य पार्टी का दर्जा बनाए रखने के लिए केवल दो सीटों की आवश्यकता थी।
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साथ ही, 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी को तीन सीटें मिली हैं। पंजाब, गोवा और गुजरात में AAP का प्रदर्शन अभी भी उसे राष्ट्रीय पार्टी बनाए रखने के लिए पर्याप्त है।
अगर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म हुआ तो क्या होगा?
यदि AAP का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म होता है, तो इसके कई नकारात्मक प्रभाव होंगे:
- पार्टी का चुनाव चिह्न पहले नंबर पर नहीं दिखेगा।
- चुनाव आयोग की सर्वदलीय बैठकों में आमंत्रण नहीं मिलेगा।
- प्रचार और चुनावी फंडिंग पर असर पड़ेगा।
- स्टार प्रचारकों की संख्या घटकर 20 रह जाएगी।
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किन पार्टियों ने खोया राष्ट्रीय दर्जा?
- तृणमूल कांग्रेस (TMC) को 2016 में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला, लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में कमजोर प्रदर्शन के कारण 2023 में यह दर्जा खो दिया।
- NCP को 2000 में राष्ट्रीय पार्टी घोषित किया गया, लेकिन अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और मेघालय में प्रदर्शन कमजोर होने से यह दर्जा छिन गया।
- CPI को 1989 में राष्ट्रीय पार्टी घोषित किया गया था, लेकिन पश्चिम बंगाल और ओडिशा में कमजोर प्रदर्शन के चलते इसे यह दर्जा गंवाना पड़ा।