उत्तराखंड में बीएड (Bachelor of Education) पाठ्यक्रम में प्रवेश प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। अब राज्य के सभी सरकारी, सहायता प्राप्त निजी कॉलेजों और स्ववित्तपोषित संस्थानों में बीएड के लिए प्रवेश मेरिट के आधार पर होंगे, न कि एंट्रेंस एग्जाम के माध्यम से। यह निर्णय राज्य में बीएड कोर्स के लिए कम आवेदन आने और पिछले वर्षों में सीटों के रिक्त रहने की स्थिति को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। इसके तहत इच्छुक छात्रों को सरकार के समर्थ पोर्टल पर आवेदन करना होगा, और बाद में मेरिट लिस्ट के आधार पर उन्हें संबंधित कॉलेज आवंटित किए जाएंगे।

इस बदलाव की घोषणा श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय द्वारा की गई है, और विश्वविद्यालय बहुत जल्द इस संबंध में आधिकारिक अधिसूचना जारी करेगा। पिछले वर्ष लगभग 50% सीटें निजी कॉलेजों में रिक्त रह गई थीं, जिससे कॉलेजों की ओर से बीएड प्रवेश परीक्षा समाप्त करने की मांग उठाई गई थी।
बीएड प्रवेश परीक्षा का इतिहास और वर्तमान स्थिति
विगत वर्षों में उत्तराखंड में बीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाता था। इस परीक्षा के माध्यम से राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों और उनके संबद्ध कॉलेजों में छात्रों को प्रवेश दिया जाता था। पहले यह परीक्षा हर वर्ष मई महीने में आयोजित की जाती थी और इसके बाद मेरिट के आधार पर छात्रों को विभिन्न कॉलेजों में सीट आवंटित की जाती थी।
हालांकि, पिछले तीन से चार सालों से बीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या में निरंतर गिरावट देखी जा रही थी। इस कमी को देखते हुए पिछले वर्ष राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ने गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र के सभी बीएड कॉलेजों के लिए संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा का आयोजन श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय द्वारा किया था। बावजूद इसके, निर्धारित साढ़े छह हजार सीटों के लिए केवल 4400 छात्रों ने ही आवेदन किया था, और अंततः साढ़े तीन हजार छात्रों ने ही प्रवेश लिया।
इसके परिणामस्वरूप, राज्य के स्ववित्तपोषित कॉलेजों में करीब 50% सीटें खाली रह गई थीं। इस स्थिति को देखते हुए, निजी कॉलेज एसोसिएशन ने प्रवेश परीक्षा को समाप्त करने की जोरदार मांग उठाई थी।
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय की नई पहल
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय ने इस वर्ष से बीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा को समाप्त करने का निर्णय लिया है। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. दिनेश चंद्रा ने पुष्टि की कि राज्य के सभी बीएड कॉलेजों में अब मेरिट के आधार पर ही प्रवेश दिए जाएंगे। इस निर्णय के बाद, बीएड में प्रवेश के इच्छुक छात्र सरकार के समर्थ पोर्टल पर आवेदन करेंगे और फिर मेरिट के आधार पर संबंधित कॉलेज में उनका चयन होगा।
यह प्रक्रिया न केवल छात्रों के लिए सरल होगी, बल्कि कॉलेजों के लिए भी यह एक सुनियोजित और पारदर्शी प्रणाली होगी, जिससे सीटों की कमी की समस्या का समाधान होगा।
क्यों रद्द की गई एंट्रेंस परीक्षा?
एंट्रेंस परीक्षा को रद्द करने के पीछे मुख्य कारण बीएड पाठ्यक्रम में छात्रों की घटती संख्या है। पिछले कुछ वर्षों में यह देखा गया कि बीएड में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या में गिरावट आई है। एक ओर जहां 6000 से अधिक सीटें उपलब्ध थीं, वहीं दूसरी ओर छात्र प्रवेश के लिए इच्छुक नहीं थे। इसीलिए उच्च शिक्षा विभाग ने यह निर्णय लिया है कि छात्रों को केवल मेरिट के आधार पर कॉलेज आवंटित किए जाएं।
निजी कॉलेजों में रिक्त सीटों की समस्या और उनकी बढ़ती चिंता को देखते हुए, यह निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अब कॉलेजों को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि उनकी सीटें पूरी हों और छात्रों को भी बिना किसी जटिल प्रक्रिया के प्रवेश मिल सके।
प्रवेश प्रक्रिया की नई दिशा
नए प्रवेश प्रक्रिया के तहत, सभी इच्छुक छात्र-छात्राओं को पहले सरकार के समर्थ पोर्टल पर आवेदन करना होगा। इसके बाद, पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर, मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी। मेरिट लिस्ट में जो छात्र-छात्राएं ऊंचे स्थान पर होंगे, उन्हें उनकी पसंद के कॉलेज में प्रवेश दिया जाएगा। यह प्रक्रिया छात्रों को एक व्यवस्थित और पारदर्शी तरीके से कॉलेज आवंटित करने की दिशा में एक कदम और बढ़ाएगी।
इसके अलावा, श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय द्वारा जल्द ही इस संबंध में विस्तृत अधिसूचना जारी की जाएगी, जिसमें बीएड पाठ्यक्रम के लिए आवेदन की अंतिम तिथि और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां दी जाएंगी।
नतीजे और भविष्य की संभावना
बीएड प्रवेश परीक्षा के समाप्त होने के बाद यह देखा जा सकता है कि राज्य में कॉलेजों के लिए सीटों की स्थिति में सुधार आएगा। अधिक छात्रों को बीएड पाठ्यक्रम में दाखिला मिल सकेगा, जिससे शिक्षकों की कमी की समस्या को हल करने में मदद मिलेगी। हालांकि, यह भी देखना होगा कि क्या इस प्रणाली से छात्रों का स्तर प्रभावित होता है या नहीं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस नई प्रणाली को लेकर राज्य के कॉलेजों और छात्रों से कैसी प्रतिक्रिया मिलती है। यदि यह प्रणाली सफल रहती है, तो अन्य राज्यों में भी इसे लागू किया जा सकता है।