
घर बनाने का सपना देख रहे लोगों के लिए बुरी खबर है। निर्माण कार्य में जरूरी सामग्री जैसे सीमेंट-Cement और सरिया-Saria की कीमतों में एक बार फिर उछाल आया है। हाल ही में Cement Saria Price Hike की खबर ने आम उपभोक्ताओं से लेकर बड़े निर्माण कारोबारियों तक को चिंता में डाल दिया है। जहां एक ओर सरिया के दामों में 4000 रुपये प्रति टन तक की बढ़ोतरी देखी गई है, वहीं सीमेंट कंपनियां भी 1 अप्रैल से प्रति बोरी 30 से 40 रुपये तक कीमत बढ़ाने जा रही हैं।
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12 मार्च के बाद से लगातार बढ़ रहे हैं सरिया के दाम
मार्च महीने की शुरुआत से ही सरिया के दामों में तेजी देखी जा रही है। इसकी प्रमुख वजह अमेरिका और भारत की आर्थिक नीतियों को माना जा रहा है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुरू किए गए टैरिफ वार के असर के चलते भारत सरकार ने भी हाल ही में लोहे के आयात पर 12 प्रतिशत सेफगार्ड ड्यूटी लगाने की घोषणा की है।
इस घोषणा का सीधा असर 12 मार्च के बाद से बाजार में देखा गया, जब सरिया की कीमतें बढ़ने लगीं। जहां पहले सरिया 47,000 रुपये प्रति टन बिक रहा था, अब वही 51,000 से 53,000 रुपये प्रति टन तक पहुंच गया है। इसके ऊपर GST अलग से देय है।
इंदौर के सरिया कारोबारी यूसुफ लोखंडवाला के अनुसार, “ग्राहक अब बाजार से दूरी बना रहे हैं। बरसात से पहले निर्माण कार्य निपटाने की होड़ रहती है, लेकिन कीमतों में बढ़ोतरी ने कई प्रोजेक्ट्स को रोक दिया है।”
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सीमेंट की कीमतों में एक अप्रैल से भारी वृद्धि के आसार
सीमेंट-Cement के दामों में भी अप्रत्याशित वृद्धि देखने को मिल सकती है। कई प्रमुख कंपनियों ने 1 अप्रैल से सीमेंट के दामों में 30 से 40 रुपये प्रति बोरी बढ़ोतरी की घोषणा की है। वर्तमान में इंदौर में ब्रांडेड सीमेंट 333 से 340 रुपये प्रति बोरी बिक रही है। दाम बढ़ने के बाद यह 360 से 370 रुपये प्रति बोरी तक पहुंच सकती है।
सीमेंट के सबसे बड़े कारोबारियों में से एक हेमंत गट्टानी बताते हैं कि “मार्च के अंतिम सप्ताह में अचानक सीमेंट की खपत बढ़ गई है, जिससे मांग में तेजी आई है और कंपनियों ने इसी का फायदा उठाकर दाम बढ़ाने की तैयारी कर ली है।”
निर्माण लागत में 30% तक हिस्सा सीमेंट और सरिया का
कंस्ट्रक्शन एक्सपर्ट अजय चौरड़िया के अनुसार, “एक सामान्य घर की कुल निर्माण लागत में सीमेंट और सरिया का योगदान लगभग 26 से 30 प्रतिशत तक होता है। ऐसे में इन दोनों सामग्रियों के महंगे होने से पूरी निर्माण लागत में सीधा इज़ाफा होता है।”
इसके अलावा, इनपुट कॉस्ट बढ़ने से डेवलपर्स भी प्रोजेक्ट्स में देरी कर सकते हैं या कीमतें बढ़ा सकते हैं, जिससे आम जनता पर दोहरा असर पड़ेगा।
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कंपनियों की रणनीति बन रही है महंगाई की वजह
सीमेंट की कीमतों में यह बढ़ोतरी महज बाजार मांग की वजह से नहीं हो रही, बल्कि यह कंपनियों की रणनीतिक योजना का भी हिस्सा है। सीमेंट इंडस्ट्री में पहले से ही उत्पादन की लागत, कोयले के दाम, ट्रांसपोर्ट चार्ज और अन्य इनपुट कॉस्ट में इज़ाफा हुआ है। लेकिन इस बार कंपनियों ने कीमतों में बढ़ोतरी का समय ऐसे चुना है, जब सीजनल डिमांड सबसे ज्यादा रहती है।
आयात नीति और वैश्विक हालात भी बने वजह
सरिया की कीमतों में तेजी के पीछे केवल घरेलू वजहें नहीं हैं। अमेरिका की टैरिफ वॉर नीतियों और भारत में आयात पर सेफगार्ड ड्यूटी लागू करने जैसे निर्णयों ने भी बाजार में हलचल मचाई है। इससे आयातित लोहे की उपलब्धता घटने लगी है और मांग घरेलू उत्पादकों पर केंद्रित हो गई है, जिससे कीमतें तेज़ी से बढ़ रही हैं।
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महंगाई का असर आम उपभोक्ताओं पर
इन सभी कारणों से घर बनवाने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। जो लोग पहले से बजट तैयार कर चुके थे, उन्हें अब बजट रिवाइज करना पड़ सकता है। वहीं, ठेकेदार और डेवलपर्स अपने प्रोजेक्ट्स में या तो लागत बढ़ा सकते हैं या समयसीमा को आगे बढ़ा सकते हैं।
आने वाले समय में राहत की उम्मीद?
फिलहाल हालात को देखते हुए राहत की उम्मीद कम है। गर्मियों में निर्माण कार्य तेज़ होता है, ऐसे में डिमांड और बढ़ सकती है, जिससे कीमतें और ऊपर जा सकती हैं। अगर सरकार आयात नीति में राहत देती है या जीएसटी दरों में कोई बदलाव होता है, तभी कीमतों में स्थिरता आ सकती है।