जमीन मालिकों के लिए बड़ा अपडेट! बदला E-KYC फॉर्मेट, अब ऐसे कराना होगा अनिवार्य सत्यापन

हिमाचल प्रदेश में भूमि मालिकों के लिए ई-केवाईसी प्रक्रिया में बड़ा बदलाव हुआ है। जानिए क्यों अब हर भूमि मालिक को अपनी व्यक्तिगत ई-केवाईसी करवानी होगी और इस बदलाव से कैसे जुड़ेगा आपके भूमि रिकॉर्ड का भविष्य। क्या हैं नए नियम, और कैसे यह आपको प्रभावित करेगा? पढ़ें पूरी रिपोर्ट

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Written byRohit Kumar

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जमीन मालिकों के लिए बड़ा अपडेट! बदला E-KYC फॉर्मेट, अब ऐसे कराना होगा अनिवार्य सत्यापन
जमीन मालिकों के लिए बड़ा अपडेट! बदला E-KYC फॉर्मेट, अब ऐसे कराना होगा अनिवार्य सत्यापन

हिमाचल प्रदेश में राजस्व विभाग ने भूमि मालिकों की ई-केवाईसी (E-KYC) प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है। अब ई-केवाईसी भूमि के खाते के बजाय व्यक्तिगत भूमि मालिक के आधार पर अनिवार्य होगी। पहले यह प्रक्रिया खातों के आधार पर की जाती थी, जिसमें एक ही व्यक्ति की ई-केवाईसी होने पर पूरे खाते को सत्यापित माना जाता था। लेकिन कई खातों में 30-40 लोग मालिक होते हैं, जिससे बाकी लोगों की ई-केवाईसी अधूरी रह जाती थी। केंद्र सरकार ने इस खामी को दूर करने के लिए नए फॉर्मेट को लागू किया है, जिससे अब प्रत्येक भूमि मालिक की अलग से ई-केवाईसी अनिवार्य होगी।

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हिमाचल प्रदेश में भूमि मालिकों के लिए नई ई-केवाईसी प्रक्रिया को लागू करना राज्य सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे भूमि अभिलेखों की सटीकता और पारदर्शिता बढ़ेगी। हालांकि, प्रक्रिया में बदलाव के कारण कार्य की गति धीमी हुई है, लेकिन इसे जल्द पूरा करने के लिए प्रशासन सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है। सभी भूमि मालिकों को जल्द से जल्द ई-केवाईसी पूरी करने की सलाह दी जा रही है।

क्यों बदली गई ई-केवाईसी प्रक्रिया?

यह बदलाव डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) के तहत किया गया है, जिसमें भूमि को आधार से लिंक किया जा रहा है। पहले खातों के आधार पर ई-केवाईसी होती थी, लेकिन इसमें कई विसंगतियां पाई गईं। उदाहरण के लिए, एक खाते में कई मालिक होने पर केवल एक व्यक्ति की ई-केवाईसी होने से पूरा खाता सत्यापित हो जाता था, जबकि बाकी मालिकों की पहचान अधूरी रह जाती थी।

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केंद्र सरकार ने इन विसंगतियों को दूर करने के लिए प्रक्रिया में बदलाव के निर्देश दिए, ताकि हर भूमि मालिक की अलग से पहचान और सत्यापन सुनिश्चित हो सके। अब नए फॉर्मेट के तहत हर व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से ई-केवाईसी करवानी होगी, जिससे सरकारी रिकॉर्ड अधिक सटीक और अद्यतित हो सके।

अब तक कितनी ई-केवाईसी हुई पूरी?

नई प्रक्रिया के तहत हिमाचल प्रदेश में अब तक कुल 27 प्रतिशत भूमि मालिकों की ई-केवाईसी हो पाई है, जबकि पहले के फॉर्मेट में 60 प्रतिशत से अधिक ई-केवाईसी पूरी हो चुकी थी। नए फॉर्मेट में हर भूमि मालिक से व्यक्तिगत संपर्क साधना आवश्यक हो गया है, जिससे कार्य की गति थोड़ी धीमी हुई है।

हालांकि, राज्य सरकार और राजस्व विभाग इस कार्य को तेज गति से आगे बढ़ाने में जुटे हुए हैं। सभी भूमि मालिकों को जल्द से जल्द ई-केवाईसी पूरी करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, ताकि डिजिटल रिकॉर्ड को अपडेट किया जा सके और भविष्य में भूमि विवादों से बचा जा सके।

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जिलावार ई-केवाईसी की स्थिति

राज्य में जिलावार ई-केवाईसी की स्थिति में काफी भिन्नता देखी गई है। सबसे अधिक जिला किन्नौर में ई-केवाईसी का कार्य हुआ है, जबकि कांगड़ा और शिमला जिलों में यह कार्य सबसे कम हुआ है।

  • बिलासपुर: 35%
  • चम्बा: 28%
  • हमीरपुर: 40%
  • कांगड़ा: 22%
  • किन्नौर: 44%
  • कुल्लू: 29%
  • लाहौल-स्पीति: 37%
  • मंडी: 31%
  • शिमला: 22%
  • सिरमौर: 23%
  • सोलन: 27%
  • ऊना: 28%

लगड़ू व खुंडियां तहसील सबसे आगे, शिमला शहरी सबसे पीछे

ई-केवाईसी के मामले में कांगड़ा जिले की लगड़ू और खुंडियां तहसील सबसे आगे हैं, जहां 49-49 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। इसके विपरीत, शिमला शहरी तहसील में केवल 11 प्रतिशत ई-केवाईसी ही पूरी हो पाई है, जो राज्य में सबसे कम है।

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जिन तहसीलों में 45 प्रतिशत से अधिक ई-केवाईसी हुई है, उनमें शामिल हैं:

  • हमीरपुर की बड़सर और डटवाल (45-45 प्रतिशत)
  • भोटा (48 प्रतिशत)
  • किन्नौर के मुरंग (48 प्रतिशत) और सांगला (45 प्रतिशत)

वहीं, जिन तहसीलों में 15 प्रतिशत से कम ई-केवाईसी हुई है, उनमें शामिल हैं:

  • बैजनाथ: 12%
  • धर्मशाला: 15%
  • नूरपुर: 13%
  • पालमपुर: 13%
  • शाहपुर: 15%

अधिकारियों की अपील

राजस्व विभाग की निदेशक रितिका ने बताया कि राज्य में भूमि ई-केवाईसी का कार्य तेज गति से किया जा रहा है। उन्होंने सभी भूमि मालिकों से अपील की कि वे जल्द से जल्द अपनी ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी कराएं। इससे सरकारी रिकॉर्ड अपडेट हो सकेगा और भविष्य में भूमि विवादों से बचा जा सकेगा।

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उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नए फॉर्मेट से प्रक्रिया थोड़ी जटिल हो गई है, लेकिन इससे भू-रिकॉर्ड अधिक विश्वसनीय और पारदर्शी होंगे। सरकार की योजना है कि डिजिटल इंडिया पहल के तहत सभी भूमि मालिकों की पहचान को आधार कार्ड से लिंक किया जाए, जिससे भूमि से जुड़े विवादों में कमी आएगी।

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