नितिन गडकरी का बड़ा ऐलान, पेट्रोल-डीजल का दौर खत्म होने वाला है! हाइड्रोजन-बायोगैस से चलेगा भारत

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया बड़ा खुलासा जल्द ही भारत पूरी तरह पेट्रोल-डीजल मुक्त होगा! देशभर में हाइड्रोजन और बायोगैस से चलने वाली गाड़ियाँ सड़क पर दौड़ेंगी। यह ऐलान सिर्फ पर्यावरण नहीं, आपकी जेब के लिए भी क्रांतिकारी साबित हो सकता है। जानिए कैसे बदलने वाला है भारत का ट्रांसपोर्ट फ्यूचर!

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Written byRohit Kumar

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नितिन गडकरी का बड़ा ऐलान, पेट्रोल-डीजल का दौर खत्म होने वाला है! हाइड्रोजन-बायोगैस से चलेगा भारत
नितिन गडकरी का बड़ा ऐलान, पेट्रोल-डीजल का दौर खत्म होने वाला है! हाइड्रोजन-बायोगैस से चलेगा भारत

भारत में पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता अब धीरे-धीरे इतिहास बनने की ओर है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने स्पष्ट किया है कि भारत की नई ईंधन नीति केवल एक विकल्प पर टिकी नहीं है, बल्कि यह एक मल्टी लेयर रणनीति है जिसमें इथेनॉल मिक्स्ड फ्यूल, बायोडीजल, कंप्रेस्ड बायोगैस (CBG) और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे वैकल्पिक ईंधन शामिल हैं। सरकार का लक्ष्य सिर्फ प्रदूषण नियंत्रण नहीं है, बल्कि भारत को ऊर्जा के आयातक (Energy Importer) से निर्यातक (Energy Exporter) देश बनाना है।

विदेशी तेल पर निर्भरता को कहेंगे अलविदा

भारत हर साल अपनी 87% कच्चे तेल की जरूरतें आयात करके पूरी करता है, जिससे करीब ₹22 लाख करोड़ की विदेशी मुद्रा (Foreign Exchange Reserve) देश से बाहर जाती है। इसे आर्थिक नुकसान के साथ-साथ रणनीतिक खतरे के रूप में देखा जा रहा है। गडकरी ने हाल ही में टोयोटा किर्लोस्कर मोटर और Holmium International के बीच हुए समझौते का हवाला देते हुए इसे सिर्फ ऊर्जा का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय हितों से जुड़ा विषय बताया।

गडकरी की स्कीम देश में बना कम खर्च वाला और साफ ईधन

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गडकरी ने स्पष्ट किया कि भारत की परिवहन नीति अब चार प्रमुख स्तंभों पर आधारित होगी—स्वदेशी उत्पादन, किफायती मूल्य, प्रदूषण नियंत्रण और आयात में कटौती। उनका कहना है कि सरकार Renewable Energy से बने ईंधनों को बढ़ावा दे रही है ताकि भारत तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बन सके।

हाइड्रोजन ट्रकों से दौड़ने लगीं भारत की सड़कों

सरकार ने ₹500 करोड़ की लागत से नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत हाइड्रोजन ट्रकों का परीक्षण शुरू किया है। टाटा मोटर्स, अशोक लेलैंड, वोल्वो, एनटीपीसी, बीपीसीएल और रिलायंस जैसी कंपनियां इसमें शामिल हैं। ये ट्रक दिल्ली-आगरा, मुंबई-पुणे, जामनगर-वडोदरा, भुवनेश्वर-कोणार्क-पुरी और विशाखापत्तनम-विजयवाड़ा जैसे प्रमुख मार्गों पर 300 से 500 किलोमीटर की दूरी तय कर रहे हैं। इसके लिए 9 हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग स्टेशन तैयार किए गए हैं। इनसे मिलने वाला डेटा आगे की नीति और बुनियादी ढांचे की दिशा तय करेगा।

ग्रीन हाइड्रोजन को बनाया गया है प्राथमिकता

सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता ग्रीन हाइड्रोजन पर है जिसे रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) से तैयार किया जाएगा। हालांकि, गडकरी ने स्वीकार किया कि फिलहाल इसकी लागत एक चुनौती बनी हुई है। उन्होंने वैज्ञानिकों, स्टार्टअप्स और ऑटो कंपनियों से अपील की है कि वे नगरपालिका कचरा, ऑर्गेनिक वेस्ट और बाँस जैसी स्थानीय चीजों से हाइड्रोजन निर्माण के उपाय खोजें।

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इथेनॉल और फ्लेक्स-फ्यूल से भी बढ़ेगा ऑप्शन

सरकार ने 20% इथेनॉल मिश्रण को पूरे देश में लागू करने के लिए अभियान तेज कर दिया है। इसके साथ ही टोयोटा इनोवा हाई क्रॉस जैसी फ्लेक्स-फ्यूल हाइब्रिड कारें, जो इथेनॉल और इलेक्ट्रिक दोनों पर चल सकती हैं, अब परीक्षण के दौर में हैं। गडकरी का कहना है कि यह तकनीक पेट्रोल पर निर्भरता को तेजी से खत्म करेगी और इथेनॉल पर आधारित 100% फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों को भी मंजूरी दे दी गई है।

गांवों में ऊर्जा के नए साधन बनेगी बायोगैस

सरकार ग्रामीण भारत में कंप्रेस्ड बायोगैस (CBG) परियोजनाओं को बढ़ावा दे रही है। इससे किसानों को ऊर्जा आधारित आय का एक नया स्रोत मिलेगा। इसके साथ ही आइसोब्यूटेन-डीजल मिश्रण पर भी काम जारी है जिससे भविष्य में वाणिज्यिक वाहनों में इसके उपयोग की संभावना बढ़ेगी।

ऑटो इंडस्ट्री बनेगी आत्मनिर्भर भारत की रीढ़

भारत की ₹22 लाख करोड़ की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री इस समय दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी ऑटो इंडस्ट्री है। गडकरी का विजन है कि आने वाले 5 वर्षों में भारत इस क्षेत्र में दुनिया में पहले स्थान पर पहुंचे। वे मानते हैं कि भारत का इनोवेशन इकोसिस्टम और स्थानीय निर्माण क्षमता इसे संभव बना सकते हैं। भारत की वाहन निर्माता कंपनियां पहले ही हाइड्रोजन, इलेक्ट्रिक, इथेनॉल और हाइब्रिड तकनीकों पर तेजी से काम कर रही हैं।

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