पानी का बिल माफ! सरकार का बड़ा फैसला, 17 लाख उपभोक्ताओं को मिली राहत

हिमाचल प्रदेश सरकार ने ग्रामीण इलाकों में घरेलू उपभोक्ताओं से पानी का शुल्क न वसूलने का फैसला लिया है। यह निर्णय तुरंत प्रभाव से लागू किया गया है और इससे 17 लाख से अधिक ग्रामीण उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा। व्यावसायिक उपयोगकर्ताओं को शुल्क देना होगा। पहले से जमा किए गए बिलों की वापसी पर सरकार विचार कर रही है।

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Written byRohit Kumar

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पानी का बिल माफ! सरकार का बड़ा फैसला, 17 लाख उपभोक्ताओं को मिली राहत
पानी का बिल माफ

हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने ग्रामीण इलाकों में घरेलू उपभोक्ताओं से पानी का बिल वसूलने के अपने फैसले को वापस ले लिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला में अधिकारियों के साथ बैठक कर इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी किए। सरकार के इस निर्णय से ग्रामीण क्षेत्रों के लाखों उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और अब उन्हें जल शुल्क नहीं देना होगा। हालांकि, होम स्टे, होटल, अस्पताल और धर्मशालाओं जैसे व्यावसायिक उपभोक्ताओं को पानी के लिए शुल्क देना जारी रहेगा। मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने इस निर्णय की पुष्टि की है।

17 लाख ग्रामीण उपभोक्ताओं को मिलेगा लाभ

प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 17 लाख पेयजल उपभोक्ता हैं। वर्ष 2019 में जल जीवन मिशन योजना के तहत 9.50 लाख नए कनेक्शन जोड़े गए थे, जबकि इससे पहले 7.63 लाख कनेक्शन पहले से मौजूद थे। इस योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में नल से जल आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। पिछले वर्ष सितंबर में सरकार ने घरेलू उपभोक्ताओं से 100 रुपये मासिक जल शुल्क वसूलने का निर्णय लिया था, जिसका तर्क प्रदेश की आर्थिक स्थिति को सुधारना था। 1 अक्टूबर 2024 से जल शक्ति विभाग ने कई स्थानों पर पानी के बिल वसूलना शुरू कर दिया था। हालांकि, अब सरकार ने इस निर्णय को पलटते हुए ग्रामीण उपभोक्ताओं को निशुल्क पानी देने का निर्णय लिया है।

पहले से जमा किए गए बिल पर सवाल

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इससे पहले जल शक्ति विभाग ने कई उपभोक्ताओं को तीन-तीन महीने के पानी के बिल जारी कर दिए थे और कई लोगों ने यह शुल्क जमा भी कर दिया था। अब सवाल यह उठ रहा है कि जो उपभोक्ता पहले ही बिल भर चुके हैं, क्या उन्हें उनकी राशि वापस मिलेगी? सरकार की ओर से इस पर अभी कोई स्पष्ट निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। जानकारी के अनुसार, इस विषय पर विचार किया जा रहा है और जल्द ही कोई ठोस निर्णय लिया जा सकता है।

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सरकार ने जनभावनाओं को ध्यान में रखा

राज्य मंत्रिमंडल की पिछली बैठक में पानी के बिलों को लेकर विस्तार से चर्चा की गई थी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जनता से सुझाव मांगे थे और जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण उपभोक्ताओं को निशुल्क पानी देने का निर्णय लिया गया। यह भी गौरतलब है कि पूर्व भाजपा सरकार ने ग्रामीण इलाकों में निशुल्क पानी देने की घोषणा की थी, जिसे कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद बदल दिया था और 100 रुपये मासिक शुल्क निर्धारित किया था। लेकिन अब सरकार ने पुनः निशुल्क जल आपूर्ति की नीति अपनाई है।

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