
Universal Pension Scheme: सरकार देश के सभी नागरिकों के लिए यूनिवर्सल पेंशन स्कीम लाने की योजना बना रही है, जिसका उद्देश्य हर व्यक्ति को बुढ़ापे में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। श्रम और रोजगार मंत्रालय इस योजना पर काम कर रहा है, जिससे सभी नागरिकों को एक सुनिश्चित पेंशन मिल सके। यह योजना पूरी तरह स्वैच्छिक और अंशदायी होगी, जिसका लाभ कोई भी व्यक्ति उठा सकता है। सरकार इस योजना को EPFO के अंतर्गत लाने पर विचार कर रही है।
इस योजना के तहत कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में काम करता हो, इसमें अपना योगदान कर सकता है और 60 वर्ष की आयु के बाद पेंशन प्राप्त कर सकता है। इस पहल से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, व्यापारियों और स्व-रोजगार करने वालों को विशेष लाभ मिलेगा। अभी इस योजना के ढांचे पर कार्य किया जा रहा है, और मंत्रालय सभी संबंधित पक्षों से परामर्श करने के बाद अंतिम स्वरूप तय करेगा।
शामिल हो सकती हैं कई मौजूदा योजनाएँ
सरकार इस योजना को प्रभावी बनाने के लिए मौजूदा पेंशन योजनाओं को इसमें समाहित कर सकती है। इसमें प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना (PM-SYM) और राष्ट्रीय पेंशन योजना व्यापारियों और स्व-रोजगार करने वालों के लिए (NPS-Traders) जैसी योजनाओं को शामिल किया जा सकता है। इन योजनाओं के अंतर्गत 60 वर्ष की उम्र के बाद हर महीने ₹3,000 तक की पेंशन मिलती है, जिसके लिए ₹55 से ₹200 तक मासिक योगदान देना होता है। सरकार भी योगदानकर्ता के जमा किए गए धन के बराबर राशि प्रदान करती है।
इसके अलावा, अटल पेंशन योजना को भी इस व्यापक योजना में शामिल करने की संभावना है। अभी यह योजना PFRDA के अंतर्गत आती है। इसके अतिरिक्त, भवन और अन्य निर्माण श्रमिक (BoCW) अधिनियम के तहत एकत्र किए गए सेस का उपयोग भी इस पेंशन योजना के लिए किया जा सकता है, जिससे निर्माण क्षेत्र के मजदूरों को पेंशन सुविधा मिल सकेगी।
सरकार राज्य सरकारों को भी अपनी मौजूदा पेंशन योजनाओं को इसमें समाहित करने के लिए प्रेरित कर सकती है, जिससे देशभर में पेंशन प्रणाली अधिक समान और प्रभावी होगी।
भारत में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या और सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकता
भारत में बुजुर्गों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। एक अनुमान के अनुसार, 2036 तक 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों की संख्या 227 मिलियन हो जाएगी, जो कुल आबादी का 15% होगा। 2050 तक यह संख्या 347 मिलियन यानी कुल आबादी का 20% हो सकती है। अमेरिका, यूरोप, कनाडा, रूस और चीन जैसे देशों में एक मजबूत सामाजिक सुरक्षा प्रणाली है, जिसमें पेंशन, स्वास्थ्य सेवाएँ और बेरोजगारी बीमा शामिल हैं।
भारत में सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था अभी भी सीमित है और यह ज्यादातर निधि आधारित पेंशन और वृद्धावस्था पेंशन पर निर्भर करती है। केंद्र सरकार गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले नागरिकों को स्वास्थ्य बीमा भी प्रदान करती है। नई यूनिवर्सल पेंशन स्कीम सामाजिक सुरक्षा को मजबूत बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है।