सैलरी के हिसाब से कितना मिल सकता है Home Loan? SBI ने खुद बताया फॉर्मूला – जानिए आप कितना ले सकते हैं!

सिर्फ सैलरी ही नहीं, आपकी इनकम की स्टेबिलिटी और EMI क्षमता भी तय करती है आपका लोन अमाउंट। जानिए किन आसान तरीकों से आप अपनी होम लोन एलिजिबिलिटी बढ़ा सकते हैं और सपनों का घर खरीदने का सपना कर सकते हैं साकार

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Written byRohit Kumar

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सैलरी के हिसाब से कितना मिल सकता है Home Loan? SBI ने खुद बताया फॉर्मूला – जानिए आप कितना ले सकते हैं!
सैलरी के हिसाब से कितना मिल सकता है Home Loan? SBI ने खुद बताया फॉर्मूला – जानिए आप कितना ले सकते हैं!

होम लोन (Home Loan) एक दीर्घकालिक वित्तीय दायित्व होता है, जिसे लेने से पहले बैंक कई महत्वपूर्ण मानदंडों की जांच करता है। आपकी सैलरी, सिबिल स्कोर (CIBIL Score), इनकम की स्थिरता (Income Stability) और आपकी लोन चुकाने की क्षमता (Repayment Capacity) जैसे पहलुओं के आधार पर तय होता है कि आपको कितना होम लोन मिल सकता है।

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होम लोन की पात्रता केवल आपकी सैलरी पर ही नहीं, बल्कि आपकी इनकम की स्थिरता, देनदारियों और क्रेडिट स्कोर पर भी निर्भर करती है। Eligibility Multiplier, EMI Limit और अन्य वित्तीय घटकों के आधार पर यह तय होता है कि आपको कितना होम लोन मिल सकता है। इसलिए लोन लेने से पहले अपनी नेट इनकम, EMI क्षमता और Co-applicant की स्थिति का अच्छी तरह से विश्लेषण करना जरूरी है।

कितनी राशि तक मिल सकता है होम लोन?

होम लोन की राशि कई कारकों पर निर्भर करती है। बैंक इस बात का आकलन करता है कि आपकी मासिक आय, खर्च, पहले से चल रही देनदारियां (Liabilities), और क्रेडिट हिस्ट्री कैसी है। यदि आपकी इनकम स्थिर है और आपकी चुकाने की क्षमता मजबूत है, तो बैंक आपको अधिक लोन देने को तैयार हो सकता है।

इनकम के आधार पर होम लोन पात्रता कैसे तय होती है?

बैंक दो प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान देता है – आपकी नेट इनकम (Net Income) और आपकी इनकम की स्थिरता (Income Stability)। इन दोनों फैक्टर्स से यह स्पष्ट होता है कि आप किस हद तक लोन चुकाने में सक्षम हैं।

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नेट इनकम क्या होती है?

आपकी नौकरी की ग्रॉस सैलरी (Gross Salary) में से प्रोविडेंट फंड (PF), ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस, इनकम टैक्स और अन्य कटौतियां घटाने के बाद जो राशि आपके अकाउंट में ट्रांसफर होती है, उसे नेट इनकम कहा जाता है। बैंक आपकी होम लोन पात्रता का निर्धारण नेट इनकम के आधार पर करता है। इसके साथ-साथ अगर आपके ऊपर पहले से कोई EMI या लोन है, तो उसे भी ध्यान में रखा जाता है, जिससे Effective Loan Eligibility तय होती है।

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इनकम स्टेबिलिटी क्यों है जरूरी?

बैंक यह भी देखता है कि आपकी कमाई कितनी नियमित और भरोसेमंद है। अगर आप किसी बड़ी और स्थिर कंपनी में कार्यरत हैं, तो आपको होम लोन मिलने की संभावना ज्यादा होती है। इसके विपरीत, अगर आप फ्रीलांसर या कंसल्टेंट हैं, तो बैंक के लिए आपकी इनकम जोखिमपूर्ण मानी जाती है। इनकम स्टेबिलिटी बेहतर होने पर अन्य कारक थोड़े कमजोर होने के बावजूद बैंक लोन मंजूर कर सकता है।

क्या है एलिजिबिलिटी मल्टीप्लायर?

बैंक आपकी सैलरी के आधार पर लोन पात्रता तय करने के लिए Eligibility Multiplier का प्रयोग करता है, जिसमें तीन मुख्य कैटेगरी होती हैं:

ग्रॉस एलिजिबिलिटी मल्टीप्लायर

  • बैंक आमतौर पर आपकी वार्षिक ग्रॉस सैलरी के 4 से 5 गुना तक का लोन देने को तैयार होते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपकी मासिक सैलरी ₹1 लाख है, तो वार्षिक सैलरी ₹12 लाख होगी। ऐसे में आप ₹48 से ₹50 लाख तक का होम लोन ले सकते हैं।

नेट एलिजिबिलिटी मल्टीप्लायर

  • अगर आपकी टैक्स और अन्य कटौतियों के बाद नेट सैलरी ₹9 लाख है, तो बैंक इसे 5 से 6 गुना तक का लोन देने की संभावना रखता है। ऐसे में आपको ₹45 से ₹54 लाख तक का लोन मिल सकता है।

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EMI लिमिट क्या है?

  • होम लोन की EMI आपकी डिस्पोजेबल इनकम (Disposable Income) यानी खर्चों के बाद बची हुई इनकम के अधिकतम 40% तक होनी चाहिए। अगर आपकी बची हुई इनकम ₹45,000 है, तो EMI इसी राशि के आसपास होनी चाहिए। इससे आपको ₹45 से ₹50 लाख तक का लोन मिल सकता है।

अन्य तरीके जिनसे बढ़ सकती है होम लोन पात्रता

अगर आप सैलरीड नहीं हैं, लेकिन आपकी पत्नी किसी स्थायी जॉब में है, तो उन्हें Co-applicant बनाकर आप लोन पात्रता बढ़ा सकते हैं। Co-applicant की अच्छी क्रेडिट हिस्ट्री लोन स्वीकृति में मददगार होती है।

इसके अलावा, अगर आपके ऊपर पहले से कोई पर्सनल लोन या कार लोन चल रहा है, तो उसकी समय से चुकौती करके आप अपनी नई लोन पात्रता को बढ़ा सकते हैं। लोन कंसोलिडेशन (Loan Consolidation) से भी यह संभव है।

अगर आपके पास कोई संपत्ति है, तो उसे गिरवी रखकर आप लोन की राशि को और अधिक कर सकते हैं।

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