
देश में बढ़ती ईंधन कीमतों और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए अब लोग तेजी से पारंपरिक पेट्रोल वाहनों को CNG (Compressed Natural Gas) में कन्वर्ट कर रहे हैं। पुरानी पेट्रोल कार को बनाएं CNG—यह ट्रेंड अब आम हो चुका है। एक ओर जहां यह विकल्प सस्ता है, वहीं दूसरी ओर यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है। ऐसे में अगर आपके पास भी एक पुरानी पेट्रोल कार है, तो उसे CNG में बदलकर आप हर किलोमीटर पर ₹2.20 तक की बचत कर सकते हैं। आइए जानते हैं इसकी पूरी प्रक्रिया, लागत और इससे होने वाले फायदे के बारे में विस्तार से।
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अगर आप ईंधन की बढ़ती कीमतों से परेशान हैं और पर्यावरण के लिए भी कुछ करना चाहते हैं, तो पुरानी पेट्रोल कार को बनाएं CNG एक व्यवहारिक और आर्थिक विकल्प है। इसकी शुरुआती लागत थोड़ी ज्यादा हो सकती है, लेकिन लॉन्ग टर्म में यह आपके लिए फायदेमंद साबित होगी।
CNG कन्वर्जन की प्रक्रिया क्या है?
CNG किट लगाने के लिए सबसे पहले किसी अधिकृत और प्रमाणित गैरेज या सर्विस सेंटर पर जाना होता है। पुरानी पेट्रोल कार में CNG किट इंस्टॉल करने से पहले उसकी कंडीशन की जांच की जाती है। इसके बाद गैस सिलेंडर, प्रेशर रेगुलेटर, पाइपिंग, स्विचिंग डिवाइस और अन्य जरूरी उपकरण लगाए जाते हैं।
इंस्टॉलेशन प्रक्रिया में एक स्विच दिया जाता है जिससे ड्राइवर आसानी से पेट्रोल और CNG के बीच स्विच कर सकता है। इसके अलावा, फिटमेंट के बाद वाहन का RTO से पुन: निरीक्षण और अप्रूवल जरूरी होता है ताकि वाहन का रजिस्ट्रेशन अपडेट हो सके।
कितना आता है खर्च?
एक अच्छी क्वालिटी की CNG किट की कीमत ₹50,000 से ₹60,000 के बीच होती है। इसमें फिटमेंट और RTO अप्रूवल चार्ज भी शामिल हो सकते हैं। हालांकि कुछ हाई-एंड या सेमी हाई-एंड गाड़ियों के लिए यह खर्च ₹70,000 तक भी पहुंच सकता है।
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अगर आप ज्यादा ट्रैवल करते हैं या आपकी डेली रनिंग ज्यादा है, तो यह निवेश कुछ ही महीनों में रिकवर हो सकता है। पेट्रोल की तुलना में CNG काफी सस्ती पड़ती है जिससे लॉन्ग टर्म में बड़ी बचत होती है।
हर किलोमीटर पर कितनी बचत?
पेट्रोल कार की एवरेज अगर 15 kmpl है और पेट्रोल की कीमत ₹100 प्रति लीटर है, तो हर किलोमीटर पर खर्च आता है ₹6.66। वहीं CNG की कीमत ₹75 प्रति किलो है और एक किलो CNG में कार औसतन 25 किलोमीटर तक चलती है। ऐसे में प्रति किलोमीटर खर्च आता है ₹3। इस तरह हर किलोमीटर पर ₹2.20 की सीधी बचत होती है।
अगर आपकी कार एक महीने में 1,000 किलोमीटर चलती है तो आप लगभग ₹2,200 की बचत कर सकते हैं। सालाना ये आंकड़ा ₹26,400 तक पहुंच सकता है।
क्या CNG किट लगवाना सुरक्षित है?
आजकल मार्केट में मिलने वाली CNG किट्स पूरी तरह से सेफ और सर्टिफाइड होती हैं। सरकार द्वारा अप्रूव्ड कंपनियों की CNG किट्स ISI मार्क के साथ आती हैं। इसके अलावा, फिटमेंट भी तभी मान्य होता है जब इसे अधिकृत सर्विस सेंटर द्वारा किया गया हो और RTO द्वारा प्रमाणित किया गया हो।
सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, इंस्टॉल के बाद गैस लीकेज टेस्टिंग और पर्फॉर्मेंस चेक करना जरूरी होता है। हर छह महीने में नियमित जांच भी जरूरी है ताकि सिलेंडर और किट की स्थिति का पता चलता रहे।
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क्या RTO अप्रूवल जरूरी है?
हां, जब आप पेट्रोल कार में CNG किट इंस्टॉल कराते हैं, तो RTO से उसका अप्रूवल लेना अनिवार्य होता है। RTO इंस्पेक्शन के बाद वाहन के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) में CNG का उल्लेख कर दिया जाता है। बिना RTO अप्रूवल के किट लगवाना गैरकानूनी है और ट्रैफिक पुलिस द्वारा भारी चालान भी किया जा सकता है।
फायदे और नुकसान
फायदे:
- ईंधन की लागत में 50% तक की बचत
- पर्यावरण के लिए बेहतर, कम प्रदूषण
- लॉन्ग टर्म में फाइनेंशियल सेविंग
- वाहन की लाइफ बढ़ सकती है
नुकसान:
- शुरुआत में इंस्टॉल कॉस्ट ज्यादा
- बूट स्पेस कम हो जाता है
- कुछ मॉडलों में परफॉर्मेंस पर असर पड़ सकता है
- लंबी दूरी की यात्रा में फ्यूल स्टेशन की उपलब्धता कम
कौन सी कारें करवा सकती हैं CNG कन्वर्जन?
सभी पेट्रोल कारें CNG किट के लिए योग्य नहीं होतीं। कार का इंजन कंडीशन, मॉडल और माइलेज देख कर ही ये तय किया जाता है। आमतौर पर मारुति, हुंडई, होंडा जैसी कंपनियों की छोटी और मिड-साइज पेट्रोल कारों में CNG किट अच्छी तरह काम करती है।
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क्या इंश्योरेंस पर असर होता है?
हां, CNG किट इंस्टॉल करने के बाद वाहन बीमा (Motor Insurance) में इस बदलाव की जानकारी देना जरूरी होता है। बीमा कंपनी वाहन की नई वैल्यू और संभावित जोखिम के आधार पर प्रीमियम में बदलाव कर सकती है। कुछ मामलों में नो-क्लेम बोनस (NCB) भी प्रभावित हो सकता है।
सरकार की क्या भूमिका है?
सरकार CNG को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है। यह Renewable Energy और ग्रीन फ्यूल की दिशा में एक अहम पहल है। दिल्ली, मुंबई, पुणे, अहमदाबाद जैसे शहरों में पहले से ही CNG इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत है। भविष्य में अन्य शहरों में भी नेटवर्क का विस्तार किया जा रहा है।