
इनकम टैक्स (Income Tax) डिपार्टमेंट अब आपके गेंहू, चावल, दाल, ब्यूटी प्रोडक्ट्स, स्पा और रेस्टोरेंट बिल जैसे खर्चों का भी पूरा हिसाब ले सकता है। अगर आपने अपनी आय और खर्चों में गड़बड़ी की तो आयकर विभाग (Income Tax Department) को एक-एक चीज का ब्योरा देना पड़ सकता है। हाल ही में एक मामले में इनकम टैक्स विभाग की स्क्रूटनी प्रक्रिया के तहत एक असैसिंग ऑफिसर (AO) ने आयकर अधिनियम की धारा 142(1) के तहत एक टैक्सपेयर्स से उसके महीने के राशन, कपड़े, सामाजिक आयोजनों, ट्रांसपोर्ट कॉस्ट, बीमा, गिफ्ट और अन्य रोजाना के खर्चों की विस्तृत जानकारी मांगी है।
क्यों मांगी जा रही है इतनी डिटेल में जानकारी?
सूत्रों के मुताबिक, इनकम टैक्स अधिकारी तब इस तरह की जानकारी मांगते हैं, जब किसी व्यक्ति की घोषित आय उसके रहन-सहन के स्तर (Standard of Living) से मेल नहीं खाती। यदि किसी व्यक्ति का खर्च बहुत ज्यादा है, लेकिन उसके बैंक खाते में कैश ट्रांजेक्शन या आय कम दिखाई देती है, तो इनकम टैक्स विभाग को शक हो सकता है कि उस व्यक्ति की कुछ आय अघोषित या बेहिसाब है। ऐसे मामलों में विभाग गहराई से जांच करता है और टैक्स चोरी (Tax Evasion) का पता लगाने की कोशिश करता है।
किन खर्चों का हिसाब मांगा जा सकता है?
इनकम टैक्स विभाग द्वारा मांगे जाने वाले खर्चों में रोजमर्रा की चीजें शामिल हो सकती हैं, जैसे:
- गेहूं, चावल, आटा, दाल, मसाले, तेल और अन्य राशन सामग्री
- बिजली, पानी, गैस और मोबाइल बिल
- कपड़े, जूते, ब्यूटी प्रोडक्ट्स, इत्र, बाल कटवाने का खर्च
- कार चलाने का खर्च, इंश्योरेंस, पेट्रोल-डीजल खर्च
- सामाजिक आयोजनों, शादी-ब्याह, उपहार, डोनेशन और चंदा
- बच्चों की पढ़ाई, स्कूल फीस, किताबें और अन्य शैक्षणिक खर्च
- घर का किराया, बिल्डिंग कॉस्ट, बिल्डिंग इंश्योरेंस
- होटल और रेस्टोरेंट में खाने-पीने का खर्च
- हेल्थ इंश्योरेंस, लाइफ इंश्योरेंस, मेडिकल खर्च
इन सभी खर्चों का ब्योरा तब मांगा जाता है जब अधिकारी को संदेह होता है कि किसी व्यक्ति की घोषित आय वास्तविक खर्चों से मेल नहीं खा रही है।
क्या हर टैक्सपेयर्स के खर्चों की जांच हो रही है?
नहीं, इनकम टैक्स विभाग हर व्यक्ति के खर्चों की जांच नहीं कर रहा है। यह स्क्रूटनी केवल उन्हीं मामलों में की जाती है, जहां खर्च और आय के बीच बड़ा अंतर दिखता है। खासतौर पर अगर कोई व्यक्ति बहुत अधिक खर्च कर रहा है, लेकिन उसका कैश निकालने या बैंक ट्रांजेक्शन बहुत कम है, तो यह अधिकारियों के लिए संदेह का विषय बन सकता है।
आयकर विभाग की स्क्रूटनी प्रक्रिया के तहत केवल 1% मामलों की ही इतनी बारीकी से जांच की जाती है। आम टैक्सपेयर्स को इससे घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन जिनकी इनकम और खर्च में भारी अंतर है, उन्हें सतर्क रहने की जरूरत है।
क्या है सरकार का मकसद?
सरकार उन मामलों की जांच कर रही है, जहां आय के स्रोत (Income Source) को छिपाने की संभावना हो सकती है। यदि कोई व्यक्ति बिना कैश निकाले ही हाई स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग बनाए रखता है, तो यह संदेह पैदा करता है कि वह अपनी कुछ इनकम का सही तरीके से खुलासा नहीं कर रहा।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की यह कार्रवाई मुख्य रूप से अघोषित कैश और बेनामी ट्रांजेक्शन (Benami Transaction) का पता लगाने के लिए की जा रही है। ऐसे में, जिन लोगों की इनकम और खर्च में बड़ा अंतर है, उन्हें अपनी आय का सही-सही खुलासा करना चाहिए ताकि भविष्य में किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।