Khan Sir News: अब बुरे फंसे खान सर, जानिए ऐसा क्या कहा कि मच गया बवाल!

देश के लोकप्रिय शिक्षक और यूट्यूबर खान सर इस समय भारी विवाद में हैं। जम्मू-कश्मीर के अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह को ‘स्वार्थी’ कहने पर डोगरा समाज आक्रोशित हो उठा है। राष्ट्रीय बजरंग दल और डोगरा शाही परिवार ने उनके खिलाफ विरोध जताया है और गिरफ्तारी की मांग की है। जानिए पूरा मामला, आखिर खान सर ने ऐसा क्या कह दिया कि देशभर में मच गया बवाल?

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Written byRohit Kumar

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Khan Sir News: अब बुरे फंसे खान सर, जानिए ऐसा क्या कहा कि मच गया बवाल!
Khan Sir News: अब बुरे फंसे खान सर, जानिए ऐसा क्या कहा कि मच गया बवाल!

जम्मू। महाराजा हरि सिंह पर टिप्पणी के चलते चर्चित यूट्यूबर और शिक्षक खान सर एक बार फिर विवादों में आ गए हैं। अपने एक हालिया इंटरव्यू में दिए गए बयान में उन्होंने जम्मू-कश्मीर के अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह को स्वार्थी बताया, जिसके बाद राष्ट्रीय बजरंग दल, डोगरा शाही परिवार और कई स्थानीय संगठनों ने उनके खिलाफ तीव्र विरोध जताया है। जम्मू सहित पूरे डोगरा समाज में इस बयान को लेकर गहरी नाराजगी देखी जा रही है।

बजरंग दल ने किया विरोध प्रदर्शन, गिरफ्तारी की मांग

खान सर के बयान के विरोध में राष्ट्रीय बजरंग दल ने जोरदार प्रदर्शन किया। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राकेश बजरंगी ने कहा कि खान सर को जम्मू-कश्मीर और महाराजा हरि सिंह के इतिहास की जानकारी नहीं है, बावजूद इसके उन्होंने एक अपमानजनक और अनुचित टिप्पणी कर डोगरा समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।

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राकेश बजरंगी ने मांग की कि प्रशासन को इस मामले में एफआईआर दर्ज कर खान सर को जेल भेजना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि महाराजा हरि सिंह पर किसी भी तरह की गलतबयानी डोगरा समाज बर्दाश्त नहीं करेगा। खान सर को इतिहास पढ़ना चाहिए, न कि बिना संदर्भ के ऐसी टिप्पणियां करनी चाहिए।

डोगरा शाही परिवार ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण

खान सर की टिप्पणी पर डोगरा शाही परिवार की सदस्य कुवांरी रितु सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि उन्होंने खान सर की बातों को सुना और पढ़ा और उन्हें यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण लगा। उनका कहना है कि महाराजा हरि सिंह केवल डोगरा समाज ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणास्रोत रहे हैं।

रितु सिंह के अनुसार, महाराजा ने जम्मू-कश्मीर को एकजुट रखा और जब समय की मांग आई, तो उन्होंने भारत के साथ विलय कर एक ऐतिहासिक फैसला लिया। ऐसे में खान सर द्वारा उन्हें स्वार्थी कहे जाने को किसी भी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता।

क्या कहा था खान सर ने?

अपने एक हालिया इंटरव्यू में खान सर ने महाराजा हरि सिंह को लेकर कहा था कि “कश्मीर की समस्या की जड़ वहीं से शुरू होती है।” उन्होंने आगे कहा कि महाराजा चाहते थे कि कश्मीर ‘स्विट्जरलैंड’ की तरह एक स्वतंत्र राष्ट्र बने, लेकिन जब हालात बिगड़े और उनके अपने रिश्तेदार पाकिस्तान चले गए, तब जाकर उन्होंने भारत में विलय पर हस्ताक्षर किए।

खान सर ने कहा, “देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ, लेकिन महाराजा ने 26 अक्टूबर को जाकर आत्मसमर्पण किया। इसका मतलब साफ है कि वे शुरुआत से ही स्वार्थ से प्रेरित थे।” यही बयान अब उनके लिए भारी पड़ गया है।

सोशल मीडिया पर भी मचा हंगामा

सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा ट्रेंड कर रहा है। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर #MaharajaHariSingh, #KhanSirControversy, और #RespectDograLegacy जैसे हैशटैग्स चल रहे हैं। जहां एक ओर कुछ लोग खान सर के बयान को ऐतिहासिक विश्लेषण कह रहे हैं, वहीं अधिकतर यूजर्स ने इसे अनुचित और अपमानजनक बताया है। कई यूजर्स ने खान सर से माफी मांगने की मांग की है, जबकि कुछ ने उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात कही है।

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प्रशासन पर भी दबाव बढ़ा

इस पूरे मामले को लेकर प्रशासन पर भी कार्रवाई करने का दबाव बढ़ता जा रहा है। बजरंग दल और अन्य संगठनों ने स्थानीय प्रशासन से मांग की है कि वह मामले को संज्ञान में लेते हुए खान सर पर कानूनी कार्रवाई करें। हालांकि, अब तक खान सर की ओर से इस पूरे विवाद पर कोई स्पष्टीकरण या माफीनामा सामने नहीं आया है। ऐसे में मामला और भी तूल पकड़ता जा रहा है।

खान सर की लोकप्रियता पर असर

खान सर, जो देशभर में अपनी जनरल नॉलेज और करंट अफेयर्स की क्लासेस के लिए प्रसिद्ध हैं, सोशल मीडिया और यूट्यूब पर करोड़ों लोगों के चहेते हैं। लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब वे किसी विवाद में घिरे हों। इससे पहले भी उन्होंने कुछ मुद्दों पर अपनी बेबाक राय दी है, जिससे कई बार विवाद उत्पन्न हुए हैं। इस बार मामला सीधे डोगरा शासक और जम्मू-कश्मीर के संवेदनशील इतिहास से जुड़ा है, इसलिए विरोध काफी तीव्र और व्यापक हो गया है।

इतिहास के आधार और बयान में अंतर है

विशेषज्ञों का मानना है कि इतिहास पर विश्लेषण और किसी ऐतिहासिक व्यक्तित्व पर व्यक्तिगत टिप्पणी में फर्क होता है। महाराजा हरि सिंह को लेकर राजनीतिक, सामाजिक और सामरिक स्तर पर कई मत हैं, लेकिन उन्हें स्वार्थी कहना कई लोगों को अपमानजनक लगा है।

इतिहासकारों की राय है कि 26 अक्टूबर 1947 को महाराजा द्वारा किए गए Instrument of Accession पर हस्ताक्षर भारत के लिए निर्णायक क्षण था, जिसने कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाया। ऐसे में उनके निर्णय को केवल निजी स्वार्थ कह देना अनुचित होगा।

विवाद की आग अभी शांत नहीं

फिलहाल, इस विवाद की आग शांत होती नजर नहीं आ रही। डोगरा समाज, बजरंग दल और शाही परिवार सभी खान सर से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग कर रहे हैं। वहीं, खान सर की चुप्पी इस मामले को और भी पेचीदा बना रही है।

अब देखना यह है कि क्या प्रशासन इस पर कोई कानूनी कदम उठाता है या खान सर खुद सामने आकर स्थिति को स्पष्ट करते हैं। लेकिन इतना तय है कि यह मामला आने वाले दिनों में राजनीतिक और सामाजिक चर्चा का बड़ा मुद्दा बना रहेगा।

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