हरियाणा के 3134 स्कूलों पर लटकी मान्यता की तलवार – सरकार ने पकड़ी बड़ी गड़बड़ी

RTE कानून के तहत गरीब बच्चों के लिए आरक्षित सीटों को नज़रअंदाज़ करने पर हरियाणा सरकार की कड़ी कार्रवाई शुरू, जानिए कौन से स्कूल आए रडार पर और किसे मिलेगी आखिरी चेतावनी!

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Written byRohit Kumar

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Govt Action On Pvt School: हरियाणा के 3134 प्राइवेट स्कूलों पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी, RTE लागू करने में असफल
Govt Action On Pvt School: हरियाणा के 3134 प्राइवेट स्कूलों पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी, RTE लागू करने में असफल

हरियाणा सरकार ने गरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए राइट टू एजुकेशन (RTE) अधिनियम के तहत राज्यभर में व्यापक पहल की है। इस कानून के अंतर्गत प्राइवेट स्कूलों को अपनी कुल सीटों में से 25% सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) और वंचित समुदायों के बच्चों के लिए आरक्षित करनी होती हैं। लेकिन हाल ही में सामने आए आंकड़ों ने सरकार को कड़ा कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है।

शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के कुल 10,701 प्राइवेट स्कूलों में से 3,134 स्कूल ऐसे हैं जिन्होंने RTE अधिनियम के अंतर्गत आरक्षित सीटों का ब्योरा विभाग को नहीं सौंपा है। यह लापरवाही न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि गरीब बच्चों के शिक्षा अधिकार के साथ भी अन्याय है।

आरक्षित सीटों की अनदेखी और स्कूलों की जवाबदेही

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हरियाणा के शिक्षा विभाग ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। जिन स्कूलों ने RTE के नियमों का पालन नहीं किया है, उनकी मान्यता खतरे में पड़ सकती है। शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने साफ कर दिया है कि जिन प्राइवेट स्कूलों ने गरीब बच्चों को दाखिला नहीं दिया है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सरकार द्वारा बार-बार चेतावनी देने के बावजूद इन स्कूलों ने न तो फॉर्म भरे और न ही छात्रों का ब्योरा जमा किया। इससे यह स्पष्ट होता है कि कई स्कूल RTE कानून को लेकर गंभीर नहीं हैं। शिक्षा विभाग ने एक बार फिर से स्कूलों को फॉर्म भरने की अंतिम तिथि बढ़ाकर मौका दिया है, ताकि वे अपनी गलती सुधार सकें। लेकिन जो स्कूल अब भी चूक करेंगे, उनके खिलाफ विभाग मान्यता रद्द करने तक की कार्यवाही कर सकता है।

शिक्षा मंत्री का सख्त रुख और सरकार की नीति

Govt Action On Pvt School अभियान के अंतर्गत शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने स्पष्ट कहा है कि बच्चों के भविष्य के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। सरकार की मंशा है कि हर गरीब बच्चा बिना किसी भेदभाव के शिक्षा प्राप्त करे।

उन्होंने यह भी कहा कि जिन स्कूलों ने आरक्षित वर्गों के बच्चों को दाखिला नहीं दिया है, वे सीधे तौर पर कानून की अवहेलना कर रहे हैं। इन स्कूलों की मान्यता रद्द करना ही एकमात्र विकल्प होगा यदि वे अब भी अपने रुख में बदलाव नहीं लाते।

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कौन से बच्चे होंगे लाभान्वित

हरियाणा सरकार ने RTE अधिनियम के तहत स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि HIV संक्रमित बच्चों, युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की विधवाओं के बच्चों, अनुसूचित जाति (SC), पिछड़ा वर्ग-ए (BC-A), पिछड़ा वर्ग-बी (BC-B) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बच्चों को शिक्षा का पूरा अधिकार दिया जाएगा।

इन बच्चों को स्कूलों में फ्री एडमिशन मिलेगा और फीस से भी छूट दी जाएगी। यह निर्णय शिक्षा को हर वर्ग तक पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

शिक्षा का सामाजिक महत्व और सरकार की पहल

RTE कानून केवल एक कानूनी दायित्व नहीं बल्कि समाज में समानता की नींव है। शिक्षा का अधिकार हर बच्चे का मौलिक अधिकार है और इसे सुनिश्चित करना हर संस्था और व्यक्ति की जिम्मेदारी है।

हरियाणा सरकार की यह सख्त पहल न केवल नियमों के अनुपालन की मांग करती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि शिक्षा के क्षेत्र में कोई वर्ग पीछे न छूटे। इससे एक समावेशी और शिक्षित समाज की नींव रखी जा सकती है।

राज्य सरकार की यह कार्रवाई संकेत देती है कि अब लापरवाही बरतने वाले संस्थानों को बख्शा नहीं जाएगा और शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और समानता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।

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